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ब्रिटेन : कोरोना के चलते स्कूली बच्चों के लिए मुफ्त भोजन की मांग - ब्रिटिश संसद के निचले सदन

ब्रिटिश डॉक्टरों ने कोरोना के मद्देनजर विद्यालयों में अवकाश के दौरान बच्चों को मुफ्त भोजन दिए जाने की मांग की है. हालांकि, ब्रिटिश संसद के निचले सदन 'द हाउस ऑफ कॉमन्स' ने पिछले हफ्ते इससे संबंधित कानून को खारिज कर दिया है.

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ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन
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Published : Oct 25, 2020, 11:17 PM IST

लंदन : ब्रिटेन के बाल रोग विशेषज्ञों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह विद्यालय अवकाश के दौरान गरीब बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराए, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने और परिवारों को गरीबी में धकेल दिया है.

'रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ' के करीब 2,200 सदस्यों ने ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को एक खुला पत्र लिखा है. जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कदम वापस नहीं खींचने के पीएम के फैसले से स्तब्ध हैं. उन्होंने बोरिस से अपना फैसला बदलने का आग्रह किया है.

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ब्रिटिश संसद के निचले सदन 'द हाउस ऑफ कॉमन्स' ने पिछले हफ्ते उस कानून को खारिज कर दिया था, जो अक्टूबर से ईस्टर की छुट्टियों तक विद्यालय अवकाश के दौरान बच्चों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराने का रास्ता साफ करता.

बता दें कि इंग्लैंड में अधिकतर विद्यालयों में सोमवार से एक हफ्ते का अवकाश शुरू हो रहा है.

चिकित्सकों ने कहा कि करीब 40 लाख बच्चे गरीबी में रहते हैं और उनमें से एक तिहाई स्कूल में मिलने वाले मुफ्त भोजन पर निर्भर हैं. उन्होंने दलील दी कि ब्रिटेन में महामारी के दौरान कई अभिभावकों की नौकरी चली गई या उन्हें कम घंटों के लिए ही काम मिल रहा है, ऐसे में गरीब बच्चों को कम से कम दिन में एक वक्त पोषणयुक्त भोजन मिलता.

चिकित्सकों ने लिखा, 'जो परिवार पहले अपने खर्च उठा पा रहे थे, वे अब कोविड-19 के प्रभाव की वजह से खर्च चला पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें यूं ही अवकाश पर भेज देना सही नहीं होगा. वह भी यह जानते हुए कि उनमें से कई बच्चे भूखे रहेंगे.'

लंदन : ब्रिटेन के बाल रोग विशेषज्ञों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह विद्यालय अवकाश के दौरान गरीब बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराए, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने और परिवारों को गरीबी में धकेल दिया है.

'रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ' के करीब 2,200 सदस्यों ने ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को एक खुला पत्र लिखा है. जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कदम वापस नहीं खींचने के पीएम के फैसले से स्तब्ध हैं. उन्होंने बोरिस से अपना फैसला बदलने का आग्रह किया है.

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ब्रिटिश संसद के निचले सदन 'द हाउस ऑफ कॉमन्स' ने पिछले हफ्ते उस कानून को खारिज कर दिया था, जो अक्टूबर से ईस्टर की छुट्टियों तक विद्यालय अवकाश के दौरान बच्चों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराने का रास्ता साफ करता.

बता दें कि इंग्लैंड में अधिकतर विद्यालयों में सोमवार से एक हफ्ते का अवकाश शुरू हो रहा है.

चिकित्सकों ने कहा कि करीब 40 लाख बच्चे गरीबी में रहते हैं और उनमें से एक तिहाई स्कूल में मिलने वाले मुफ्त भोजन पर निर्भर हैं. उन्होंने दलील दी कि ब्रिटेन में महामारी के दौरान कई अभिभावकों की नौकरी चली गई या उन्हें कम घंटों के लिए ही काम मिल रहा है, ऐसे में गरीब बच्चों को कम से कम दिन में एक वक्त पोषणयुक्त भोजन मिलता.

चिकित्सकों ने लिखा, 'जो परिवार पहले अपने खर्च उठा पा रहे थे, वे अब कोविड-19 के प्रभाव की वजह से खर्च चला पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें यूं ही अवकाश पर भेज देना सही नहीं होगा. वह भी यह जानते हुए कि उनमें से कई बच्चे भूखे रहेंगे.'

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