मॉस्को : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उमके तुर्की समकक्ष रेसेप तईप एर्दोगन ने संघर्ष-ग्रस्त नागोर्नो-करबाख क्षेत्र में संघर्ष विराम के महत्व पर जोर दिया है.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को हुई बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने संघर्ष को लेकर चर्चा की और 10 अक्टूबर को मॉस्को में आर्मीनिया, अजरबैजान और रूस के बीच हुई एक त्रिपक्षीय बैठक के दौरान बनी सहमति पर मानवीय महत्व का अवलोकन करने के महत्व की पुष्टि की.
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने विशेष रूप से यूरोप में सुरक्षा संगठन और सहकारिता संगठन (OSCE) मिन्स्क समूह के विकास पर आधारित राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के पक्ष में बात की.
इस दौरान रूसी राष्ट्रपति ने संघर्ष-ग्रस्त देशों में मध्य पूर्व क्षेत्र से शामिल हुए लड़ाकुओं की भागीदारी पर गंभीर चिंता व्यक्त की. साथ ही उन्होंने वहां हो रहे रक्तपात के तत्काल निवारण, आपसी प्रयासों और नागोर्नो-कराबाख समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया.
बातचीत के दौरान रूस ने आशा जताई कि तुर्की ओएससीई में अंकारा की सदस्यता को देखते हुए संघर्ष को खत्म करने में अपना पूरा योगदान देगा.
बता दें कि, यह चर्चा उस समय हुई जब तुर्की समर्थित अजरबैजान ने आर्मीनिया पर युद्धविराम का उल्लंघन करने और अपने दूसरे सबसे बड़े शहर गंजा पर हमला करने का आरोप लगाया था.
हालांकि, आर्मीनियाई रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह सरासर झूठ है.
बता दें कि, 27 सितंबर को अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो-करबाख को लेकर झड़प हो गई थी. दरअसल, यह विवदित क्षेत्र है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन यहां ज्यादातर आर्मीनियाई जातीय के लोग हैं और यह एक अर्तसख गणराज्य द्वारा शासित राज्य है.
इससे पहले इस क्षेत्र में अप्रैल 2014, 2016 और इस जुलाई की गर्मियों में भी भयावह हिंसा का सामना किया था.
बता दें कि, अजरबैजान और आर्मीनिया में मार्शल लॉ लागू है और लामबंदी के प्रयास शुरू किए हैं.
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नवीनतम संघर्ष में, नागोर्नो-काराबाख अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उनके 201 कर्मियों और कई नागरिकों की मौत हो गई है. अजरबैजान ने कहा है कि 22 नागरिक मारे गए, लेकिन सैन्य हताहतों के बारे में जानकारी नहीं दी.
इससे पहले आर्मीनिया और अजरबैजान 1988-94 में इस क्षेत्र पर युद्ध लड़ा और बाद में युद्ध विराम की घोषणा की. हालांकि, दोनों देशों के बीच विवाद का निवारण नहीं हो सका और न ही कोई समझौता हो सका. युद्ध विराम के बाद से वर्तमान लड़ाई सबसे भयावह मानी जा रही है और दोनों पूर्व सोवियत गणराज्य एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.