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स्मार्टफोन के जरिये कोविड-19 की सस्ती शीघ्र जांच की अनूठी पद्धति विकसित - लंदन

कोविड-19 का पता लगाने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी किफायती पद्धति विकसित की है, जिसमें स्टमार्टफोन की स्क्रीन से लिए गए नमूनों की जांच कर संक्रमण का सटीक और शीघ्रता से पता लगाया जा सकता है.

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Published : Jun 24, 2021, 4:38 PM IST

लंदन : ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं ने स्मार्टफोन की स्क्रीन से लिए स्वाब का विश्लेषण किया. उन्होंने पाया कि नाक के स्वाब वाली पीसीआर जांच में संक्रमित पाए गए लोग स्मार्टफोन स्क्रीन से लिए गए स्वाब की जांच में भी संक्रमित पाए गए.

नई पद्धति के बारे में मंगलवार को जर्नल ई-लाइफ में बताया गया है. इस पद्धति ने 81 से 100 प्रतिशत संक्रमित लोगों के स्मार्टफोन पर वायरस की मौजूदगी का पता लगाया, जो एक सटीक जांच साबित हो सकती है. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस पद्धति के तहत नमूने एकत्र करने में एक मिनट से भी कम समय लगता है और इसमें मेडिकल कर्मी की भी जरूरत नहीं पड़ती. यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थलमोलॉजी के रोद्रिगो यंग ने कहा कि कई लोगों की तरह मैं भी खासतौर पर कम आय वाले देशों में महामारी के सामाजिक और आर्थिक्र प्रभावों को लेकर चिंतित था.

यह भी पढ़ें-हांगकांग : एप्पल डेली अखबार के अंतिम संस्करण की प्रतियां हाथोंहाथ बिकीं

उन्होंने कह कि यह पद्धति न सिर्फ कोविड-19 की व्यापक स्तर पर जांच को आसान बनाएगी, बल्कि इसका उपयोग भविष्य में महामारी को रोकने में भी किया जा सकेगा. इस पद्धति के तहत जांच के लिए डायग्नोसिस बायोटेक द्वारा एक मशीन बनाई जा रही है.

(पीटीआई-भाषा)

लंदन : ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं ने स्मार्टफोन की स्क्रीन से लिए स्वाब का विश्लेषण किया. उन्होंने पाया कि नाक के स्वाब वाली पीसीआर जांच में संक्रमित पाए गए लोग स्मार्टफोन स्क्रीन से लिए गए स्वाब की जांच में भी संक्रमित पाए गए.

नई पद्धति के बारे में मंगलवार को जर्नल ई-लाइफ में बताया गया है. इस पद्धति ने 81 से 100 प्रतिशत संक्रमित लोगों के स्मार्टफोन पर वायरस की मौजूदगी का पता लगाया, जो एक सटीक जांच साबित हो सकती है. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस पद्धति के तहत नमूने एकत्र करने में एक मिनट से भी कम समय लगता है और इसमें मेडिकल कर्मी की भी जरूरत नहीं पड़ती. यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थलमोलॉजी के रोद्रिगो यंग ने कहा कि कई लोगों की तरह मैं भी खासतौर पर कम आय वाले देशों में महामारी के सामाजिक और आर्थिक्र प्रभावों को लेकर चिंतित था.

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उन्होंने कह कि यह पद्धति न सिर्फ कोविड-19 की व्यापक स्तर पर जांच को आसान बनाएगी, बल्कि इसका उपयोग भविष्य में महामारी को रोकने में भी किया जा सकेगा. इस पद्धति के तहत जांच के लिए डायग्नोसिस बायोटेक द्वारा एक मशीन बनाई जा रही है.

(पीटीआई-भाषा)

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