इस्लामाबाद: पाक के पूर्व सैन्य तानाशाह को देशद्रोह के मामले में अपना बयान दर्ज कराना है. इसके लिए पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मुशर्रफ को तीन विकल्प दिए हैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि विशेष अदालत मुशर्रफ का बयान दर्ज करने में नाकाम रहती है तो शीर्ष अदालत इस मामले में दखल देगी.
प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि मुशर्रफ का मुकदमा हर परिस्थिति में चलेगा. अदालत ने सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के लगातार गैर-हाजिर रहने पर भी नाराजगी जाहिर की.
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न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'कभी मुशर्रफ अस्पताल जाते हैं तो कभी अपने घर जाते हैं. पिछली सुनवाई के बाद हमें यकीन था कि वह अस्पताल में भर्ती हो जाएंगे. ऐसा लगता है कि अदालत आते वक्त उनकी कार गलत मुड़ जाती है.'
मुशर्रफ (75) 2016 से दुबई में रह रहे हैं. साल 2007 में पाकिस्तान का संविधान निलंबित करने के मामले में उनके खिलाफ देशद्रोह का केस चल रहा है. देशद्रोह के मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत या उम्रकैद की सजा मिल सकती है.
न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, 'एक विकल्प यह है कि मुशर्रफ अगली सुनवाई में हाजिर हों. दूसरा विकल्प है कि मुशर्रफ को वीडियो लिंक के जरिए अपना बयान दर्ज कराना चाहिए. तीसरा विकल्प है कि मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर को उनकी तरफ से जवाब देना चाहिए.'
खोसा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुक्के दिखाया करते थे, लेकिन उन्हें अदालत को मुक्के नहीं दिखाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि आरोपी अदालत में पेश ही नहीं हो तो क्या किया जा सकता है.
बहरहाल, मुशर्रफ के वकील ने सारे विकल्पों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके मुवक्किल व्यक्तिगत तौर पर या वीडियो लिंक के जरिए सवालों के जवाब नहीं दे सकते, क्योंकि वह काफी बीमार हैं.