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ब्रिटेन में भारतीय, अल्पसंख्यक समुदाय के चिकित्साकर्मियों को कोविड-19 से खतरा अधिक - कोविड-19 से खतरा अधिक

भारतीय मूल के चिकित्सकों के ब्रितानी संघ (बीएपीआईओ) के अनुसंधान एवं नमोन्मेष मंच ने जोखिम के कारकों और स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच उभरती चिंताओं का पता लगाने और उन्हें निर्धारित करने के लिए 14 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच ऑनलाइन सर्वेक्षण किया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : Apr 25, 2020, 3:34 PM IST

लंदन : ब्रिटेन में भारतीय और जातीय आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय की पृष्ठभूमि वाले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पेशेवरों पर घातक कोरोना वायरस से संक्रमित होने का अत्यधिक खतरा है. देश में चिकित्साकर्मियों के बीच किए गए एक अनोखे सर्वेक्षण में यह परिणाम सामने आए हैं.

सभी पृष्ठभूमियों से करीब 2,003 प्रतिवादियों ने प्रश्नावली लौटाई, जिसमें अधिकांश (66 प्रतिशत) अस्पताल के डॉक्टर और प्राथमिक देखभाल कर्मी (24 प्रतिशत) थे। सर्वेक्षण में शामिल 86 प्रतिशत लोग अश्वेत, एशियाई और अल्संख्यक जातीय समुदायों से थे जिनमें सबसे अधिक 75 प्रतिशत लोग दक्षिण एशियाई मूल के थे.

बीएपीआईओ के अनुसंधान एवं नमोन्मेष मंच के प्रमुख डॉ इंद्रनील चक्रवर्ती ने कहा, यह अपने आप में बड़ा सर्वेक्षण है जिसमें सभी पृष्ठभूमियों के अश्वेत, एशियाई एवं अल्पसंख्यक जातीय समुदायों के स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे और परिणाम जरा भी चौंकाने वाले नहीं थे कि इस पृष्ठभूमि के लोगों में वायरस से संक्रमित होने का जोखिम सबसे ज्यादा है.

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) का अभाव चिकित्सा कर्मियों के लिए बड़ी चिंता है.

बीएपीआईओ के अध्यक्ष रमेश मेहता ने कहा, “हम सरकार से इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील कर रहे हैं ताकि अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कर्मी खुद बीमार न पड़ें.

लंदन : ब्रिटेन में भारतीय और जातीय आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय की पृष्ठभूमि वाले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पेशेवरों पर घातक कोरोना वायरस से संक्रमित होने का अत्यधिक खतरा है. देश में चिकित्साकर्मियों के बीच किए गए एक अनोखे सर्वेक्षण में यह परिणाम सामने आए हैं.

सभी पृष्ठभूमियों से करीब 2,003 प्रतिवादियों ने प्रश्नावली लौटाई, जिसमें अधिकांश (66 प्रतिशत) अस्पताल के डॉक्टर और प्राथमिक देखभाल कर्मी (24 प्रतिशत) थे। सर्वेक्षण में शामिल 86 प्रतिशत लोग अश्वेत, एशियाई और अल्संख्यक जातीय समुदायों से थे जिनमें सबसे अधिक 75 प्रतिशत लोग दक्षिण एशियाई मूल के थे.

बीएपीआईओ के अनुसंधान एवं नमोन्मेष मंच के प्रमुख डॉ इंद्रनील चक्रवर्ती ने कहा, यह अपने आप में बड़ा सर्वेक्षण है जिसमें सभी पृष्ठभूमियों के अश्वेत, एशियाई एवं अल्पसंख्यक जातीय समुदायों के स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे और परिणाम जरा भी चौंकाने वाले नहीं थे कि इस पृष्ठभूमि के लोगों में वायरस से संक्रमित होने का जोखिम सबसे ज्यादा है.

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) का अभाव चिकित्सा कर्मियों के लिए बड़ी चिंता है.

बीएपीआईओ के अध्यक्ष रमेश मेहता ने कहा, “हम सरकार से इन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील कर रहे हैं ताकि अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कर्मी खुद बीमार न पड़ें.

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