कोलंबो : श्रीलंका में शनिवार को आठवें राष्ट्रपति चुनाव के लिए 80 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. देश अभी भी लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध और सात महीने पहले ईस्टर के दिन यहां हुए आतंकी हमले के घावों से उबर रहा है. मतदान होने के बाद मतपेटियों को मतगणना केंद्रों तक पहुंचाया गया. कुल 12,845 मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ. ईस्टर के दिन हुए बम धमाकों के बाद हुए राजनीतिक ध्रुवीकरण और सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए श्रीलंका के भविष्य के लिए यह निर्वाचन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कोलंबो में शहरी इलाकों में कम वोटर देखे गये. ईटीवी भारत से बात करते हुए एक मतदाता ने कहा कि वह बदलाव के लिए मतदान करने आया है.
मतदान का समय शाम पांच बजे तक निर्धारित किया गया था. ऐसे में माना जा रहा है कि शाम करीब सात बजे से पोस्टल बैलेट गिने जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
1982 के बाद ऐसा पहली बार है, जब राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक दावेदार मैदान में हैं. 2015 में केवल 18 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था.
सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोटाभाया राजपक्षे (70) के बीच मुख्य मुकाबला है. इसके अलावा 35 उम्मीदवार भी अपना भाग्य इस मतदान में अजमा रहे हैं.
राष्ट्रपति चुनाव पर एक स्कूली शिक्षिका निरोशा नानायाक्करा (Nirosha Nanayakkara) ने कहा कि सत्ता में कोई ऐसा नहीं आना चाहिए, जिसका निजी एजेंडा हो. नेता ऐसा हो जो लोगों की भलाई के बारे में सोचे, कोई ऐसा नहीं, जिसे सिर्फ पावर चाहिए.
एक अन्य मतदाता सार्थ परेरा ने कहा कि वे सिर्फ बातें करने वाले उम्मीदवार का समर्थन नहीं करते. परेरा ने कहा कि वे काम करने वाले उम्मीदवार का समर्थन करते हैं, जो कम बातें करता है, वही काम करता है. परेरा पूर्व एटॉर्नी रह चुके हैं.
नीचे की लिंक पर देखें कोलंबो से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट
श्रीलंकाई राष्ट्रपति के सलाहकार से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत
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करीब 1.6 करोड़ वोटर तय करेंगे 35 उम्मीदवारों की किस्मत, सुर्खियों में हैं राजपक्षे और प्रेमदासा
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सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी जनरल एमडी फर्नांडो ने कहा कि हमें ऐसा नेता चाहिए, जो श्रीलंका को आगे ले जा सके. उन्होंने कहा कि उम्मीदवार ऐसा हो जो देश के विकास में खुद को ऊर्जावान और हिम्मतवाला साबित कर सके.
विभिन्न शहरों के मत-प्रतिशत पर एक नजर :-
- पोलोन्नारुवा में पूर्वाह्न 10 बजे तक मतदान - 48%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक गमपाहा में मतदान - 40%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक किलिनोच्ची में मतदान - 30%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक वावुनिया में मतदान - 35%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक जाफना में मतदान - 24%
- मन्नार में पूर्वाह्न 10 बजे तक मतदान - 30%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक पुट्टलम में मतदान- 40%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक मोनेरगाला में मतदान - 45%
- पूर्वाह्न 10 बजे तक केगाल्ले में मतदान- 37%
- कैंडी में पूर्वाह्न 10 बजे तक मतदान - 30%
श्रीलंकाई राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे ने अपना वोट डाला
लंबे चुनाव प्रचार के बाद गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग की. बता दें कि उनका चुनाव प्रचार मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक चरमपंथ पर केंद्रित था.
राजपक्षे ने मतदान केंद्र के बाहर जुटे पत्रकारों की भारी भीड़ के बीच कहा कि वह जीत के लिए 'आश्वस्त' है. उन्होंने कहा, 'श्रीलंका के लोगों को मेरी अध्यक्षता में एक बेहतरीन भविष्य मिलेगा. '
मुस्लिम मतदाताओं को ले जा रहीं बसों पर गोलीबारी
मतदान के बीच यह खबर आई कि बंदूकधारियों ने श्रीलंका चुनाव में मतदाताओं को ले जा रहीं बसों के एक काफिले पर हमला किया है.
बता दें कि उत्तर पश्चिम श्रीलंका में शनिवार को अल्पसंख्यक मुस्लिम मतदाताओं को ले जा रहीं बसों के एक काफिले पर कुछ बंदूकधारियों ने गोलियां चलाईं.यह घटना मतदान से कुछ घंटे पहले हुई. पुलिस ने यह जानकारी दी.
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कड़ा मुकाबला
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव में आवासीय मंत्री सजिथा प्रेमदासा और विपक्ष के गोटाबाया राजपक्षे के बीच कड़ा मुकाबला है. तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के मत इस करीबी मुकाबले में बहुत महत्वपूर्ण हैं.
चुनाव में पूर्व रक्षा मंत्री गोटाबाया राजपक्षे और सत्ताधारी दल के उम्मीदवार सजिथा प्रेमदासा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. चुनाव में श्रीलंका के 1.59 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और 35 प्रत्याशियों में एक को वर्तमान राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना का उत्तराधिकारी चुनेंगे.
सत्ताधारी दल संयुक्त राष्ट्रीय पार्टी (यूएनपी) के उम्मीदवार प्रेमदासा को अपनी ‘आम आदमी के नेता’ वाली छवि पर भरोसा है, जो उन्हें उनके पिता से विरासत में मिली है. हालांकि पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे अपने चुनाव प्रचार में प्रेमदासा के पिता की सत्तावादी छवि की भी याद दिला रहे हैं.
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उनका कहना है कि कोई भी प्रेमदासा के आतंक के राज में नहीं लौटना चाहता. गौरतलब है कि राजपक्षे अपने छोटे भाई गोटाबाया के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. गोटाबाया रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं. उन्होंने लिट्टे के विरुद्ध सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था.
(एक्सट्रा इनपुट- एजेंसी)