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चीन में केवल पेंग की नहीं, यौन उत्पीड़न के खिलाफ उठने वाली हर आवाज दबाई जा रही

यौन उत्पीड़न के आरोप (Sexual harassment allegations) लगाने के बाद तमाम परेशानियों का सामना करने वाली पेंग अकेली महिला नहीं हैं. कई कार्यकर्ताओं तथा पीड़ितों की इसी तरह आवाज दबाने की कोशिश (Try to suppress) चीन में लगातार की जाती है.

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Published : Nov 24, 2021, 3:43 PM IST

ताइपे : पेंग शुआई (Peng shui) की तरह ही प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप (Professor accused of sexual harassment) लगाने वाली महिला का सार्वजनिक रूप से साथ देने वाली हुआंग शुएकि्वन (Huang Shueiquan) को सितंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था.

चीन में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में एक महिला की मदद करने वाली वांग जियानबिंग को भी हिरासत में ले लिया गया. इनकी तरह कई अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सोशल मीडिया मंच पर प्रताड़ित किया गया, जिनमें से कुछ ने परेशान होकर अपने अकाउंट भी बंद कर दिए हैं.

चीन की टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के पूर्व उप प्रधानमंत्री झांग गाओली (Former Deputy Prime Minister Zhang Gaoli) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद गायब हो जाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की काफी निंदा की गई थी. हालांकि लगभग तीन सप्ताह बाद शुआई अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) के अध्यक्ष थॉमस बाक के साथ एक वीडियो कॉल में नजर आईं.

हुआंग शुएक्विन (Huang Shueiquan) ने 2018 में चीन में मीटू अभियान की शुरुआत की थी, जिससे सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर बात की गई और पहली बार यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने के लिए नागरिक संहिता स्थापित करने सहित कई उपाय किए गए.

हालांकि इसे चीन के अधिकारियों के कठोर विरोध का सामना भी करना पड़ा, जिसने तुरंत ही सोशल मीडिया अभियान को ठप कर दिया क्योंकि उसे डर था कि इससे सत्ता में उनकी पकड़ को चुनौती मिल सकती है. सर्वाजनिक पटल पर किन मुद्दों को रखा जाना चाहिए, इसके खिलाफ अभियान इस साल और तेज हो गया है.

अमेरिका में रहने वाली कार्यकर्ता लू पिन (Worker lu pin) ने कहा कि वे खुलेआम महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. पिन अब भी चीन में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं. चीन के अधिकारियों के लिए मीटू अभियान और महिलाओं के अधिकारों (MeToo campaign and women's rights) पर सक्रियता कितनी खतरनाक है, इसका पता इस बात से चलता है कि उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को विदेशी हस्तक्षेप का साधन बता निशाना बनाया है.

चीन ने ज्यादातर कम लोकप्रिय या दबदबे वाले कार्यकर्ताओं को लक्षित किया है और जो अक्सर हाशिए पर मौजूद समूहों के साथ काम करते हैं. हुआंग और वांग दोनों ने ही वंचित समूहों की वकालत की है. दोनों कार्यकर्ताओं के एक दोस्त के अनुसार उन पर देश की सत्ता को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने वांग के परिवार को इस संबंध में भेजा गया एक नोटिस भी देखा है.

दक्षिणी चीनी शहर ग्वांगझू की पुलिस से सम्पर्क किया गया लेकिन उन्होंने मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. दोनों को वहीं गिरफ्तार किया गया था. यह अरोप अक्सर राजनीतिक असंतुष्टों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. हुआंग और वांग के परिवार को उनकी गिरफ्तारी के बाद से उनकी कोई खबर नहीं मिली है.

वहीं जाने-माने सरकारी टीवी होस्ट झू जून पर बदसलूकी का आरोप लगाने वालीं झोउ जियाओसुआन को सोशल मीडिया पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और अब वह अपने अकाउंट पर कुछ भी साझा नहीं कर सकती हैं.

यह भी पढ़ें- रूस और चीन ने करीबी सैन्य सहयोग के लिए रोडमैप पर किये हस्ताक्षर

चीन के सोशल मीडिया मंच वायबो पर कई लोगों ने उन्हें चीन से बाहर चली जाओ, विदेशी तुम्हारा इस्तेमाल कर तुम्हें छोड़ देंगे आदि जैसे संदेश भेज रहे हैं. झू ने कहा कि अब सोशल मीडिया पर स्थिति ऐसी है कि आपकी गतिविधियां बिल्कुल सीमित कर दी गई हैं और आप अपनी बात किसी तरह भी नहीं रख सकते.

इन तमाम प्रताड़नाओं के बावजूद कार्यकर्ताओं का कहना है कि मीटू अभियान ने इस मुद्दे को सार्वजनिक पटल पर लाने का ऐसा दरवाजा खोल दिया है, जिसे अब बंद नहीं किया जा सकता.

(एपी)

ताइपे : पेंग शुआई (Peng shui) की तरह ही प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप (Professor accused of sexual harassment) लगाने वाली महिला का सार्वजनिक रूप से साथ देने वाली हुआंग शुएकि्वन (Huang Shueiquan) को सितंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था.

चीन में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में एक महिला की मदद करने वाली वांग जियानबिंग को भी हिरासत में ले लिया गया. इनकी तरह कई अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सोशल मीडिया मंच पर प्रताड़ित किया गया, जिनमें से कुछ ने परेशान होकर अपने अकाउंट भी बंद कर दिए हैं.

चीन की टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के पूर्व उप प्रधानमंत्री झांग गाओली (Former Deputy Prime Minister Zhang Gaoli) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद गायब हो जाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की काफी निंदा की गई थी. हालांकि लगभग तीन सप्ताह बाद शुआई अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) के अध्यक्ष थॉमस बाक के साथ एक वीडियो कॉल में नजर आईं.

हुआंग शुएक्विन (Huang Shueiquan) ने 2018 में चीन में मीटू अभियान की शुरुआत की थी, जिससे सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर बात की गई और पहली बार यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने के लिए नागरिक संहिता स्थापित करने सहित कई उपाय किए गए.

हालांकि इसे चीन के अधिकारियों के कठोर विरोध का सामना भी करना पड़ा, जिसने तुरंत ही सोशल मीडिया अभियान को ठप कर दिया क्योंकि उसे डर था कि इससे सत्ता में उनकी पकड़ को चुनौती मिल सकती है. सर्वाजनिक पटल पर किन मुद्दों को रखा जाना चाहिए, इसके खिलाफ अभियान इस साल और तेज हो गया है.

अमेरिका में रहने वाली कार्यकर्ता लू पिन (Worker lu pin) ने कहा कि वे खुलेआम महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. पिन अब भी चीन में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं. चीन के अधिकारियों के लिए मीटू अभियान और महिलाओं के अधिकारों (MeToo campaign and women's rights) पर सक्रियता कितनी खतरनाक है, इसका पता इस बात से चलता है कि उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को विदेशी हस्तक्षेप का साधन बता निशाना बनाया है.

चीन ने ज्यादातर कम लोकप्रिय या दबदबे वाले कार्यकर्ताओं को लक्षित किया है और जो अक्सर हाशिए पर मौजूद समूहों के साथ काम करते हैं. हुआंग और वांग दोनों ने ही वंचित समूहों की वकालत की है. दोनों कार्यकर्ताओं के एक दोस्त के अनुसार उन पर देश की सत्ता को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने वांग के परिवार को इस संबंध में भेजा गया एक नोटिस भी देखा है.

दक्षिणी चीनी शहर ग्वांगझू की पुलिस से सम्पर्क किया गया लेकिन उन्होंने मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. दोनों को वहीं गिरफ्तार किया गया था. यह अरोप अक्सर राजनीतिक असंतुष्टों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. हुआंग और वांग के परिवार को उनकी गिरफ्तारी के बाद से उनकी कोई खबर नहीं मिली है.

वहीं जाने-माने सरकारी टीवी होस्ट झू जून पर बदसलूकी का आरोप लगाने वालीं झोउ जियाओसुआन को सोशल मीडिया पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और अब वह अपने अकाउंट पर कुछ भी साझा नहीं कर सकती हैं.

यह भी पढ़ें- रूस और चीन ने करीबी सैन्य सहयोग के लिए रोडमैप पर किये हस्ताक्षर

चीन के सोशल मीडिया मंच वायबो पर कई लोगों ने उन्हें चीन से बाहर चली जाओ, विदेशी तुम्हारा इस्तेमाल कर तुम्हें छोड़ देंगे आदि जैसे संदेश भेज रहे हैं. झू ने कहा कि अब सोशल मीडिया पर स्थिति ऐसी है कि आपकी गतिविधियां बिल्कुल सीमित कर दी गई हैं और आप अपनी बात किसी तरह भी नहीं रख सकते.

इन तमाम प्रताड़नाओं के बावजूद कार्यकर्ताओं का कहना है कि मीटू अभियान ने इस मुद्दे को सार्वजनिक पटल पर लाने का ऐसा दरवाजा खोल दिया है, जिसे अब बंद नहीं किया जा सकता.

(एपी)

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