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भ्रष्टाचार मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी से बचाव में पक्ष रखने को कहा गया - पत्नी से बचाव में पक्ष

मलेशिया की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पत्नी को 31 करोड़ अमेरिका डॉलर की कीमत वाली सौर ऊर्जा परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अपने बचाव में पक्ष रखने को कहा है.

रोशमा मंसूर
रोशमा मंसूर
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Published : Feb 18, 2021, 3:52 PM IST

कुआलालंपुर : मलेशिया की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पत्नी को बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि वह 1.25 अरब रिंगिट (31 करोड़ अमेरिका डॉलर) कीमत वाली सौर ऊर्जा परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अपने बचाव में पक्ष रखें.

गौरतलब है कि कुछ ही महीनों पहले भ्रष्टाचार के कई मामलों में से एक में नजीब को दोषी करार देते हुए अदालत ने 12 साल की सजा सुनायी थी. ऐसे में बृहस्पतिवार को आया अदालत का आदेश रोशमा मंसूर के लिए बड़ा झटका है. नजीब अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मोहम्मद जैनी मजलान ने कहा कि अभियोजकों ने रोशमा मंसूर के खिलाफ भ्रष्टाचार के तीन आरोपों में मुकदमा जारी रखने के लिए पर्याप्त सबूत दिए हैं.

पढ़ें - कैपिटल बिल्डिंग पर हुए हमले की जांच करेगा स्वतंत्र आयोग : पेलोसी

जज ने कहा, 'मैंने पाया कि अभियोजन पक्ष ने तीनों आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत दिए हैं, अगर उन्हें गलत साबित नहीं किया जाता, या उसपर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है तो, ऐसे में (आरोपी को) दोषी करार दिया जाएगा.'

कुआलालंपुर : मलेशिया की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पत्नी को बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि वह 1.25 अरब रिंगिट (31 करोड़ अमेरिका डॉलर) कीमत वाली सौर ऊर्जा परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अपने बचाव में पक्ष रखें.

गौरतलब है कि कुछ ही महीनों पहले भ्रष्टाचार के कई मामलों में से एक में नजीब को दोषी करार देते हुए अदालत ने 12 साल की सजा सुनायी थी. ऐसे में बृहस्पतिवार को आया अदालत का आदेश रोशमा मंसूर के लिए बड़ा झटका है. नजीब अपनी सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मोहम्मद जैनी मजलान ने कहा कि अभियोजकों ने रोशमा मंसूर के खिलाफ भ्रष्टाचार के तीन आरोपों में मुकदमा जारी रखने के लिए पर्याप्त सबूत दिए हैं.

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जज ने कहा, 'मैंने पाया कि अभियोजन पक्ष ने तीनों आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत दिए हैं, अगर उन्हें गलत साबित नहीं किया जाता, या उसपर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है तो, ऐसे में (आरोपी को) दोषी करार दिया जाएगा.'

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