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चीन में कोरोना संकट के दौरान मल द्वार के स्वाब की जांच बनी शर्मिंदगी की नई वजह

चीन में डॉक्टरों ने कोरोना जांच का एक नया तरीका निकाला है. अब नाक और गले की बजाय एनल स्वाब लेकर कोरोना की जांच की जा रही है, जो शर्मिंदगी की एक नयी वजह बन सकती है. इसके तहत, विदेशों से लौटने वाले लोगों और अधिक जोखिम ग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों की यह जांच करने पर जोर दिया जा रहा है.

sewage swab
स्वाब की जांच
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Published : Jan 29, 2021, 9:26 AM IST

बीजिंग : चीन में कोविड-19 के मामले अचानक बढ़ने के बीच चीनी नागरिकों को अब मल द्वार के 'स्वाब' की जांच करानी पड़ सकती है, जो उनके लिए शर्मिंदगी की एक नयी वजह बन सकती है. इस बारे में अपना रोष प्रकट करने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है.

सरकारी समाचारपत्र की बृहस्पतिवार की खबर के मुताबिक, बीजिंग ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाने को लेकर प्रमुख समूहों के लिए मल द्वार की जांच प्रक्रिया शुरू की है. इसके तहत, विदेशों से लौटने वाले लोगों और अधिक जोखिम ग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों की यह जांच करने पर जोर दिया जा रहा है.

खबर में कहा गया है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मल द्वार के स्वाब लिये जाने से वायरस संक्रमण की पुष्टि और सटीक तरीके से हो पाएगी. दरअसल, अध्ययनों के मुताबिक वायरस शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में मल द्वार या विष्ठा (मल) में कहीं अधिक समय तक रहता है.

सोशल मीडिया मंच शियाहोंगशु पर एक महिला ने लिखा है कि विदेश से लौटने के बाद जब उसे पता चला कि अन्य नमूनों के साथ मल द्वार के स्वाब की भी जरूरत होगी, तब से वह मानसिक पीड़ा का सामना कर रही है.

पढ़ें : चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए स्वीकार्य समाधान पर दिया जोर

एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसे शर्मिंदगी महससू हो रही है. हालांकि, वह इस जांच के लिए असहज नहीं है. कुछ लोगों ने यह भी सवाल किया है कि मौजूदा जांच के साथ इसे भी कराना क्या आवश्यक है.

वहीं, इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए पीकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज हॉस्पटिल के संक्रामक रोग विभाग के उप निदेशक काओ वेई ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कोविड-19 और 2003 में सार्स से संक्रमित हुए लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है.

बीजिंग युआन हॉस्पिटल के संक्रामक रोग के उप प्रभारी निदेशक ली तोंगजेंग ने कहा, अध्ययनों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना वायरस शरीर के ऊपरी हिस्सों की तुलना में मल द्वार या विष्ठा में अधिक समय तक मौजूद रहता है.

बीजिंग : चीन में कोविड-19 के मामले अचानक बढ़ने के बीच चीनी नागरिकों को अब मल द्वार के 'स्वाब' की जांच करानी पड़ सकती है, जो उनके लिए शर्मिंदगी की एक नयी वजह बन सकती है. इस बारे में अपना रोष प्रकट करने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है.

सरकारी समाचारपत्र की बृहस्पतिवार की खबर के मुताबिक, बीजिंग ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाने को लेकर प्रमुख समूहों के लिए मल द्वार की जांच प्रक्रिया शुरू की है. इसके तहत, विदेशों से लौटने वाले लोगों और अधिक जोखिम ग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों की यह जांच करने पर जोर दिया जा रहा है.

खबर में कहा गया है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मल द्वार के स्वाब लिये जाने से वायरस संक्रमण की पुष्टि और सटीक तरीके से हो पाएगी. दरअसल, अध्ययनों के मुताबिक वायरस शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में मल द्वार या विष्ठा (मल) में कहीं अधिक समय तक रहता है.

सोशल मीडिया मंच शियाहोंगशु पर एक महिला ने लिखा है कि विदेश से लौटने के बाद जब उसे पता चला कि अन्य नमूनों के साथ मल द्वार के स्वाब की भी जरूरत होगी, तब से वह मानसिक पीड़ा का सामना कर रही है.

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एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसे शर्मिंदगी महससू हो रही है. हालांकि, वह इस जांच के लिए असहज नहीं है. कुछ लोगों ने यह भी सवाल किया है कि मौजूदा जांच के साथ इसे भी कराना क्या आवश्यक है.

वहीं, इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए पीकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज हॉस्पटिल के संक्रामक रोग विभाग के उप निदेशक काओ वेई ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कोविड-19 और 2003 में सार्स से संक्रमित हुए लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है.

बीजिंग युआन हॉस्पिटल के संक्रामक रोग के उप प्रभारी निदेशक ली तोंगजेंग ने कहा, अध्ययनों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना वायरस शरीर के ऊपरी हिस्सों की तुलना में मल द्वार या विष्ठा में अधिक समय तक मौजूद रहता है.

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