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तुर्की ने नरसंहार की घोषणा पर अमेरिकी राजदूत को तलब किया - उपमंत्री सेदात ओनल

तुर्की ने आर्मेनियाई लोगों को देश निकाला और उनकी हत्या को 'नरसंहार' करार देने के अमेरिका के फैसले का विरोध किया और अमेरिकी राजदूत को तलब कर इसकी निंदा की.

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Published : Apr 25, 2021, 6:18 PM IST

इस्तांबुल : तुर्की के विदेश मंत्रालय ने उस्मानिया साम्राज्य के दौरान आर्मेनियाई लोगों को देश निकाला और उनकी हत्या को 'नरसंहार' करार देने के अमेरिका के फैसले का विरोध करने के लिए अंकारा में अमेरिकी राजदूत को तलब किया है.

विदेश उपमंत्री सेदात ओनल ने शनिवार देर रात डेविड सैटरफील्ड से मुलाकात कर तुर्की की कड़ी निंदा से अवगत कराया.

मंत्रालय ने कहा, 'इस बयान का अंतरराष्ट्रीय कानून के लिहाज से कोई वैध आधार नहीं है और इसने तुर्की के लोगों को आहत किया है, ऐसे जख्म को कुरेद कर, जो हमारे रिश्तों के लिए नासूर जैसा है.'

शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक अभियान के दौरान किए गए वादे को पूरा किया. 1915 में इन घटनाओं में करीब 15 लाख उस्मानियाई आर्मेनियाई के मारे जाने को नरसंहार करार देने को कहा गया था. इस बयान को बहुत ध्यान से तैयार किया गया, जिसमें कहा गया कि उम्सानियाई साम्राज्य में देश निकाला, नरसंहार और मौत के जुलूस निकाले गए.

पढ़ें - कोविड-19 की घातक लहर के बीच भारत को तेजी से अतिरिक्त मदद देगा अमेरिका : ब्लिंकेन

बयान में कहा गया, 'हमने वह दर्द महसूस किया है. हम इतिहास की पुन: पुष्टि करते हैं. हमने यह दोष देने के लिए नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि जो हुआ वह कभी दोहराया न जाए.'

इस्तांबुल : तुर्की के विदेश मंत्रालय ने उस्मानिया साम्राज्य के दौरान आर्मेनियाई लोगों को देश निकाला और उनकी हत्या को 'नरसंहार' करार देने के अमेरिका के फैसले का विरोध करने के लिए अंकारा में अमेरिकी राजदूत को तलब किया है.

विदेश उपमंत्री सेदात ओनल ने शनिवार देर रात डेविड सैटरफील्ड से मुलाकात कर तुर्की की कड़ी निंदा से अवगत कराया.

मंत्रालय ने कहा, 'इस बयान का अंतरराष्ट्रीय कानून के लिहाज से कोई वैध आधार नहीं है और इसने तुर्की के लोगों को आहत किया है, ऐसे जख्म को कुरेद कर, जो हमारे रिश्तों के लिए नासूर जैसा है.'

शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक अभियान के दौरान किए गए वादे को पूरा किया. 1915 में इन घटनाओं में करीब 15 लाख उस्मानियाई आर्मेनियाई के मारे जाने को नरसंहार करार देने को कहा गया था. इस बयान को बहुत ध्यान से तैयार किया गया, जिसमें कहा गया कि उम्सानियाई साम्राज्य में देश निकाला, नरसंहार और मौत के जुलूस निकाले गए.

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बयान में कहा गया, 'हमने वह दर्द महसूस किया है. हम इतिहास की पुन: पुष्टि करते हैं. हमने यह दोष देने के लिए नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि जो हुआ वह कभी दोहराया न जाए.'

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