कोलंबो : श्रीलंका सरकार ने कहा कि देश के सभी नौ प्रांतों में काफी समय से लंबित प्रांतीय परिषद के चुनाव तब तक नहीं कराए जा सकते जब तक कि 2017 के कानून में संसद द्वारा संशोधन नहीं हो जाता.
देश में प्रांतीय चुनाव 2017 से स्थगित है, क्योंकि तत्कालीन यूनाइटेड नेशनल पार्टी की सरकार प्रक्रिया में सुधार करना चाहती थी. 2017 के कानून में संशोधन आवश्यक होगा, क्योंकि 2018 में संसद ने परिसीमन रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी. नई हाइब्रिड प्रणाली को वैधानिक रूप देने के लिए दो-तिहाई बहुमत द्वारा मंजूरी देने की जरूरत थी.
तमिल अल्पसंख्यक दलों ने कहा था कि सरकार इस मुद्दे पर पुन: विचार भारत के दबाव के कारण कर रही है. इन टिप्पणियों के जवाब में विदेश मंत्री जी एल पीरिस ने इस बात से इनकार करते हुए कहा, 'भारत की ओर से कोई दबाव नहीं था.'
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बता दें, पिछले हफ्ते प्रांतीय चुनाव का मुद्दा तब उठा था जब भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अपने दौरे में आधिकारिक बातचीत के दौरान इस विषय का जिक्र किया था. भारत सभी नौ प्रांतों में जल्द चुनाव की वकालत कर रहा है.
(पीटीआई-भाषा)