ETV Bharat / international

शांति वार्ता में देरी के लिए अफगान सरकार जिम्मेदार : तालिबान

author img

By

Published : Jul 20, 2020, 3:26 PM IST

तालिबान के एक प्रमुख सदस्य ने शांति वार्ता में देरी के लिए अफगान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. यह वार्ता अफगानिस्तान और तालिबान के बीच होने वाली थी. इसके बाद तालिबान के एक अन्य सदस्य ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ संर्घष विराम का समझौता नहीं है, वहां पर खूनी संघर्ष होते रहेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

concept image
प्रतीकात्मक तस्वीर

काबुल : दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सदस्य ने अफगानिस्तान के साथ शांति वार्ता में देरी के लिए गनी सरकार को दोषी ठहराया है. इस शांति वार्ता का उद्देश्य अफगानिस्तान में दशकों से चल रहे युद्ध को समाप्त करना है और देश में शांति बहाल करना है.

अमेरिका और तालिबान के बीच इसी वर्ष 29 फरवरी के समझौते के 10 दिन बाद इस वार्ता के शुरू होने की उम्मीद थी. यह वार्ता पूरी तरह से अफगान सरकार और आतंकवादी समूह द्वारा एक कैदी विनिमय को पूरा करने पर निर्भर है.

दोहा में तालिबान के कार्यालय के प्रमुख सदस्य शहाबुद्दीन डेलवार ने रविवार को एक समाचार चैनल से कहा कि कैदियों की रिहाई को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और काबुल से एक समावेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की जानी चाहिए.

शहाबुद्दीन ने कहा, 'पिछले चार महीनों में सभी खूनी घटनाओं की जिम्मेदारी अफगान सरकार पर है क्योंकि अफगान सरकार को 15 मार्च तक हमारे 5,000 लोगों को रिहा कर देना चाहिए था. हम 10 दिनों में 1,000 बंदियों को रिहा करने के लिए तैयार थे.'

कार्यालय के एक अन्य सदस्य नूरुल्लाह नूरी ने अमेरिका पर शांति समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तालिबान ने अफगान बलों के साथ युद्ध विराम की घोषणा नहीं की है.

पढ़ें : तालिबान और अफगान सरकार में जल्द शुरू हो सकती है वार्ता : अमेरिका

नूरी ने कहा, 'चौकियों, जिलों और सार्वजनिक मार्गों पर हमले जारी रहेंगे क्योंकि हमारे और काबुल के बीच युद्ध विराम नहीं हुआ है.'

इस बीच राष्ट्रपति के प्रवक्ता सादिक सिद्दकी ने तालिबान की आलोचना करते हुए कहा, 'शांति प्रयासों के लिए समूह ने अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया है. उन्होंने हमारे बंदियों को रिहा नहीं किया है. आप तालिबान द्वारा हिंसा के स्तर को देख सकते हैं- जहां यह पहुंच गया है'

उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों, धार्मिक विद्वानों और अस्पतालों पर हमले, हत्याएं जारी हैं.

काबुल : दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सदस्य ने अफगानिस्तान के साथ शांति वार्ता में देरी के लिए गनी सरकार को दोषी ठहराया है. इस शांति वार्ता का उद्देश्य अफगानिस्तान में दशकों से चल रहे युद्ध को समाप्त करना है और देश में शांति बहाल करना है.

अमेरिका और तालिबान के बीच इसी वर्ष 29 फरवरी के समझौते के 10 दिन बाद इस वार्ता के शुरू होने की उम्मीद थी. यह वार्ता पूरी तरह से अफगान सरकार और आतंकवादी समूह द्वारा एक कैदी विनिमय को पूरा करने पर निर्भर है.

दोहा में तालिबान के कार्यालय के प्रमुख सदस्य शहाबुद्दीन डेलवार ने रविवार को एक समाचार चैनल से कहा कि कैदियों की रिहाई को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और काबुल से एक समावेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की जानी चाहिए.

शहाबुद्दीन ने कहा, 'पिछले चार महीनों में सभी खूनी घटनाओं की जिम्मेदारी अफगान सरकार पर है क्योंकि अफगान सरकार को 15 मार्च तक हमारे 5,000 लोगों को रिहा कर देना चाहिए था. हम 10 दिनों में 1,000 बंदियों को रिहा करने के लिए तैयार थे.'

कार्यालय के एक अन्य सदस्य नूरुल्लाह नूरी ने अमेरिका पर शांति समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तालिबान ने अफगान बलों के साथ युद्ध विराम की घोषणा नहीं की है.

पढ़ें : तालिबान और अफगान सरकार में जल्द शुरू हो सकती है वार्ता : अमेरिका

नूरी ने कहा, 'चौकियों, जिलों और सार्वजनिक मार्गों पर हमले जारी रहेंगे क्योंकि हमारे और काबुल के बीच युद्ध विराम नहीं हुआ है.'

इस बीच राष्ट्रपति के प्रवक्ता सादिक सिद्दकी ने तालिबान की आलोचना करते हुए कहा, 'शांति प्रयासों के लिए समूह ने अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया है. उन्होंने हमारे बंदियों को रिहा नहीं किया है. आप तालिबान द्वारा हिंसा के स्तर को देख सकते हैं- जहां यह पहुंच गया है'

उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों, धार्मिक विद्वानों और अस्पतालों पर हमले, हत्याएं जारी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.