काबुल : तालिबान ने घोषणा की है कि केवल हिजाब पहनने वाली महिलाओं को शिक्षा और काम (education and work) करने की इजाजत होगी. इस एलान के बाद अफगानिस्तान में हिजाब और बुर्का की बिक्री बढ़ गई है.
स्पुतनिक के एक संवाददाता ने रविवार को बताया कि महिलाओं ने इस डर से सिर और शरीर को ढंकना शुरू कर दिया कि तालिबान उनकी तलाश कर लेगा और उन्हें बिना हिजाब या बुर्का के पाएगा, तो उनके साथ हिंला होगी, जैसा कि 1990 के दशक में देश में हुआ करती थी.
इस सप्ताह की शुरुआत में घोषणा के बाद कपड़ों की कीमतें 900 अफगानियों (10.5 अमरीकी डालर) से बढ़कर 1,500 अफगानी हो गई हैं.
लगभग 50 वर्षीय एक महिला ने स्पुतनिक को बताया कि वह बुर्का की तलाश में काबुल के अहमद शाह बाबा मेना बाजार (Kabul's Ahmad Shah Baba Mena Bazaar) गई थीं.
महिला ने कहा, 'मैं आज अपनी दो बेटियों के लिए हिजाब या चादर खरीदने के लिए निकली.'
उन्होंने बताया कि उन्होंने 1990 के दशक में पिछली तालिबान सरकार के तहत अपने लिए एक बुर्का खरीदा था.'
काबुल के अहमद शाह बाबा मेना में एक हिजाब और चादर की दुकान के मालिक राशिद अहमद (Rashid Ahmad) ने स्पुतनिक से पुष्टि की कि इन पारंपरिक कवरिंग कपड़ों की बिक्री में वृद्धि हुई है.
इस बीच अफगान महिला कार्यकर्ता (Afghan women activists) पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, अपने लिए समान अधिकारों की मांग कर रही हैं और यह सुनिश्चित कर रही हैं कि वे देश में राजनीतिक जीवन में निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में शामिल हों, जिसे तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया है.
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तालिबान अपने पहले के शासन (1996-2001) से अलग एक नई तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहा है. उस समय उन्होंने इस्लामी शरिया कानून (Islamic Sharia law) के अपने संस्करण को लागू किया था.
तालिबान ने पहले इस्लामी कानून की कठोर व्याख्या के अनुसार शासन किया था जिसके तहत महिलाओं को बड़े पैमाने पर अपने घरों तक ही सीमित रखा गया था.
हालांकि अब आतंकवादियों ने हाल के वर्षों में खुद को एक उदारवादी समूह (moderate group) के रूप में पेश करने की कोशिश की है.