कोलंबो: श्रीलंकाई मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission of Sri Lanka) ने आतंकवाद विरोधी कानून (anti terrorism law srilanka) पीटीए को समाप्त करने का आह्वान किया है. तमिल और मुस्लिम राजनीतिक दलों ने इस कानून को लेकर आपत्ति जताई थी और वह लंबे समय से इसका विरोध कर रहे हैं. उनके मुताबिक यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है.
आतंकवाद रोकथाम अधिनियम (पीटीए) को 1979 में बनाया गया था. यदि किसी व्यक्ति पर आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने का संदेह है तो यह कानून पुलिस अधिकारियों को उसकी वारंट रहित गिरफ्तारी करने और तलाशी लेने की अनुमति देता है. श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग (एचआरसी) की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रोहिणी मारासिंघे ने कहा कि यह कानून स्पष्ट रूप से उन लोगों के लिए है जो राजनीतिक-वैचारिक या धार्मिक कारण को आगे बढ़ाने के लिए भय फैलाकर आम नागरिकों को लक्षित करने के लिए अवैध रूप से हिंसा की धमकी देते हैं या उपयोग करते हैं.
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एचआरसी का यह बयान अल्पसंख्यक तमिल और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक दलों द्वारा विवादास्पद कानून को निरस्त करने के समर्थन में हस्ताक्षर एकत्र करने के लिए अभियान शुरू करने के एक दिन बाद आया है.