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नेपाल में नया राजनीतिक नक्शा : संविधान संशोधन पर विचार का प्रस्ताव उच्च सदन से अनुमोदित

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Published : Jun 14, 2020, 11:46 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 12:23 PM IST

नेपाल के सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने शनिवार को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया. इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है. एक दिन पहले ही निचले सदन ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

नेपाली उच्च सदन
नेपाली उच्च सदन

काठमांडू : नेपाली संसद के उच्च सदन ने देश के नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करने के संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया. इन नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इससे एक दिन पहले ही निचले सदन ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था.

नेपाल के सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने शनिवार को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया. इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है. भारत ने इस कदम का सख्त विरोध करते हुए इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया था.

शनिवार को नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया. प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा.

अब विधेयक को नेशनल असेंबली में फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा. सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है.

समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट की एक खबर के मुताबिक नेशनल असेंबली सचिवालय के सचिव राजेंद्र फुयाल ने रविवार को सदन की पहली बैठक में विधेयक को पेश किया.

अखबार के मुताबिक, रविवार को बाद में नेशनल असेंबली की दूसरी बैठक के दौरान विधि मंत्री शिवमाया तुम्बाहाम्फे ने इस विधेयक पर विचार के लिए प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया कि चर्चा के बाद विधेयक पर विचार करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया.

नेशनल असेंबली ने सांसदों को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन पेश करने के लिए 72 घंटे का वक्त दिया है.

फुयाद को उद्धृत करते हुए अखबार ने कहा, 'हम विधेयक को अगले चार दिन में पारित करने के लिए आवश्यक तैयारियां कर रहे हैं.'

नेशनल असेंबली से पारित होने के बाद विधेयक राष्ट्रपति के पास दस्तखत के लिए जाएगा. उनके दस्तखत के बाद यह संविधान में शामिल कर लिया जाएगा और हर सरकारी दस्तावेज में फिर इसी नक्शे का इस्तेमाल होगा.

इस बीच हिमालयन टाइम्स की खबर के मुताबिक मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह कूटनीतिक प्रयास तेज करे जिससे यह सुनिश्चित हो कि देश के राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शे के अद्यतन के बाद कालापानी इलाके में देश का अधिकार हो.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को अपने बयान में कहा था कि हमने नेपाल द्वारा नए मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के संविधान संशोधन विधेयक वहां के हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव में पारित होते देखा है. हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. उन्होंने कहा कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है.

पढे़ं - भारत-नेपाल सीमा विवाद : यूपी के सात जिलों में अलर्ट जारी

प्रवक्ता ने कहा, 'यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने की हमारी वर्तमान समझ का भी उल्लंघन है.' कुछ दिन पहले भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा था कि उत्तराखंड के कालापानी, धारचूला और लिपुलेख को शामिल करने के मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार के समक्ष अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है.

काठमांडू : नेपाली संसद के उच्च सदन ने देश के नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करने के संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया. इन नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इससे एक दिन पहले ही निचले सदन ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था.

नेपाल के सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने शनिवार को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया. इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है. भारत ने इस कदम का सख्त विरोध करते हुए इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया था.

शनिवार को नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया. प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा.

अब विधेयक को नेशनल असेंबली में फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा. सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है.

समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट की एक खबर के मुताबिक नेशनल असेंबली सचिवालय के सचिव राजेंद्र फुयाल ने रविवार को सदन की पहली बैठक में विधेयक को पेश किया.

अखबार के मुताबिक, रविवार को बाद में नेशनल असेंबली की दूसरी बैठक के दौरान विधि मंत्री शिवमाया तुम्बाहाम्फे ने इस विधेयक पर विचार के लिए प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया कि चर्चा के बाद विधेयक पर विचार करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया.

नेशनल असेंबली ने सांसदों को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन पेश करने के लिए 72 घंटे का वक्त दिया है.

फुयाद को उद्धृत करते हुए अखबार ने कहा, 'हम विधेयक को अगले चार दिन में पारित करने के लिए आवश्यक तैयारियां कर रहे हैं.'

नेशनल असेंबली से पारित होने के बाद विधेयक राष्ट्रपति के पास दस्तखत के लिए जाएगा. उनके दस्तखत के बाद यह संविधान में शामिल कर लिया जाएगा और हर सरकारी दस्तावेज में फिर इसी नक्शे का इस्तेमाल होगा.

इस बीच हिमालयन टाइम्स की खबर के मुताबिक मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह कूटनीतिक प्रयास तेज करे जिससे यह सुनिश्चित हो कि देश के राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शे के अद्यतन के बाद कालापानी इलाके में देश का अधिकार हो.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को अपने बयान में कहा था कि हमने नेपाल द्वारा नए मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के संविधान संशोधन विधेयक वहां के हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव में पारित होते देखा है. हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. उन्होंने कहा कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है.

पढे़ं - भारत-नेपाल सीमा विवाद : यूपी के सात जिलों में अलर्ट जारी

प्रवक्ता ने कहा, 'यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने की हमारी वर्तमान समझ का भी उल्लंघन है.' कुछ दिन पहले भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा था कि उत्तराखंड के कालापानी, धारचूला और लिपुलेख को शामिल करने के मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार के समक्ष अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है.

Last Updated : Jun 15, 2020, 12:23 PM IST
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