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म्यांमार : लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर प्रतिबंध, विरोध प्रदर्शन जारी - सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते

म्यांमार में पिछले हफ्ते तख्तापलट के बाद लोगों के हुजूम के एक जगह जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद वहां विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है. म्यांमार पुलिस के अधिकारी ने न्यूज एजेंसी से कहा कि यह कर्फ्यू और प्रतिबंध उन जगहों में लगाया जाएगा, जहां भीड़ इकट्ठा होने की संभावना ज्यादा है.

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Published : Feb 9, 2021, 5:13 PM IST

नेपीता : म्यांमार में पिछले हफ्ते तख्तापलट के बाद लोगों के हुजूम के एक जगह जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद वहां विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है. मंगलवार को लगातार चौथे दिन लोगों ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू-ची की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.

सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सैन्य शासन द्वारा जारी आदेश में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत विभिन्न राज्यों एवं शहरों में पांच अथवा इससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. आदेश के मुताबिक, यांगून, राजधानी नेपीता और मैंनडाले के कुछ इलाकों को छोड़कर लगभग सभी शहरों में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है.

म्यांमार पुलिस के अधिकारी ने सिन्हुआ न्यूज एजेंसी से कहा कि यह कर्फ्यू और प्रतिबंध उन जगहों में लगाया जाएगा, जहां भीड़ इकट्ठा होने की संभावना ज्यादा है.

सू-ची को रिहा करने की मांग
प्रदर्शनकारी म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू-ची को तत्काल रिहा करने की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि सोमवार को भी म्यांमार की राजधानी नेपीता में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे और उन्हें हटाने के लिए पुलिस को पानी की बौछार करनी पड़ी थी. इसका एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.

म्यांमार में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसे सेना ने फर्जी बताया है और इसके बाद सैनिक विद्रोह की आशंकाएं बढ़ गई थीं. तख्तापलट के बाद सेना ने देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथों में ले लिया है. सेना ने जनरल मिंट स्वे (Myint Swe) को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है.

सेना ने दी थी कार्रवाई की धमकी
नवंबर, 2020 में आम चुनावों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच गतिरोध बना हुआ था. सेना का कहना है कि 8 नवंबर, 2020 को जो आम चुनाव हुए थे, वे फर्जी थे. इस चुनाव में सू-ची की एनएलडी पार्टी को संसद में 83 प्रतिशत सीटें मिली थीं, जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त थीं. सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी.

यह भी पढ़ें-पीएम मोदी और बाइडेन के बीच वार्ता, भविष्य में सहयोग बढ़ाने पर सहमति

हालांकि चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था. इस कथित फर्जीवाड़े के बाद सेना ने हाल ही में कार्रवाई की धमकी दी थी. इसके बाद से ही तख्ता पलट की आशंकाएं बढ़ गई थीं.

नेपीता : म्यांमार में पिछले हफ्ते तख्तापलट के बाद लोगों के हुजूम के एक जगह जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद वहां विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है. मंगलवार को लगातार चौथे दिन लोगों ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू-ची की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.

सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सैन्य शासन द्वारा जारी आदेश में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत विभिन्न राज्यों एवं शहरों में पांच अथवा इससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. आदेश के मुताबिक, यांगून, राजधानी नेपीता और मैंनडाले के कुछ इलाकों को छोड़कर लगभग सभी शहरों में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है.

म्यांमार पुलिस के अधिकारी ने सिन्हुआ न्यूज एजेंसी से कहा कि यह कर्फ्यू और प्रतिबंध उन जगहों में लगाया जाएगा, जहां भीड़ इकट्ठा होने की संभावना ज्यादा है.

सू-ची को रिहा करने की मांग
प्रदर्शनकारी म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू-ची को तत्काल रिहा करने की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि सोमवार को भी म्यांमार की राजधानी नेपीता में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे और उन्हें हटाने के लिए पुलिस को पानी की बौछार करनी पड़ी थी. इसका एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.

म्यांमार में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसे सेना ने फर्जी बताया है और इसके बाद सैनिक विद्रोह की आशंकाएं बढ़ गई थीं. तख्तापलट के बाद सेना ने देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथों में ले लिया है. सेना ने जनरल मिंट स्वे (Myint Swe) को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है.

सेना ने दी थी कार्रवाई की धमकी
नवंबर, 2020 में आम चुनावों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच गतिरोध बना हुआ था. सेना का कहना है कि 8 नवंबर, 2020 को जो आम चुनाव हुए थे, वे फर्जी थे. इस चुनाव में सू-ची की एनएलडी पार्टी को संसद में 83 प्रतिशत सीटें मिली थीं, जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त थीं. सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी.

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हालांकि चुनाव आयोग ने उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था. इस कथित फर्जीवाड़े के बाद सेना ने हाल ही में कार्रवाई की धमकी दी थी. इसके बाद से ही तख्ता पलट की आशंकाएं बढ़ गई थीं.

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