ढाका : संयुक्त राष्ट्र और बांग्लादेश सरकार ने बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों के संरक्षण तथा अन्य प्रबंधन के लिए मिलकर काम करने के वास्ते एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. हजारों शरणार्थियों को म्यांमार से लगी सीमा के पास स्थित शिविरों से हटाकर इस द्वीप पर लाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि दक्षिणी बांग्लादेश के 11 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों में से 19,000 से अधिक को सरकार ने भसन चार द्वीप पहुंचा दिया है. ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का मुख्य कारण इस आबादी की मदद करना है.
सरकार ने पहले कहा था कि उसकी कॉक्स बाजार जिले के शिविरों से 1,00,000 शरणार्थियों को चरणबद्ध तरीके से द्वीप पहुंचाने की योजना है. नया समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य मानवीय सहायता समूहों ने इस पुनर्वास की आलोचना करते हुए कहा था कि देश के नोआखली जिले में 30 वर्ष पुराना द्वीप निवास के लिए उपयुक्त नहीं है, लेकिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने कहा था कि द्वीप को विकसित करने के लिए 11.2 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि खर्च की गई है और यह अब एक संवेदनशील क्षेत्र नहीं रहा, जो बार-बार मानसून की बारिश के कारण डूब जाता था. द्वीप में अब समुद्र के आस-पास दीवारें, अस्पताल, स्कूल और मस्जिदें हैं.
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अधिकारियों ने शनिवार को हुए समझौते के बाद कहा कि अन्य 81,000 शरणार्थियों को अगले तीन महीने में द्वीप पर पहुंचाया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के जोरदार विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय निकाय की एक टीम ने मार्च में द्वीप का दौरा किया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने अपना विचार बदलना शुरू किया था.
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने एक बयान में कहा कि नया समझौता रोहिंग्या आबादी के म्यांमार में सुरक्षित और स्थायी रूप से वापस लौटने तक उसके प्रति 'बांग्लादेश की उदारता एवं समर्थन की एक और अभिव्यक्ति है.'
(पीटीआई-भाषा)