लाहौर : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को विशेष अदालत ने उच्च राजद्रोह मामले में मौत की सजा सुनाई थी. मुशर्रफ ने इस फैसले को चुनौती देते हुए लाहौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की. मुशर्रफ पर तीन नवंबर 2007 को संविधान निलंबित करने के लिए उन पर उच्च राजद्रोह मामला दर्ज किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर इस्लामाबाद स्थित विशेष अदालत ने सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर को मुशर्रफ को उच्च राजद्रोह का दोषी पाया और उन्हें मौत की सजा सुनाई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 17 दिसंबर को इस्लामाबाद स्थित विशेष अदालत ने
इस फैसले के बाद पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब एक सैन्य प्रमुख को उच्च राजद्रोह का दोषी घोषित किया गया और उसे मौत की सजा दी गई.
मुशर्रफ की ओर से एडवोकेट अजहर सिद्दीकी द्वारा दायर 86 पेज लंबी याचिका में संघीय सरकार के साथ ही अन्य नाम भी शामिल हैं.
इस याचिका पर एक संपूर्ण पीठ नौ जनवरी, 2020 को सुनवाई करेगी.
इसमें रेखांकित किया गया है कि फैसले में विसंगतियां और विरोधाभासी बयान थे. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि विशेष अदालत ने फैसला सुनाने में काफी तेजी दिखाई.
याचिका में फैसले के पैराग्राफ 66 को भी चुनौती दी गई है, जिसमें लिखा है, 'हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि वह भगोड़े/दोषी मुशर्रफ को पकड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें. इसके साथ ही एजेंसी यह सुनिश्चित करें कि सजा कानून के रूप में दी जाए और अगर वह (मुशर्रफ) मृत पाया जाता है तो उसके पार्थिव शरीर को डी-चौक (संसद भवन के सामने) तक घसीट कर ले जाया जाए और तीन दिनों के लिए फांसी पर लटकाया जाए'
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इसमें कहा गया है कि विशेष अदालत ने सभी नैतिक, नागरिक और संवैधानिक मर्यादाओं को पार कर दिया है और गैरकानूनी रूप से क्रूरतापूर्वक एक व्यक्ति को अपमानित करने का काम किया है.
मुशर्रफ फिलहाल दुबई में हैं और अपनी विभिन्न बीमारियों का इलाज करा रहे हैं.