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नेपाल : राष्ट्रपति-पीएम को नोटिस, शीर्ष अदालत ने 15 दिनों में मांगा जवाब

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Published : Feb 8, 2021, 8:18 AM IST

Updated : Feb 8, 2021, 8:31 AM IST

नेपाल के न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की एकल पीठ ने प्रतिवादियों राष्ट्रपति भंडारी, प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चोलेंद्र शमशेर राणा और संविधान परिषद के कार्यालय एवं नेशनल एसेम्बली के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है.

नेपाल की शीर्ष अदालत
नेपाल की शीर्ष अदालत

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा विभिन्न संवैधानिक आयोगों में की गई नियुक्तियों को चुनौती देने वाली प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोटा की रिट याचिका पर रविवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

'काठमांडू पोस्ट' की एक खबर के अनुसार न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की एकल पीठ ने प्रतिवादियों राष्ट्रपति भंडारी, प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चोलेंद्र शमशेर राणा और संविधान परिषद के कार्यालय एवं नेशनल एसेम्बली के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है.

उच्चतम न्यायालय के सूचना अधिकारी ने बताया कि शीर्ष अदालत ने प्रतिवादियों से 15 दिनों में जवाब मांगा है.

सपकोटा के वकील कृष्ण प्रसाद भंडारी और रमण श्रेष्ठ ने मांग की कि संवैधानिक आयोगों में नियुक्त किये गए लोगों को काम नहीं करने दिया जाए.

पढ़ें - दिलीप कुमार के प्रवक्ता ने पाक अधिकारियों से संपत्ति दर विवाद सुलझाने का किया आग्रह

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र ने बुधवार को राष्ट्रपति भंडारी की उपस्थिति में लगभग 48 लोगों को विभिन्न संवैधानिक निकायों में पद की शपथ दिलायी थी.

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा विभिन्न संवैधानिक आयोगों में की गई नियुक्तियों को चुनौती देने वाली प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोटा की रिट याचिका पर रविवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

'काठमांडू पोस्ट' की एक खबर के अनुसार न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की एकल पीठ ने प्रतिवादियों राष्ट्रपति भंडारी, प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति चोलेंद्र शमशेर राणा और संविधान परिषद के कार्यालय एवं नेशनल एसेम्बली के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है.

उच्चतम न्यायालय के सूचना अधिकारी ने बताया कि शीर्ष अदालत ने प्रतिवादियों से 15 दिनों में जवाब मांगा है.

सपकोटा के वकील कृष्ण प्रसाद भंडारी और रमण श्रेष्ठ ने मांग की कि संवैधानिक आयोगों में नियुक्त किये गए लोगों को काम नहीं करने दिया जाए.

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प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र ने बुधवार को राष्ट्रपति भंडारी की उपस्थिति में लगभग 48 लोगों को विभिन्न संवैधानिक निकायों में पद की शपथ दिलायी थी.

Last Updated : Feb 8, 2021, 8:31 AM IST
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