ETV Bharat / international

ओली का इस्तीफा देने का नहीं हैं कोई इरादा : अधिकारी

author img

By

Published : Feb 24, 2021, 5:17 PM IST

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के प्रेस सलाहकार थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अमल करेंगे और उसके तहत दो सप्ताह में बुलाई जाने वाले संसद सत्र में हिस्सा लेंगे. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

ओली का इस्तीफा
ओली का इस्तीफा

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का तत्काल इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है और वह संसद का सामना करने के बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करेंगे. प्रधानमंत्री के एक आधिकारिक प्रतिनिधि ने बुधवार को यह जानकारी दी.

नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तय समय से पहले चुनाव की तैयारियों में जुटे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को झटका देते हुए संसद की भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दिया था.

प्रधान न्यायधीश चोलेंद्र शमशेर जेबीआर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 275 सदस्यों वाले संसद के निचले सदन को भंग करने के सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए सरकार को अगले 13 दिनों के अंदर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया.

पढ़ें- इमरान ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की

सत्ताधारी दल में खींचतान के बीच नेपाल उस समय सियासी संकट में घिर गया था, जब प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 20 दिसंबर को संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल से 10 मई के बीच नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी.

ओली के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले का पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाले नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के विरोधी धड़े ने विरोध किया था. प्रचंड सत्ताधारी दल के सह-अध्यक्ष भी हैं.

ओली के प्रेस सलाहकार सूर्या थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि उच्चतम न्यायाल के फैसले पर अमल करेंगे और उसके तहत दो सप्ताह में बुलाई जाने वाले संसद सत्र में हिस्सा लेंगे.

थापा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला विवादास्पद है, लेकिन फिर भी उसे स्वीकार कर लागू किया जाना चाहिए. इसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा क्योंकि इस फैसले से राजनीति समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिला है.

पढ़ें- श्रीलंका के विदेश मंत्री ने यूएनएचआरसी के प्रस्ताव को खारिज करने की अपील की

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से अस्थिरता आएगी और सत्ता की लड़ाई का मार्ग प्रशस्त करेगा.

वहां के एक स्थानीय मीडिया ने थापा के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री फैसले पर तामिल करने के लिए प्रतिनिधि सभा का सामना करेंगे, लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे. अदालत के फैसले के बाद प्रधानमंत्री पर बढ़ते दबाव के बीच थापा की यह प्रतिक्रिया आई है.

वहीं, ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल ने कहा कि हम सभी को फैसला स्वीकार करना होगा. हालांकि, यह मौजूदा राजनीतिक समस्या का कोई समाधान प्रदान नहीं करता.

नेपाल के अधिकतर मीडिया घरानों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसने लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखा है और संविधान की रक्षा की है.

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का तत्काल इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है और वह संसद का सामना करने के बारे में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करेंगे. प्रधानमंत्री के एक आधिकारिक प्रतिनिधि ने बुधवार को यह जानकारी दी.

नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तय समय से पहले चुनाव की तैयारियों में जुटे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को झटका देते हुए संसद की भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दिया था.

प्रधान न्यायधीश चोलेंद्र शमशेर जेबीआर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 275 सदस्यों वाले संसद के निचले सदन को भंग करने के सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए सरकार को अगले 13 दिनों के अंदर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया.

पढ़ें- इमरान ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की, द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की

सत्ताधारी दल में खींचतान के बीच नेपाल उस समय सियासी संकट में घिर गया था, जब प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 20 दिसंबर को संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल से 10 मई के बीच नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा की थी.

ओली के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले का पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाले नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के विरोधी धड़े ने विरोध किया था. प्रचंड सत्ताधारी दल के सह-अध्यक्ष भी हैं.

ओली के प्रेस सलाहकार सूर्या थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि उच्चतम न्यायाल के फैसले पर अमल करेंगे और उसके तहत दो सप्ताह में बुलाई जाने वाले संसद सत्र में हिस्सा लेंगे.

थापा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला विवादास्पद है, लेकिन फिर भी उसे स्वीकार कर लागू किया जाना चाहिए. इसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा क्योंकि इस फैसले से राजनीति समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिला है.

पढ़ें- श्रीलंका के विदेश मंत्री ने यूएनएचआरसी के प्रस्ताव को खारिज करने की अपील की

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले से अस्थिरता आएगी और सत्ता की लड़ाई का मार्ग प्रशस्त करेगा.

वहां के एक स्थानीय मीडिया ने थापा के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री फैसले पर तामिल करने के लिए प्रतिनिधि सभा का सामना करेंगे, लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे. अदालत के फैसले के बाद प्रधानमंत्री पर बढ़ते दबाव के बीच थापा की यह प्रतिक्रिया आई है.

वहीं, ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल ने कहा कि हम सभी को फैसला स्वीकार करना होगा. हालांकि, यह मौजूदा राजनीतिक समस्या का कोई समाधान प्रदान नहीं करता.

नेपाल के अधिकतर मीडिया घरानों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसने लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखा है और संविधान की रक्षा की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.