ETV Bharat / international

नेपाल: शीर्ष अदालत ने संसद भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं संविधान पीठ को भेजीं

देश में राजनीतिक संकट के बीच नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने को चुनौती देने वाली सभी 19 याचिकाएं बृहस्पतिवार को संविधान पीठ को भेज दीं.

नेपाल सुप्रीम कोर्ट
नेपाल सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : May 27, 2021, 4:50 PM IST

Updated : May 27, 2021, 6:35 PM IST

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने को चुनौती देने वाली सभी 19 याचिकाएं बृहस्पतिवार को संविधान पीठ को भेज दीं.

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा भंग करने और प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा के दावे को खारिज करने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें से एक विपक्षी गठबंधन ने भी दायर की है.

'काठमांडू पोस्ट' की खबर के मुताबिक, 19 याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई के बाद, प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने सभी याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को भेजने का फैसला किया. उच्चतम न्यायालय में संचार विशेषज्ञ किशोर पौडेल ने अखबार को बताया, 'प्रधान न्यायाधीश राणा की एकल पीठ ने सदन को भंग करने से संबंधित याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को भेजने का फैसला किया.'

पढ़ें - नेपाल राजनीतिक संकट : 'संसद भंग' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे विपक्षी दल

इन मामलों के साथ ही 11 अन्य मामलों पर भी सुनवाई होगी जिसमें 146 सांसदों द्वारा नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए दायर याचिका भी शामिल है. 11 याचिकाएं सीधे संवैधानिक पीठ में पंजीकृत होंगी.

कुछ याचिकाकर्ताओं ने सदन को भंग करने के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग की है और राष्ट्रीय बजट पेश करने के लिए सदन की बैठक बुलाने का आग्रह किया है. प्रधान न्यायाधीश ने इससे इनकार कर दिया है. संवैधानिक प्रावधानों के तहत सरकार को 15 ज्येष्ठ, जो इस साल 29 मई को है, तक बजट पेश करना होता है.

संसद नहीं होने की वजह से सरकार की योजना अध्यादेश के जरिए बजट पेश करने की है. अदालत के अधिकारियों के मुताबिक, संवैधानिक पीठ शुक्रवार से सुनवाई शुरू करेगी. संविधान में पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ की परिकल्पना की गई है जिसकी अगुवाई प्रधान न्यायाधीश राणा कर रहे हैं. पीठ के सदस्यों का चयन राणा ने किया है.

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पांच महीनों में दूसरी बार, शुक्रवार को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी. उन्होंने यह फैसला अल्पमत सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर किया.

पढ़ें - हमारी मौजूदा सरकार को अलग तरह से प्रस्तुत करने के राजनीतिक प्रयास चल रहे हैं : जयशंकर

राष्ट्रपति ने सरकार बनाने के प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के दावों को खारिज कर दिया. नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर करके प्रतिनिधि सभा को बहाल करने और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग की. अन्य ने भी प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

इससे पहले, गत 20 दिसंबर को राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल तथा 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान किया था लेकिन दो महीने बाद न्यायमूर्ति राणा की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 23 फरवरी को राष्ट्रपति के फैसले को पलट दिया था और सदन को बहाल कर दिया था.

पीटीआई (भाषा)

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने को चुनौती देने वाली सभी 19 याचिकाएं बृहस्पतिवार को संविधान पीठ को भेज दीं.

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा भंग करने और प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा के दावे को खारिज करने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें से एक विपक्षी गठबंधन ने भी दायर की है.

'काठमांडू पोस्ट' की खबर के मुताबिक, 19 याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई के बाद, प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने सभी याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को भेजने का फैसला किया. उच्चतम न्यायालय में संचार विशेषज्ञ किशोर पौडेल ने अखबार को बताया, 'प्रधान न्यायाधीश राणा की एकल पीठ ने सदन को भंग करने से संबंधित याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को भेजने का फैसला किया.'

पढ़ें - नेपाल राजनीतिक संकट : 'संसद भंग' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे विपक्षी दल

इन मामलों के साथ ही 11 अन्य मामलों पर भी सुनवाई होगी जिसमें 146 सांसदों द्वारा नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए दायर याचिका भी शामिल है. 11 याचिकाएं सीधे संवैधानिक पीठ में पंजीकृत होंगी.

कुछ याचिकाकर्ताओं ने सदन को भंग करने के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग की है और राष्ट्रीय बजट पेश करने के लिए सदन की बैठक बुलाने का आग्रह किया है. प्रधान न्यायाधीश ने इससे इनकार कर दिया है. संवैधानिक प्रावधानों के तहत सरकार को 15 ज्येष्ठ, जो इस साल 29 मई को है, तक बजट पेश करना होता है.

संसद नहीं होने की वजह से सरकार की योजना अध्यादेश के जरिए बजट पेश करने की है. अदालत के अधिकारियों के मुताबिक, संवैधानिक पीठ शुक्रवार से सुनवाई शुरू करेगी. संविधान में पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ की परिकल्पना की गई है जिसकी अगुवाई प्रधान न्यायाधीश राणा कर रहे हैं. पीठ के सदस्यों का चयन राणा ने किया है.

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पांच महीनों में दूसरी बार, शुक्रवार को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी. उन्होंने यह फैसला अल्पमत सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर किया.

पढ़ें - हमारी मौजूदा सरकार को अलग तरह से प्रस्तुत करने के राजनीतिक प्रयास चल रहे हैं : जयशंकर

राष्ट्रपति ने सरकार बनाने के प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के दावों को खारिज कर दिया. नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर करके प्रतिनिधि सभा को बहाल करने और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग की. अन्य ने भी प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

इससे पहले, गत 20 दिसंबर को राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल तथा 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान किया था लेकिन दो महीने बाद न्यायमूर्ति राणा की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 23 फरवरी को राष्ट्रपति के फैसले को पलट दिया था और सदन को बहाल कर दिया था.

पीटीआई (भाषा)

Last Updated : May 27, 2021, 6:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.