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पाकिस्तान की उलेमा काउंसिल ने इस्लामाबाद में मंदिर निर्माण का समर्थन किया

पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (पीयूसी) ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान देश में रह रहे मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है. कई इस्लामी धर्मगुरू और विभिन्न इस्लामी परंपराओं के कानूनविद इस समूह के सदस्य हैं. साथ ही समूह ने इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हुए इस मुद्दे को लेकर उठे विवाद की निंदा की है.

पाकिस्तान की उलेमा काउंसिल
पाकिस्तान की उलेमा काउंसिल
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Published : Jul 11, 2020, 9:54 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में मुस्लिम संगठनों के एक समूह ने इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हुए इस मुद्दे को लेकर उठे विवाद की निंदा की है. शनिवार को मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है.

समाचार पत्र 'डॉन' की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (पीयूसी) ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान देश में रह रहे मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है. कई इस्लामी धर्मगुरू और विभिन्न इस्लामी परंपराओं के कानूनविद इस समूह के सदस्य हैं.

पीयूसी के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने शुक्रवार को कहा, 'हम मंदिर निर्माण को लेकर उठे विवाद की निंदा करते हैं. रूढ़िवादी धर्मगुरूओं द्वारा ऐसा किया जाना (इसे विवाद बनाना) ठीक नहीं है. पीयूसी एक बैठक बुलाएगी और इस्लामी विचारधारा परिषद (सीआईआई) के सामने अपनी बात भी रखेग.'

सीआईआई एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम पाकिस्तान सरकार को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देना है.

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कुछ मुस्लिम समूहों के विरोध के बीच राजधानी में मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने पर सीआईआई को पत्र लिखकर उसकी राय मांगी है.

पढ़ें - सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश है पाक : यूएनओसीटी के मंच पर भारत

धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने बुधवार को कहा था कि मंदिर के निर्माण को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन असली मुद्दा यह है कि क्या इसे जनता के पैसे से बनाया जा सकता है.

सरकार ने कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिये 10 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है। इसका निर्माण राजधानी के एच-9 प्रशासनिक खंड में 20,000 वर्ग फुट के भूखंड पर किया जाना है.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में मुस्लिम संगठनों के एक समूह ने इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हुए इस मुद्दे को लेकर उठे विवाद की निंदा की है. शनिवार को मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है.

समाचार पत्र 'डॉन' की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (पीयूसी) ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान देश में रह रहे मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है. कई इस्लामी धर्मगुरू और विभिन्न इस्लामी परंपराओं के कानूनविद इस समूह के सदस्य हैं.

पीयूसी के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने शुक्रवार को कहा, 'हम मंदिर निर्माण को लेकर उठे विवाद की निंदा करते हैं. रूढ़िवादी धर्मगुरूओं द्वारा ऐसा किया जाना (इसे विवाद बनाना) ठीक नहीं है. पीयूसी एक बैठक बुलाएगी और इस्लामी विचारधारा परिषद (सीआईआई) के सामने अपनी बात भी रखेग.'

सीआईआई एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम पाकिस्तान सरकार को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देना है.

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कुछ मुस्लिम समूहों के विरोध के बीच राजधानी में मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने पर सीआईआई को पत्र लिखकर उसकी राय मांगी है.

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धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने बुधवार को कहा था कि मंदिर के निर्माण को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन असली मुद्दा यह है कि क्या इसे जनता के पैसे से बनाया जा सकता है.

सरकार ने कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिये 10 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है। इसका निर्माण राजधानी के एच-9 प्रशासनिक खंड में 20,000 वर्ग फुट के भूखंड पर किया जाना है.

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