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श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने विवादित बौद्ध भिक्षु के नेतृत्व में कार्यबल किया गठित

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 'एक देश, एक कानून' की अवधारणा की स्थापना के लिए मुसलमान विरोधी विचार रखने वाले एक कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु के नेतृत्व में 13 सदस्यीय कार्यबल नियुक्त किया है.

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Published : Oct 27, 2021, 5:16 PM IST

कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे जब 2019 में बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के जबरदस्त सहयोग से देश के राष्ट्रपति चुने गए थे, उस समय ‘एक देश, एक कानून’ उनका चुनावी नारा था.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने 'एक देश, एक कानून' अवधारणा की स्थापना के लिए एक विशेष राजपत्र के जरिए कार्यबल नियुक्त किया. इसका प्रमुख कट्टर बौद्ध भिक्षु गलगोडा अठथे ज्ञानसार को बनाया गया है, जो देश में मुस्लिम विरोधी घृणा का प्रतीक बन चुके हैं. ज्ञानसार की बोडु बाला सेना (बीबीएस) या बौद्ध शक्ति बल को 2013 में मुस्लिम विरोधी दंगों में आरोपी बनाया गया था.

चार मुस्लिम विद्वान भी इस कार्य बल के सदस्य हैं, लेकिन इसमें अल्पसंख्यक तमिलों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. मंगलवार को जारी राजपत्र के अनुसार इस कार्यबल को 'एक देश, एक कानून' की अवधारणा के क्रियान्वयन का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया है. यह कार्य बल राष्ट्रपति राजपक्षे को मासिक प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा और फिर 28 फरवरी, 2022 तक अंतिम रिपोर्ट पेश करेगा.

'एक देश, एक कानून' की अवधारणा को सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने बढ़ावा दिया था, ताकि वह बढ़ते इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का समर्थन हासिल कर सके. देश में शरिया कानून लागू करने के प्रयास का राष्ट्रवादी समूहों ने विरोध करते हुए कहा था कि यह मुस्लिम चरमपंथ को बढ़ावा देता है.

इस अवधारणा को 2019 ईस्टर आत्मघाती हमले के बाद और बल मिला था. इस हमले में 11 भारतीयों सहित 270 से अधिक लोग मारे गए थे. इस हमले के लिए चरमपंथी इस्लामी समूह ‘नेशनल तौहीद जमात’ को जिम्मेदार ठहराया गया था.

पढ़ें : अफगानिस्तान पर बैठक की मेजबानी करने को तैयार ईरान, भारत को नहीं मिला न्योता
(पीटीआई-भाषा)

कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे जब 2019 में बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के जबरदस्त सहयोग से देश के राष्ट्रपति चुने गए थे, उस समय ‘एक देश, एक कानून’ उनका चुनावी नारा था.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने 'एक देश, एक कानून' अवधारणा की स्थापना के लिए एक विशेष राजपत्र के जरिए कार्यबल नियुक्त किया. इसका प्रमुख कट्टर बौद्ध भिक्षु गलगोडा अठथे ज्ञानसार को बनाया गया है, जो देश में मुस्लिम विरोधी घृणा का प्रतीक बन चुके हैं. ज्ञानसार की बोडु बाला सेना (बीबीएस) या बौद्ध शक्ति बल को 2013 में मुस्लिम विरोधी दंगों में आरोपी बनाया गया था.

चार मुस्लिम विद्वान भी इस कार्य बल के सदस्य हैं, लेकिन इसमें अल्पसंख्यक तमिलों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. मंगलवार को जारी राजपत्र के अनुसार इस कार्यबल को 'एक देश, एक कानून' की अवधारणा के क्रियान्वयन का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया है. यह कार्य बल राष्ट्रपति राजपक्षे को मासिक प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा और फिर 28 फरवरी, 2022 तक अंतिम रिपोर्ट पेश करेगा.

'एक देश, एक कानून' की अवधारणा को सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने बढ़ावा दिया था, ताकि वह बढ़ते इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का समर्थन हासिल कर सके. देश में शरिया कानून लागू करने के प्रयास का राष्ट्रवादी समूहों ने विरोध करते हुए कहा था कि यह मुस्लिम चरमपंथ को बढ़ावा देता है.

इस अवधारणा को 2019 ईस्टर आत्मघाती हमले के बाद और बल मिला था. इस हमले में 11 भारतीयों सहित 270 से अधिक लोग मारे गए थे. इस हमले के लिए चरमपंथी इस्लामी समूह ‘नेशनल तौहीद जमात’ को जिम्मेदार ठहराया गया था.

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(पीटीआई-भाषा)

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