यंगून : म्यांमार की सेना ने देशभर में तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि अगर वे सशस्त्र बलों की कार्रवाई में बाधा डालते हैं तो उन्हें 20 साल तक की जेल हो सकती है.
सोमवार को बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सैन्य नेताओं के खिलाफ घृणा या अवमानना के लिए उकसाने वालों पर भी लंबी अवधि की सजा और जुर्माना भी लगाया जाएगा. लोगों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर सड़कों पर बख्तरबंद गाड़ियां भी देखी गईं और कानून में बदलाव की घोषणा भी की गई.
गौरतलब है कि हाल के दिनों में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारी स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और लोकतंत्र की बहाली सहित अपने चुने हुए नेताओं की नजरबंदी से रिहाई की मांग कर रहे हैं.
सोमवार को सू ची के वकील ने कहा कि उन्हें और दो दिनों के लिए हिरासत में रखा जाएगा. उसके बाद बुधवार को राजधानी ने पी ता की एक अदालत में वीडियो लिंक के माध्यम से उनकी सुनवाई की जाएगी.
सू ची को 1 फरवरी को सरकार के अन्य सदस्यों के साथ हिरासत में लिया गया था और उनकी हिरासत की अवधि 15 फरवरी को समाप्त होने वाली थी.
उनके खिलाफ जो आरोप लगे हैं उनमें उनके सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संचार उपकरण - वॉकी-टॉकीज को अवैध रूप से रखा जाना शामिल है.
उनकी पार्टी को पिछले नवंबर में शानदार जीत मिली थी, लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है जिसे निर्वाचन आयोग ने सिरे से नकार दिया है.
बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि तख्तापलट का विरोध कर रहे लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा.
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सत्तारूढ़ सैन्य शासन ने मौजूदा कानूनों में कई बदलावों की घोषणा की है. इसमें सेना के प्रति घृणा उत्पन्न करने वाले किसी भी व्यक्ति पर लंबी जेल की सजा और जुमार्ना लगाया गया है.
सोमवार को सेना की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा गया है कि सुरक्षा बलों को अपने कर्तव्यों को पूरा करने से रोकने वाले लोगों को सात साल की जेल का सामना करना पड़ सकता है, जबकि जो लोग जनता में भय या अशांति फैलाते पाए गए उन्हें तीन साल तक जेल हो सकती है. इंटरनेट सेवा बहाल होने के कुछ घंटे बाद ही यह खबर आई.
रविवार को देशभर में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने नौवें दिन सेना के खिलाफ रैली की.