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पाकिस्तान में पिछले 6 सालों में 33 पत्रकारों की हत्या : रिपोर्ट

पाकिस्तान में पिछले 6 सालों में 33 पत्रकारों की हत्या हुई है. इनमें नवंबर, 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच मारे गए 7 पत्रकार भी शामिल हैं. दी फ्रीडम नेटवर्क की एक ताजा रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. जानें पूरा विवरण...

सांकेतिक चित्र
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Published : Nov 1, 2019, 8:43 PM IST

इस्लामाबाद : एक नई रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह सालों के दौरान पाकिस्तान में काम करने के दौरान 33 पत्रकार मारे जा चुके हैं. इनमें से सात पत्रकार तो पिछले एक साल (नवम्बर 2018 सो अक्टूबर 2019) में मारे गए हैं.

दी फ्रीडम नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट को 'हत्यारों के लिए 100% सजा माफी, पाकिस्तान के मर्डर किए गए पत्रकारों के लिए 0% न्याय: क्राइम एंड पनिशमेंट इन पाकिस्तान जर्नलिज़म वर्ल्ड' (100% Impunity for Killers, 0% Justice for Pakistan's Murdered Journalists: Crime and Punishment in Pakistan's Journalism World) का शीर्षक दिया गया है.

डॉन अखबार की खबर के मुताबिक दी फ्रीडम नेटवर्क ने नई रिपोर्ट में पाकिस्तान इंप्युनिटी स्कोरकार्ड जारी किया है. इसके बाद पत्रकारों की हत्या के आंकड़ों का खुलासा हुआ है.

यह रिपोर्ट हर साल 2 नवंबर को जारी की जाती है. संयुक्त राष्ट्र दो नवंबर को पत्रकारों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर दण्ड मुक्ति खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day to End Impunity for Crimes against Journalists) मनाता है.

पाकिस्तान इंप्युनिटी स्कोरकार्ड (Pakistan Impunity Scorecard) के अनुसार, 2013-19 की अवधि के दौरान 33 पत्रकारों की हत्या हुई. इसके लिए कुल 32 एफआईआर दर्ज की गई. इनमें से पुलिस केवल 20 मामलों में ही आरोप पत्र दायर कर सकी है. ये कुल मामलों का 60 प्रतिशत है.

पत्रकारों की हत्या के 33 मामलों में से सिर्फ 20 मामलों को कोर्ट में ट्रायल के लायक माना गया. इसमें से सिर्फ 6 मामलों में ही सुनवाई पूरी की जा सकी है, जो कुल मामलों का 18 फीसदी है.

जिन छह मामलों में ट्रायल पूरा किया गया, इसमें से हत्या के आरोपी एक शख्स को दोषी माना गया. इसके बाद अपील के दौरान आरोपी सजा से बचने में कामयाब रहा. संसाधनों की कमी के कारण पत्रकार के परिवार ने इसके बाद कानून से इंसाफ की कोशिशें छोड़ दी.

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में नवंबर, 2018 और अक्टूबर, 2019 के बीच मारे गए सात पत्रकारों के मामलों में पुलिस ने केवल चार मामलों (57 प्रतिशत) में आरोप पत्र दायर किया.

पढ़ें : सरकार ने व्हाट्सएप से मांगी रिपोर्ट, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की आशंका

डॉन की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रिया के वियना स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) की डेथ वॉच ने पिछले साल कम से कम 40 से अधिक पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई है. मारे गए 40 पत्रकारों में से 25 को उनके काम के विरोध के दौरान मारा गया

अफगानिस्तान, सीरिया और यमन में संघर्षों की कवरेज के दौरान आठ पत्रकारों की मौत हुई. वहीं एक पत्रकार की मौत नागरिक आक्रोश (civil unrest) की कवरेज के दौरान हुई.

छह पत्रकारों की मौत उनकी नियुक्ति के दौरान हुई, इनमें से 2 पत्रकार सोमालिया में काम करने के दौरान मारे गए थे. ब्राजील, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में एक-एक पत्रकारों की हत्या की गई. अमेरिका सबसे अधिक, 18 पत्रकारों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर दी गई.

इस्लामाबाद : एक नई रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह सालों के दौरान पाकिस्तान में काम करने के दौरान 33 पत्रकार मारे जा चुके हैं. इनमें से सात पत्रकार तो पिछले एक साल (नवम्बर 2018 सो अक्टूबर 2019) में मारे गए हैं.

दी फ्रीडम नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट को 'हत्यारों के लिए 100% सजा माफी, पाकिस्तान के मर्डर किए गए पत्रकारों के लिए 0% न्याय: क्राइम एंड पनिशमेंट इन पाकिस्तान जर्नलिज़म वर्ल्ड' (100% Impunity for Killers, 0% Justice for Pakistan's Murdered Journalists: Crime and Punishment in Pakistan's Journalism World) का शीर्षक दिया गया है.

डॉन अखबार की खबर के मुताबिक दी फ्रीडम नेटवर्क ने नई रिपोर्ट में पाकिस्तान इंप्युनिटी स्कोरकार्ड जारी किया है. इसके बाद पत्रकारों की हत्या के आंकड़ों का खुलासा हुआ है.

यह रिपोर्ट हर साल 2 नवंबर को जारी की जाती है. संयुक्त राष्ट्र दो नवंबर को पत्रकारों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर दण्ड मुक्ति खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day to End Impunity for Crimes against Journalists) मनाता है.

पाकिस्तान इंप्युनिटी स्कोरकार्ड (Pakistan Impunity Scorecard) के अनुसार, 2013-19 की अवधि के दौरान 33 पत्रकारों की हत्या हुई. इसके लिए कुल 32 एफआईआर दर्ज की गई. इनमें से पुलिस केवल 20 मामलों में ही आरोप पत्र दायर कर सकी है. ये कुल मामलों का 60 प्रतिशत है.

पत्रकारों की हत्या के 33 मामलों में से सिर्फ 20 मामलों को कोर्ट में ट्रायल के लायक माना गया. इसमें से सिर्फ 6 मामलों में ही सुनवाई पूरी की जा सकी है, जो कुल मामलों का 18 फीसदी है.

जिन छह मामलों में ट्रायल पूरा किया गया, इसमें से हत्या के आरोपी एक शख्स को दोषी माना गया. इसके बाद अपील के दौरान आरोपी सजा से बचने में कामयाब रहा. संसाधनों की कमी के कारण पत्रकार के परिवार ने इसके बाद कानून से इंसाफ की कोशिशें छोड़ दी.

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में नवंबर, 2018 और अक्टूबर, 2019 के बीच मारे गए सात पत्रकारों के मामलों में पुलिस ने केवल चार मामलों (57 प्रतिशत) में आरोप पत्र दायर किया.

पढ़ें : सरकार ने व्हाट्सएप से मांगी रिपोर्ट, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की आशंका

डॉन की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रिया के वियना स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) की डेथ वॉच ने पिछले साल कम से कम 40 से अधिक पत्रकारों ने अपनी जान गंवाई है. मारे गए 40 पत्रकारों में से 25 को उनके काम के विरोध के दौरान मारा गया

अफगानिस्तान, सीरिया और यमन में संघर्षों की कवरेज के दौरान आठ पत्रकारों की मौत हुई. वहीं एक पत्रकार की मौत नागरिक आक्रोश (civil unrest) की कवरेज के दौरान हुई.

छह पत्रकारों की मौत उनकी नियुक्ति के दौरान हुई, इनमें से 2 पत्रकार सोमालिया में काम करने के दौरान मारे गए थे. ब्राजील, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में एक-एक पत्रकारों की हत्या की गई. अमेरिका सबसे अधिक, 18 पत्रकारों को निशाना बनाकर उनकी हत्या कर दी गई.

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33 journalists killed in Pak in past six years

Islamabad, Nov 1 (IANS) At least 33 journalists were murdered for their work in Pakistan during the past six years, including seven in the past one year (November 2018 to October 2019) alone, according to a new report.



The Freedom Network's new report titled '100% Impunity for Killers, 0% Justice for Pakistan's Murdered Journalists: Crime and Punishment in Pakistan's Journalism World' issued a ‘Pakistan Impunity Scorecard' which revealed the statistics, Dawn news reported on Friday.



The report was released ahead of the International Day to End Impunity for Crimes against Journalists observed by the UN on November 2 every year.



According to the Pakistan Impunity Scorecard, a total of 32 FIRs were registered for the murder of 33 journalists during the period 2013-19, of which police could file chargesheet in only 20 cases - or in 60 per cent of cases.



Out of 33 cases, the courts declared only 20 cases fit for trial (60 per cent) of which prosecution and trial was completed in only six cases - only 18 per cent.



In these six cases, the killer was convicted in just one case but escaped punishment after successfully overturning the conviction at the appeal stage after which the family of the murdered journalist abandoned its pursuit for justice for lack of resources.



The above statistics include the cases of seven journalists murdered in Pakistan in the past one year (between November 2018 and October 2019). According to the report, FIRs were registered in all seven cases, but chargesheet was filed by the police in only four cases (57 per cent).



According to the Vienna-based IPI's Death Watch, as many as 40 journalists lost their lives over the last year, Dawn news reported.



Of these, 25 were killed in targeted attacks in retaliation for their work, while eight journalists died while covering conflicts in Afghanistan, Syria and Yemen and one was killed covering civil unrest.



Six journalists died while on assignment; two in Somalia and one each in Brazil, Turkey, the UK and the US. The majority of targeted killings took place in the Americas, where 18 journalists were killed.


Conclusion:
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