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कश्मीर की राजनीति में 'नफरत का जहर' घोलने के लिए ब्रिटिश उपनिवेशवादी जिम्मेदार : चीनी राजनयिक - Kashmir body politic

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को अपनी बांटों और राज करो नीति के जरिये कश्मीर की राजनीति में नफरत का जहर घोलने का जिम्मेदार ठहराया.

झाओ
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Published : May 29, 2021, 1:43 AM IST

बीजिंग : चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को आधिकारिक मीडिया टिप्पणी को ट्वीट कर ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को अपनी बांटों और राज करो नीति के जरिये कश्मीर की राजनीति में नफरत का जहर घोलने का जिम्मेदार ठहराया.

रोचक बात यह है कि हांगकांग और मानवाधिकार सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर बीजिंग और लंदन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने कश्मीर: ब्रिटिश साम्राज्य के ताज की मणि में दरार नाम से यह लेख प्रकाशित किया है.

शिन्हुआ ने हालिया टिप्पणी को उद्धृत करते हुए झाओ ने कई ट्वीट किए. उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश भारत को अगर ब्रिटिश साम्राज्य के ताज का सबसे बड़ा मणि माने तो जब यह गिरा तो इसमें सबसे बड़ी दरार कश्मीर में आई.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'ब्रिटिश साम्राज्य का पतन हो गया, लेकिन जाने से पहले उन्होंने यहां की राजनीति में नफरत का जहर घोल दिया जो आने वाले दशकों तक रहेगा.' बता दें कि झाओ प्रवक्ता बनने से पहले पाकिस्तान में चीन के उप राजदूत की जिम्मेदारी निभा रहे थे.

उन्होंने लेख के हिस्से को ट्वीट में उद्धृत किया, 'एक समय कश्मीरी नीलम के लिए प्रसिद्ध रही इस भूमि पर औपनिवेशिक लालच की वजह से असंख्य निशान हैं.'

गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय ने चीन के कश्मीर पर आधिकारिक रुख के बारे में कहा था कि 'यह भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास द्वारा छोड़ा गया मुद्दा है.'

चीनी अधिकारियों ने पहले कहा था, 'इस मुद्दे का संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्ताव और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर शांतिपूर्ण और उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए.'

शिन्हुआ ने लेख में रेखांकित किया, 'इस त्रासदी के बीज ब्रिटिश सम्राज्य ने शरारती रणनीति के तहत भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के उदय को रोकने और अपना शासन मजबूत करने के लिए बोये, जिसने लाखों जिंदगिया छीन ली. ब्रिटेन ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया के विस्तृत भूभाग में 'बांटो और राज करो' की यह नीति लागू की.'

पढ़ें - जयशंकर ने राजदूत संधू, बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ भारत- अमेरिका संबंधों पर चर्चा की

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने लेख का हिस्सा ट्वीट किया, 'जबतक कश्मीर में खूनखराबा जारी रहेगा, ब्रिटेन अपने खूनी औपनिवेशिक इतिहास से कभी अलग नहीं हो सकेगा.'

गौरतलब है कि हांगकांग के मुद्दे पर चीन और ब्रिटेन के रिश्ते खराब हो रहे हैं. हांगकांग पहले ब्रिटिश उपनिवेश था.

वहीं, झाओ खुद को पाकिस्तान का प्रशंसक करार देते हैं और अपने आधिकारिक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के साथ रिश्तों के सवाल पर उन्होंने कहा, 'चीन-पाकिस्तान दोस्ती जिंदाबाद.'

(पीटीआई -भाषा)

बीजिंग : चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को आधिकारिक मीडिया टिप्पणी को ट्वीट कर ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को अपनी बांटों और राज करो नीति के जरिये कश्मीर की राजनीति में नफरत का जहर घोलने का जिम्मेदार ठहराया.

रोचक बात यह है कि हांगकांग और मानवाधिकार सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर बीजिंग और लंदन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने कश्मीर: ब्रिटिश साम्राज्य के ताज की मणि में दरार नाम से यह लेख प्रकाशित किया है.

शिन्हुआ ने हालिया टिप्पणी को उद्धृत करते हुए झाओ ने कई ट्वीट किए. उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश भारत को अगर ब्रिटिश साम्राज्य के ताज का सबसे बड़ा मणि माने तो जब यह गिरा तो इसमें सबसे बड़ी दरार कश्मीर में आई.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'ब्रिटिश साम्राज्य का पतन हो गया, लेकिन जाने से पहले उन्होंने यहां की राजनीति में नफरत का जहर घोल दिया जो आने वाले दशकों तक रहेगा.' बता दें कि झाओ प्रवक्ता बनने से पहले पाकिस्तान में चीन के उप राजदूत की जिम्मेदारी निभा रहे थे.

उन्होंने लेख के हिस्से को ट्वीट में उद्धृत किया, 'एक समय कश्मीरी नीलम के लिए प्रसिद्ध रही इस भूमि पर औपनिवेशिक लालच की वजह से असंख्य निशान हैं.'

गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय ने चीन के कश्मीर पर आधिकारिक रुख के बारे में कहा था कि 'यह भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास द्वारा छोड़ा गया मुद्दा है.'

चीनी अधिकारियों ने पहले कहा था, 'इस मुद्दे का संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्ताव और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर शांतिपूर्ण और उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए.'

शिन्हुआ ने लेख में रेखांकित किया, 'इस त्रासदी के बीज ब्रिटिश सम्राज्य ने शरारती रणनीति के तहत भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के उदय को रोकने और अपना शासन मजबूत करने के लिए बोये, जिसने लाखों जिंदगिया छीन ली. ब्रिटेन ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया के विस्तृत भूभाग में 'बांटो और राज करो' की यह नीति लागू की.'

पढ़ें - जयशंकर ने राजदूत संधू, बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ भारत- अमेरिका संबंधों पर चर्चा की

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने लेख का हिस्सा ट्वीट किया, 'जबतक कश्मीर में खूनखराबा जारी रहेगा, ब्रिटेन अपने खूनी औपनिवेशिक इतिहास से कभी अलग नहीं हो सकेगा.'

गौरतलब है कि हांगकांग के मुद्दे पर चीन और ब्रिटेन के रिश्ते खराब हो रहे हैं. हांगकांग पहले ब्रिटिश उपनिवेश था.

वहीं, झाओ खुद को पाकिस्तान का प्रशंसक करार देते हैं और अपने आधिकारिक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के साथ रिश्तों के सवाल पर उन्होंने कहा, 'चीन-पाकिस्तान दोस्ती जिंदाबाद.'

(पीटीआई -भाषा)

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