इस्लामाबादः पाकिस्तान ने सरकारी कर्मचारियों के अस्थायी रूप से वेतन रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा की गई मांग को खारिज कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि आईएमएफ ने दो ऑनलाइन डिजिटल बैठकों के माध्यम से पाकिस्तान के साथ बजट वार्ता के दौरान खर्च में कटौती करने का आग्रह किया. दूसरी ओर, इस्लामाबाद ने कहा कि वह सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती नहीं कर सकता क्योंकि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई से बचाना आवश्यक है.
सरकार 12 जून को बजट का अनावरण करेगी. पाकिस्तान सरकार घाटे और कर्ज कम करने की नीति को जारी रखने और आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी.
सूत्रों ने आगे खुलासा किया कि पाकिस्तान को आईएमएफ की छह बिलियन USD एक्सपेंशन फंड सुविधा तब बहाल होगी जब सरकार आईएमएफ मैक्रोइकॉनोमिक फ्रेमवर्क के अनुसार अगला बजट प्रस्तुत करेगी.
वैश्विक मुद्रा ऋणदाता ने पाकिस्तान से उच्च और अस्थिर सार्वजनिक ऋण के कारण घाटे और कर्ज कम करने की नीति का पालन करने का आग्रह किया था. कोरोनो वायरस के प्रकोप ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है जो पहले से ही कमजोर आर्थिक नींवों के कारण संघर्ष कर रही थी.
पाकिस्तान की तंग राजकोषीय स्थिति के कारण सार्वजनिक ऋण बढ़ रहा है और जी 20 देशों से ऋण राहत प्राप्त करने के पाकिस्तान के फैसले के कारण, आईएमएफ इस्लामाबाद को सरकारी कर्मचारियों के वेतन को फ्रीज करने के लिए कह रहा था.
पढ़ें-पाक टेली होस्ट का दावा- सिंथिया के साथ यौन संबंध बनाना चाहते थे इमरान खान
आईएमएफ की मांग का सरकार द्वारा विरोध करने का एक बड़ा कारण उच्च मुद्रास्फीति थी, जिसने लोगों की वास्तविक आय को खत्म कर दिया.
आईएमएफ की मांगों का विरोध करने के लिए पाकिस्तान के अपने कारण हैं, क्योंकि यह अगले वित्तीय वर्ष में मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के कारण राजस्व संग्रह में उछाल नहीं दिखा रहा है. सूत्रों ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति के कारण सरकार वेतन बढ़ाने में भी आनाकानी कर रही है, जिससे लोगों की वास्तविक आय में गिरावट आई है.