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2020 में पत्रकारों पर हमले बढ़े : रिपोर्ट

पत्रकारों के साथ हिंसा के मामले को लेकर रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नाम के संगठन ने कहा कि अशांत क्षेत्रों के बाहर बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्या के मामले सामने आ रहे हैं.

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Published : Dec 29, 2020, 10:51 PM IST

पेरिस : रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नामक संगठन ने मंगलवार को दावा किया कि अशांत क्षेत्रों के बाहर बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्या के मामले आ रहे हैं और इस साल कम से 50 पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, जिनमें से अधिकतर को संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और पर्यावरण क्षय जैसे विषयों पर काम करने के दौरान मारा गया.

पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को उनके काम के सिलसिले में मारे जाने का दिसंबर के मध्य तक का आंकड़ा 2019 के आंकड़ों से थोड़ा ही कम है. उस साल इस संगठन ने 53 पत्रकारों के मारे जाने का दावा किया था. हालांकि 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से बड़ी संख्या में पत्रकार फील्ड में नहीं थे.

पढ़ें :- ईरान ने पत्रकार की फांसी का विरोध करने पर यूरोपीय संघ के दूतों को किया तलब

संगठन ने कहा कि इस साल जान गंवाने वाले पत्रकारों में से 68 प्रतिशत की जान संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों के बाहर गई. 2020 में पत्रकारों को निशाना बनाकर उनकी हत्या करने के मामलों में वृद्धि हुई और ये 84 प्रतिशत हो गए. 2019 में यह आंकड़ा 63 प्रतिशत था.

इसमें मेक्सिको को मीडियाकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक देश बताया गया है.

पेरिस : रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नामक संगठन ने मंगलवार को दावा किया कि अशांत क्षेत्रों के बाहर बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्या के मामले आ रहे हैं और इस साल कम से 50 पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, जिनमें से अधिकतर को संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और पर्यावरण क्षय जैसे विषयों पर काम करने के दौरान मारा गया.

पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को उनके काम के सिलसिले में मारे जाने का दिसंबर के मध्य तक का आंकड़ा 2019 के आंकड़ों से थोड़ा ही कम है. उस साल इस संगठन ने 53 पत्रकारों के मारे जाने का दावा किया था. हालांकि 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से बड़ी संख्या में पत्रकार फील्ड में नहीं थे.

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संगठन ने कहा कि इस साल जान गंवाने वाले पत्रकारों में से 68 प्रतिशत की जान संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों के बाहर गई. 2020 में पत्रकारों को निशाना बनाकर उनकी हत्या करने के मामलों में वृद्धि हुई और ये 84 प्रतिशत हो गए. 2019 में यह आंकड़ा 63 प्रतिशत था.

इसमें मेक्सिको को मीडियाकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक देश बताया गया है.

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