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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा संविधान के 19वें संशोधन को हटाया जाएगा

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाषण के दौरान इस बात पर भी जोर दिया कि उनका शासन बौद्ध धर्म को सबसे महत्वपूर्ण स्थान देगा. श्रीलंका में 77 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं.

संविधान के 19वें संशोधन को हटाया जाएगा
संविधान के 19वें संशोधन को हटाया जाएगा
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Published : Aug 20, 2020, 10:43 PM IST

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने संकल्प लिया कि राष्ट्रपति की शक्ति को कम करने वाले तथा संसद की भूमिका को मजबूत बनाने वाले संविधान के 19वें संशोधन को समाप्त किया जाएगा.

उन्होंने नयी संसद के पहले सत्र में अपने पारंपरिक भाषण में अपनी नीतियों को रेखांकित किया तथा कहा, ' हमारा पहला काम संविधान के 19 वें संशोधन को हटाना होगा.'

उनका यह बयान बुधवार को उनके मंत्रियों द्वारा की गई टिप्पणियों के विपरीत है कि संशोधन 19ए में संशोधन किया जाएगा और उसके कुछ अच्छे प्रावधानों को बरकरार रखा जाएगा.

वर्ष 2015 में तत्कालीन सुधारवादी सरकार ने संविधान में 19 ए शामिल किया था, जिसकी राजपक्षे धड़े ने तीखी आलोचना की थी. इस संशोधन के तहत दोहरी नागरिकता रखने वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक थी. उस समय, वर्तमान राष्ट्रपति सहित राजपक्षे परिवार के दो सदस्य अमेरिका और श्रीलंका के दोहरे नागरिक थे.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाषण के दौरान इस बात पर भी जोर दिया कि उनका शासन बौद्ध धर्म को सबसे महत्वपूर्ण स्थान देगा. श्रीलंका में 77 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं.

उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के लिए प्राथमिकता सुनिश्चित करते हुए अब यह स्पष्ट है कि किसी भी नागरिक की अपनी पसंद के धर्म को मानने की स्वतंत्रता सुरक्षित है.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका में नई संसद का काम शुरू, अबेवर्धना अध्यक्ष नियुक्त

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने संकल्प लिया कि राष्ट्रपति की शक्ति को कम करने वाले तथा संसद की भूमिका को मजबूत बनाने वाले संविधान के 19वें संशोधन को समाप्त किया जाएगा.

उन्होंने नयी संसद के पहले सत्र में अपने पारंपरिक भाषण में अपनी नीतियों को रेखांकित किया तथा कहा, ' हमारा पहला काम संविधान के 19 वें संशोधन को हटाना होगा.'

उनका यह बयान बुधवार को उनके मंत्रियों द्वारा की गई टिप्पणियों के विपरीत है कि संशोधन 19ए में संशोधन किया जाएगा और उसके कुछ अच्छे प्रावधानों को बरकरार रखा जाएगा.

वर्ष 2015 में तत्कालीन सुधारवादी सरकार ने संविधान में 19 ए शामिल किया था, जिसकी राजपक्षे धड़े ने तीखी आलोचना की थी. इस संशोधन के तहत दोहरी नागरिकता रखने वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक थी. उस समय, वर्तमान राष्ट्रपति सहित राजपक्षे परिवार के दो सदस्य अमेरिका और श्रीलंका के दोहरे नागरिक थे.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाषण के दौरान इस बात पर भी जोर दिया कि उनका शासन बौद्ध धर्म को सबसे महत्वपूर्ण स्थान देगा. श्रीलंका में 77 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं.

उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के लिए प्राथमिकता सुनिश्चित करते हुए अब यह स्पष्ट है कि किसी भी नागरिक की अपनी पसंद के धर्म को मानने की स्वतंत्रता सुरक्षित है.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका में नई संसद का काम शुरू, अबेवर्धना अध्यक्ष नियुक्त

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