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ब्रिटेन की संसद भंग करना असंवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट से देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद भंग करना गैरकानूनी है. जानें क्या है पूरा मामला...

ब्रेंडा हेल और बोरिस जॉनसन
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Published : Sep 24, 2019, 3:31 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 8:05 PM IST

लंदन: ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि ब्रेक्सिट में संसद को निलंबित करने का प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का निर्णय गैरकानूनी था.

इस फैसले से बोरिस को बड़ा झटका लगा है.बता दें कि जॉनसन ने इस महीने की शुरुआत में पांच सप्ताह के लिए संसद को निलंबित दिया था.

हालांकि, विपक्षी सांसदों और उनकी खुद की कंजरवेटिव पार्टी के कई सदस्यों ने उन पर 31 अक्टूबर ब्रेक्सिट की समयसीमा से पहले मुश्किल समय के दौरान संसदीय जांच से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

भारतीय मूल के एंटी-ब्रेक्सिट प्रचारक जीना मिलर ने ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में बोरिस के फैसले को चुनौती दी थी. जहां उच्च न्यायलय ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायलय भेद दिया.

सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्ष लेडी ब्रेंडा हेल ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा, 'संसद को महामहिम को सलाह देने का फैसला गैरकानूनी था.

उन्होंने कहा 'हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर प्रभाव चरम था.' उन्होंने कहा कि 11 न्यायधीशों का सर्वमति से मानना है कि संसद को भंग करने का फैसला व्यर्थ था.

पढ़ें- ब्रेक्जिट पर शिकस्त के बाद जॉनसन का मध्यावधि चुनाव प्रस्ताव खरिज

कोर्ट का यह फैसला बोर्स जॉनसन के लिए एक बड़े झटको के तौर पर देखा जा रहा है.जो इस वक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका में मौजूद हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा था कि अदालतों को ऐसे राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

लंदन: ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि ब्रेक्सिट में संसद को निलंबित करने का प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का निर्णय गैरकानूनी था.

इस फैसले से बोरिस को बड़ा झटका लगा है.बता दें कि जॉनसन ने इस महीने की शुरुआत में पांच सप्ताह के लिए संसद को निलंबित दिया था.

हालांकि, विपक्षी सांसदों और उनकी खुद की कंजरवेटिव पार्टी के कई सदस्यों ने उन पर 31 अक्टूबर ब्रेक्सिट की समयसीमा से पहले मुश्किल समय के दौरान संसदीय जांच से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

भारतीय मूल के एंटी-ब्रेक्सिट प्रचारक जीना मिलर ने ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में बोरिस के फैसले को चुनौती दी थी. जहां उच्च न्यायलय ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायलय भेद दिया.

सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्ष लेडी ब्रेंडा हेल ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा, 'संसद को महामहिम को सलाह देने का फैसला गैरकानूनी था.

उन्होंने कहा 'हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर प्रभाव चरम था.' उन्होंने कहा कि 11 न्यायधीशों का सर्वमति से मानना है कि संसद को भंग करने का फैसला व्यर्थ था.

पढ़ें- ब्रेक्जिट पर शिकस्त के बाद जॉनसन का मध्यावधि चुनाव प्रस्ताव खरिज

कोर्ट का यह फैसला बोर्स जॉनसन के लिए एक बड़े झटको के तौर पर देखा जा रहा है.जो इस वक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका में मौजूद हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा था कि अदालतों को ऐसे राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

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         Decision to suspend UK parliament was 'unlawful': Supreme Court. (AFP)
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Last Updated : Oct 1, 2019, 8:05 PM IST
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