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देशद्रोह केस: बयान दर्ज कराने के लिए मुशर्रफ को तीन विकल्प, विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट दखल देगी

परवेज मुशर्रफ को दर्ज करवाना होगा न्यायलय में बयान, पूर्व तानाशाह पर चल रहा है देश द्रोह का मुकद्दमा सुनवाई के दौरान गैर हाज़िरी से कोर्ट नाराज

परवेज मुशर्रफ फाईल फोटो
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Published : Mar 26, 2019, 12:08 AM IST

इस्लामाबाद: पाक के पूर्व सैन्य तानाशाह को देशद्रोह के मामले में अपना बयान दर्ज कराना है. इसके लिए पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मुशर्रफ को तीन विकल्प दिए हैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि विशेष अदालत मुशर्रफ का बयान दर्ज करने में नाकाम रहती है तो शीर्ष अदालत इस मामले में दखल देगी.

प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मुशर्रफ का मुकदमा हर परिस्थिति में चलेगा. अदालत ने सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के लगातार गैर-हाजिर रहने पर भी नाराजगी जाहिर की.

पढ़ें-PAK को अमेरिका ने चेताया, कहा- भारत पर फिर हमले हुए तो बहुत मुश्किल हो जाएगी

न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'कभी मुशर्रफ अस्पताल जाते हैं तो कभी अपने घर जाते हैं. पिछली सुनवाई के बाद हमें यकीन था कि वह अस्पताल में भर्ती हो जाएंगे. ऐसा लगता है कि अदालत आते वक्त उनकी कार गलत मुड़ जाती है.'

मुशर्रफ (75) 2016 से दुबई में रह रहे हैं. साल 2007 में पाकिस्तान का संविधान निलंबित करने के मामले में उनके खिलाफ देशद्रोह का केस चल रहा है. देशद्रोह के मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत या उम्रकैद की सजा मिल सकती है.

न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'एक विकल्प यह है कि मुशर्रफ अगली सुनवाई में हाजिर हों. दूसरा विकल्प है कि मुशर्रफ को वीडियो लिंक के जरिए अपना बयान दर्ज कराना चाहिए. तीसरा विकल्प है कि मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर को उनकी तरफ से जवाब देना चाहिए.'

खोसा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुक्के दिखाया करते थे, लेकिन उन्हें अदालत को मुक्के नहीं दिखाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि आरोपी अदालत में पेश ही नहीं हो तो क्या किया जा सकता है.

बहरहाल, मुशर्रफ के वकील ने सारे विकल्पों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके मुवक्किल व्यक्तिगत तौर पर या वीडियो लिंक के जरिए सवालों के जवाब नहीं दे सकते, क्योंकि वह काफी बीमार हैं.

इस्लामाबाद: पाक के पूर्व सैन्य तानाशाह को देशद्रोह के मामले में अपना बयान दर्ज कराना है. इसके लिए पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मुशर्रफ को तीन विकल्प दिए हैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि विशेष अदालत मुशर्रफ का बयान दर्ज करने में नाकाम रहती है तो शीर्ष अदालत इस मामले में दखल देगी.

प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मुशर्रफ का मुकदमा हर परिस्थिति में चलेगा. अदालत ने सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के लगातार गैर-हाजिर रहने पर भी नाराजगी जाहिर की.

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न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'कभी मुशर्रफ अस्पताल जाते हैं तो कभी अपने घर जाते हैं. पिछली सुनवाई के बाद हमें यकीन था कि वह अस्पताल में भर्ती हो जाएंगे. ऐसा लगता है कि अदालत आते वक्त उनकी कार गलत मुड़ जाती है.'

मुशर्रफ (75) 2016 से दुबई में रह रहे हैं. साल 2007 में पाकिस्तान का संविधान निलंबित करने के मामले में उनके खिलाफ देशद्रोह का केस चल रहा है. देशद्रोह के मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत या उम्रकैद की सजा मिल सकती है.

न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'एक विकल्प यह है कि मुशर्रफ अगली सुनवाई में हाजिर हों. दूसरा विकल्प है कि मुशर्रफ को वीडियो लिंक के जरिए अपना बयान दर्ज कराना चाहिए. तीसरा विकल्प है कि मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर को उनकी तरफ से जवाब देना चाहिए.'

खोसा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुक्के दिखाया करते थे, लेकिन उन्हें अदालत को मुक्के नहीं दिखाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि आरोपी अदालत में पेश ही नहीं हो तो क्या किया जा सकता है.

बहरहाल, मुशर्रफ के वकील ने सारे विकल्पों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके मुवक्किल व्यक्तिगत तौर पर या वीडियो लिंक के जरिए सवालों के जवाब नहीं दे सकते, क्योंकि वह काफी बीमार हैं.

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PAK-MUSHARRAF
Pak SC to intervene if special court fails to record Musharraf's statement in treason case
         Islamabad, Mar 25 (PTI) Pakistan's Supreme Court on Monday proposed three options for Pervez Musharraf to record his statement in the treason case against him and said that it would intervene if the special court fails to record the former military dictator's testimony.
         A three-member bench, headed by Chief Justice Asif Saeed Khosa, said Musharraf's trial will be conducted under any and all circumstances as it expressed annoyance at his continued absence from the hearing.
          Justice Khosa said "sometimes Musharraf goes to the hospital and sometimes to his house. After the last hearing, we were sure that he would be admitted to the hospital, he said, adding that it seems his car takes wrong turns while coming to court".
         Musharraf, 75, who has been living in Dubai since 2016, is facing the high-profile treason case for suspending the Constitution in 2007. A conviction for high-profile treason carries the death penalty or life imprisonment.
         "One option is that Musharraf should either appear in the next hearing. The second option is Musharraf should record his statement via a video link and as a third option, Musharraf's lawyer Salman Safdar should answer on his behalf," said Chief Justice Khosa.
          Khosa said the former president used to show fists but cautioned that he shouldn't show the court one.
         Khosa asked what could be done if the accused was not appearing in the court.
         "Is the court helpless if an accused in not appearing deliberately in the court, said the Justice Khosa.
         Musharraf's lawyer, however, rejected all the options and said that the defendant was too ill to answer questions via video link or in person.
         Last week, Musharraf was admitted to a hospital in Dubai after suffering a reaction from a rare disease that has weakened his nervous system.
         The prosecution lawyer pointed out that the court also has the option of sending a commission to question the former president.
         Hearing this, Justice Khosa said: "He [Musharraf] will reach the hospital before the commission gets to him. His doctors are not even going to let the commission meet him."
         During the hearing, the court was informed that the government had previously tried to bring Musharraf back to the country through extradition and Interpol. "We were unable to succeed on both occasions," said the deputy attorney general.
          The court said the special court handling the treason case would decide on how the statement should be recorded.
         "If that court cannot decide upon this in the next hearing on March 28, the Supreme Court will make the decision," the chief justice said.
         The court adjourned the hearing until April 1.
         The previous Pakistan Muslim League-Nawaz (PML-N) government had filed the treason case against the ex-army chief general (retd) Musharraf in 2013 over the imposition of extra-constitutional emergency in November 2007.
         The trial has not seen much progress since Musharraf left went to Dubai in March 2016. He has not returned since. PTI
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