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जी-7 सम्मेलन में चीन के कानून की निंदा और हांगकांग पर चर्चा हो : जापानी पीएम - चीन के सुरक्षा कानून की निंदा

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा है कि इस बार जी-7 देशों के समूह की बैठक में चीन के सुरक्षा कानून की निंदा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जी-7 देशों की बैठक में हांगकांग के हालात पर भी चर्चा होनी चाहिए.

शिंजो आबे
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Published : Jun 11, 2020, 10:20 AM IST

टोक्यो : जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश की संसद (डाइट) को संबोधित करते हुए कहा कि जी-7 देशों के नेताओं को हांगकांग के लिए 'एक देश, दो सिस्‍टम' के सिद्धांत को संरक्षित करने के लिए एक बयान जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह इस बार जी-7 देशों की बैठक में चीन के सुरक्षा कानून की निंदा और हांगकांग के हालात पर चर्चा करना चाहते हैं.

गौरतलब है कि इस फ्रेमवर्क के मुताबिक हांगकांग को बीजिंग के प्रशासन के तहत एक अर्ध स्‍वायत्त क्षेत्र का अधिकार मिलता है.

यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आया है जिसमें यह कहा जा रहा था कि जापान ने अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम से साथ आने से इनकार कर दिया था. खबरों के मुताबिक जापान ने हांगकांग से जुड़े चीनी कानून की निंदा करने के लिए अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम का साथ नहीं दिया था.

बता दें कि चीनी सांसदों ने पिछले महीने संसद के वार्षिक सत्र के दौरान एक बिल पर चर्चा की थी. इस बिल में चीन के राष्ट्रीय प्रतीक, झंडे और राष्ट्रगान का अपमान किए जाने की घटनाओं को अपराध बताया गया है.

पढ़ें-जी7 में भागीदारी के लिए अमेरिका ने भारत को दिया न्योता : तरनजीत संधू

चीन द्वारा पेश किए गए बिल के बाद चीन में घरेलू विरोध पैदा हुए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचनाएं हुईं. हालांकि, दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि विधेयक लागू करने का अधिकार दोनों जगहों की प्रशासन को है.

बता दें कि करीब एक साल से (जून, 2019) हांगकांग में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में चीन की दखल का विरोध कर रहे हैं. हालांकि, चीन का कहना है कि हांगकांग में हो रहा विरोध अंतरराष्ट्रीय दखल के कारण हो रहे हैं. चीन का दावा है कि वह 'एक देश, दो सिस्‍टम' के सिद्धांत का समर्थन करता है.

चीन के मुखर विरोध के बावजूद यह मुद्दा 15 सदस्‍यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाया गया. हालांकि, चीन ने हांगकांग के मामले को सुरक्षा परिषद में उठाए जाने का प्रबल विरोध कर रहा था. उसका तर्क था कि हांगकांग चीन का आंतरिक मामला है.

टोक्यो : जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश की संसद (डाइट) को संबोधित करते हुए कहा कि जी-7 देशों के नेताओं को हांगकांग के लिए 'एक देश, दो सिस्‍टम' के सिद्धांत को संरक्षित करने के लिए एक बयान जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह इस बार जी-7 देशों की बैठक में चीन के सुरक्षा कानून की निंदा और हांगकांग के हालात पर चर्चा करना चाहते हैं.

गौरतलब है कि इस फ्रेमवर्क के मुताबिक हांगकांग को बीजिंग के प्रशासन के तहत एक अर्ध स्‍वायत्त क्षेत्र का अधिकार मिलता है.

यह बयान उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आया है जिसमें यह कहा जा रहा था कि जापान ने अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम से साथ आने से इनकार कर दिया था. खबरों के मुताबिक जापान ने हांगकांग से जुड़े चीनी कानून की निंदा करने के लिए अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम का साथ नहीं दिया था.

बता दें कि चीनी सांसदों ने पिछले महीने संसद के वार्षिक सत्र के दौरान एक बिल पर चर्चा की थी. इस बिल में चीन के राष्ट्रीय प्रतीक, झंडे और राष्ट्रगान का अपमान किए जाने की घटनाओं को अपराध बताया गया है.

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चीन द्वारा पेश किए गए बिल के बाद चीन में घरेलू विरोध पैदा हुए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचनाएं हुईं. हालांकि, दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि विधेयक लागू करने का अधिकार दोनों जगहों की प्रशासन को है.

बता दें कि करीब एक साल से (जून, 2019) हांगकांग में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में चीन की दखल का विरोध कर रहे हैं. हालांकि, चीन का कहना है कि हांगकांग में हो रहा विरोध अंतरराष्ट्रीय दखल के कारण हो रहे हैं. चीन का दावा है कि वह 'एक देश, दो सिस्‍टम' के सिद्धांत का समर्थन करता है.

चीन के मुखर विरोध के बावजूद यह मुद्दा 15 सदस्‍यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाया गया. हालांकि, चीन ने हांगकांग के मामले को सुरक्षा परिषद में उठाए जाने का प्रबल विरोध कर रहा था. उसका तर्क था कि हांगकांग चीन का आंतरिक मामला है.

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