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किसी तीसरे देश के नागरिकों को कुर्था-जयनगर रेलमार्ग से भारत यात्रा की अनुमति नहीं देगा नेपाल

भारतीय अधिकारियों द्वारा सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिये जाने के बाद नेपाल ने स्पष्ट किया है कि वह हाल में शुरू किए गए कुर्था-जयनगर रेलमार्ग से किसी तीसरे देश के नागरिकों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं देगा.एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गयी.

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Published : Nov 20, 2021, 6:03 PM IST

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काठमांडू : काठमांडू पोस्ट अखबार ने रेलवे विभाग के महानिदेशक दीपक कुमार भट्टाराई के हवाले से कहा, सीमा पार रेलवे संचालन के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसपीए) को अंतिम रूप देते समय इस पर सहमति बनी थी. नेपाल और भारत की सीमा कई स्थानों पर खुली है, जहां से अपराधी और आतंकवादी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं.

गत 22 अक्टूबर को, भारत ने बिहार के जयनगर और नेपाल के कुर्था को जोड़ने वाली 34.9 किलोमीटर लंबी सीमा-पार रेल लिंक नेपाल सरकार को सौंप दी थी. एसपीए एक दस्तावेज है जो दोनों देशों के बीच रेलवे सेवा के संचालन के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है.

भट्टाराई ने कहा कि भारत की सुरक्षा चिंता एसपीए को अंतिम रूप देने में इतना समय लगने के प्रमुख कारणों में से एक थी. रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल सीमा पर निर्बाध सुरक्षा मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए भारत को ट्रेन में सवार यात्रियों के बारे में सूचित करेगा. भट्टाराई ने कहा, जारी किए गए टिकटों के आधार पर, हमें उन यात्रियों का विवरण भेजना होगा, जो भारत की यात्रा कर रहे हैं.

जयनगर-कुर्था खंड 68.7 किलोमीटर लंबे -बिजलपुरा-बरदीदास रेल लिंक का हिस्सा है, जिसे भारत सरकार की 8.77 अरब नेपाली रुपये की अनुदान सहायता के तहत बनाया गया है.

ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन) रेलवे संचालन के लिए नैरो गेज (छोटी लाइन) को बदलकर नया बुनियादी ढांचा बनाया गया था, जिसे सात साल से अधिक समय पहले रोक दिया गया था. हालांकि, अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है कि रेलवे सेवा अंततः कब शुरू होगी.

ऐसा इसलिए है क्योंकि नेपाल सरकार को अभी भी रेलवे सेवा पर एक अध्यादेश लाना है और नेपाल रेलवे कंपनी लोगों की भारी कमी से जूझ रही है. चार महीने पहले, शेर बहादुर देउबा सरकार ने संसद में रेल सेवा पर एक अध्यादेश पेश किया था, लेकिन उसे संसदीय मंजूरी नहीं मिली थी.

पढ़ें : नेपाल ने अपने दो गांवों में जनगणना के लिए भारत से मांगी मदद

(पीटीआई-भाषा)

काठमांडू : काठमांडू पोस्ट अखबार ने रेलवे विभाग के महानिदेशक दीपक कुमार भट्टाराई के हवाले से कहा, सीमा पार रेलवे संचालन के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसपीए) को अंतिम रूप देते समय इस पर सहमति बनी थी. नेपाल और भारत की सीमा कई स्थानों पर खुली है, जहां से अपराधी और आतंकवादी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं.

गत 22 अक्टूबर को, भारत ने बिहार के जयनगर और नेपाल के कुर्था को जोड़ने वाली 34.9 किलोमीटर लंबी सीमा-पार रेल लिंक नेपाल सरकार को सौंप दी थी. एसपीए एक दस्तावेज है जो दोनों देशों के बीच रेलवे सेवा के संचालन के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है.

भट्टाराई ने कहा कि भारत की सुरक्षा चिंता एसपीए को अंतिम रूप देने में इतना समय लगने के प्रमुख कारणों में से एक थी. रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल सीमा पर निर्बाध सुरक्षा मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए भारत को ट्रेन में सवार यात्रियों के बारे में सूचित करेगा. भट्टाराई ने कहा, जारी किए गए टिकटों के आधार पर, हमें उन यात्रियों का विवरण भेजना होगा, जो भारत की यात्रा कर रहे हैं.

जयनगर-कुर्था खंड 68.7 किलोमीटर लंबे -बिजलपुरा-बरदीदास रेल लिंक का हिस्सा है, जिसे भारत सरकार की 8.77 अरब नेपाली रुपये की अनुदान सहायता के तहत बनाया गया है.

ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन) रेलवे संचालन के लिए नैरो गेज (छोटी लाइन) को बदलकर नया बुनियादी ढांचा बनाया गया था, जिसे सात साल से अधिक समय पहले रोक दिया गया था. हालांकि, अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है कि रेलवे सेवा अंततः कब शुरू होगी.

ऐसा इसलिए है क्योंकि नेपाल सरकार को अभी भी रेलवे सेवा पर एक अध्यादेश लाना है और नेपाल रेलवे कंपनी लोगों की भारी कमी से जूझ रही है. चार महीने पहले, शेर बहादुर देउबा सरकार ने संसद में रेल सेवा पर एक अध्यादेश पेश किया था, लेकिन उसे संसदीय मंजूरी नहीं मिली थी.

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(पीटीआई-भाषा)

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