इस्लामाबाद : कुलभूषण जाधव के लिए एक वकील नियुक्त करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय सुनवाई तो तीन सितंबर तक स्थगित कर दिया है. सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि भारतीय अधिकारियों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए. इससे पहले हाईकोर्ट ने कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले में संघीय सरकार द्वारा प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन किया था, जिसे तीन अगस्त को सुनवाई करनी थी.
सोमवार को, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने जाधव के लिये एक वकील नियुक्त किये जाने की पाक सरकार की याचिका पर सुनवाई की.पीठ में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्ला और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब शामिल हैं.
पाकिस्तान सरकार ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से जाधव के लिये एक कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त करने का अनुरोध किया था, ताकि वह आईसीजे के फैसले के क्रियान्वयन को देखने की जिम्मेदारी पूरी कर सके.
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि जाधव ने अपने खिलाफ सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका या पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति मिनल्ला के हवाले से जियो न्यूज ने कहा, 'चूंकि अब यह विषय उच्च न्यायालय में है, ऐसे में भारत को दूसरा मौका क्यों नहीं दिया जा रहा. '
न्यायाधीश ने कहा कि भारत सरकार या जाधव समीक्षा याचिका से संबंधित अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं. उन्होंने कहा, 'भारत और कुलभूषण जाधव को एक कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त करने का एक बार फिर प्रस्ताव देना चाहिए. '
मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल को जाधव को उच्च न्यायालय में उनके मामले से 'अवगत कराने' को कहा और यह भी बताने कहा कि वह(जाधव) वकील रख सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को जाधव के लिये वकील नियुक्त करने को लेकर भारत से संपर्क करना चाहिए.अदालत ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई जाधव का अधिकार है.
न्यायाधीश की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने कहा कि भारत और जाधव को सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिये एक अवसर देने को लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया था.
उन्होंने कहा, 'हम विदेश कार्यालय के जरिये एक बार फिर से भारत से संपर्क करेंगे. ' बहरहाल, सुनवाई तीन सितंबर के लिये स्थगित कर दी गई.
बता दें कि पाकिस्तानी सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया था. यह अध्यादेश जाधव के लिए अपने खिलाफ सजा को चुनौती देने का रास्ता साफ करता है.
अध्यादेश के तहत संघीय सरकार ने जाधव के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त किया है, जो आईएचसी के समक्ष मामले को प्रस्तुत करेगा. मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाला, जाधव के मामले की याचिका पर सुनवाई करेंगे और वही पीठ के प्रमुख भी होंगे.
संघीय सरकार ने 22 जुलाई को आईएचसी से कहा था कि जाधव कथित भारतीय जासूस हैं और वह कथित तौर पर पाकिस्तान में कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं.
सरकार ने बताया कि जाधव ने अपनी मौत की सजा के खिलाफ याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है. साथ ही यह भी कहा कि जाधव भारत की सहायता के बिना पाकिस्तान में वकील नियुक्त नहीं कर सकते हैं.
याचिका के अनुसार, जाधव ने अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर करने से इनकार कर दिया, जबकि नई दिल्ली भी अध्यादेश के तहत सुविधा का लाभ उठाने के लिए अनिच्छुक है.
यह कदम तब सामने आया, जब संघीय सरकार ने जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 पेश किया, जिसे पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (निचला सदन) के माध्यम से मंजूरी मिल गई और इसे सीनेट (ऊपरी सदन) में पेश करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है.विपक्षी दल अध्यादेश के खिलाफ खड़े नजर आए हैं.
उन्होंने 'देश में आतंकवाद में शामिल रहे भारतीय जासूस को खुला समर्थन' देने का कड़ा विरोध किया है.पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया है, जो पाकिस्तान की हिरासत में भारतीय जासूसों को फायदा पहुंचाएगा.
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वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, अध्यादेश को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले के अनुसार प्रख्यापित किया गया है, जिसमें काउंसल एक्सेस की पहुंच और जासूस के लिए अपील के अधिकार की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, भारत हमें फिर से आईसीजे में घसीटना चाहता है, लेकिन हमने पाकिस्तान के खिलाफ भारत के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सभी निर्देशों का पालन किया है.मगर विपक्षी दलों का दावा है कि सरकार जाधव को रियायत देने की कोशिश कर रही है.
जाधव (50) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच मुहैया कराने से पाकिस्तान के इनकार करने के खिलाफ और उनकी मौत की सजा को चुनौती देने के लिये हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया था.
आईसीजे ने जुलाई 2019 में अपने आदेश में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि और सजा की 'प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार' करना होगा. साथ ही, उसे बगैर विलंब किये भारत को राजनयिक माध्यम से उनसे संपर्क करने की अनुमति भी देनी होगी.