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ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा- बाइडेन से नहीं करेंगे मुलाकात

ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति जाे बाइडेन से मुलाकात नहीं करेंगे.

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Published : Jun 21, 2021, 6:21 PM IST

दुबई : ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि वह तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर समझौता नहीं करना चाहते हैं, न ही क्षेत्रीय मिलीशिया के मुद्दे पर वार्ता करना चाहते हैं. साथ ही उन्हाेंने स्पष्ट कर दिया कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी नहीं मिलना चाहते हैं. यह पूछने पर कि क्या बाइडेन से उनकी मुलाकात की संभावना है तो उन्होंने कहा, 'नहीं.'

खुद काे बताया मानवाधिकारों का रक्षक

इस बीच, रईसी से जब पूछा गया कि क्या 1988 में करीब पांच हजार लोगों के नरसंहार में वह संलिप्त थे, तो उन्होंने खुद को 'मानवाधिकारों का रक्षक' बताया. रईसी उस तथाकथित 'मौत के पैनल' का हिस्सा थे जिसने 1980 के दशक के अंत में ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति के बाद राजनीतिक कैदियों को सजा दी थी. रईसी ने शुक्रवार को चुनाव में भारी बहुमत से जीत के बाद सोमवार को पहले संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, 'ईरान के खिलाफ सभी कड़े प्रतिबंध वापस लेने के लिए अमेरिका बाध्य है.' करीब एक घंटे तक चले संवाददाता सम्मेलन में पहले वह थोड़ा घबराए हुए दिखे, लेकिन बाद में सामान्य हो गए. ईरान के बैलिस्टिक कार्यक्रम और क्षेत्रीय मिलीशिया को उसके समर्थन के बारे में पूछे जाने पर रईसी ने कहा कि इन मुद्दों पर 'समझौता नहीं' हो सकता है.

सऊदी अरब और इजराइल जैसे दुश्मनों से संतुलन बनाए रखने के लिए ईरान, यमन के हुती और लेबनान के हिज्बुल्ला जैसे क्षेत्रीय मिलिशया पर भरोसा करता है. तेहरान के पास 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले के लड़ाकू विमान हैं, जिस कारण वह क्षेत्रीय अरब पड़ोसियों के खिलाफ मिसाइलों में निवेश कर रहा है. उसके पड़ोसी अरब देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियार खरीदे हैं.

व्हाइट हाउस ने नहीं दी काेई प्रतिक्रिया

बता दें कि रईसी के सोमवार के बयान पर व्हाइट हाउस ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के विश्वासपात्र रईसी पर अमेरिका ने नरसंहार में संलिप्तता को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है. शुक्रवार को उनकी जीत इस्लामिक गणतंत्र के इतिहास में सबसे कम मतदान के बीच हुई है. लाखों ईरानी नागरिक मतदान के लिए बाहर नहीं निकले जो रईसी की जीत में सहायक रहे. रईसी ने ऐसे समय में जीत हासिल की है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए 2015 में हुए समझौता वार्ता को बचाने के वास्ते वियना में कई देशों की सरकार प्रयासरत है. रईसी की जीत ने इस समझौते के लिए चिंता की लकीरें खींच दी हैं.

इसे भी पढ़ें : ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख रईसी की जीत

इसे भी पढ़ें : अफगानिस्तान में नाकाम रहा अमेरिका : करजई

दुबई : ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि वह तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर समझौता नहीं करना चाहते हैं, न ही क्षेत्रीय मिलीशिया के मुद्दे पर वार्ता करना चाहते हैं. साथ ही उन्हाेंने स्पष्ट कर दिया कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी नहीं मिलना चाहते हैं. यह पूछने पर कि क्या बाइडेन से उनकी मुलाकात की संभावना है तो उन्होंने कहा, 'नहीं.'

खुद काे बताया मानवाधिकारों का रक्षक

इस बीच, रईसी से जब पूछा गया कि क्या 1988 में करीब पांच हजार लोगों के नरसंहार में वह संलिप्त थे, तो उन्होंने खुद को 'मानवाधिकारों का रक्षक' बताया. रईसी उस तथाकथित 'मौत के पैनल' का हिस्सा थे जिसने 1980 के दशक के अंत में ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति के बाद राजनीतिक कैदियों को सजा दी थी. रईसी ने शुक्रवार को चुनाव में भारी बहुमत से जीत के बाद सोमवार को पहले संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा, 'ईरान के खिलाफ सभी कड़े प्रतिबंध वापस लेने के लिए अमेरिका बाध्य है.' करीब एक घंटे तक चले संवाददाता सम्मेलन में पहले वह थोड़ा घबराए हुए दिखे, लेकिन बाद में सामान्य हो गए. ईरान के बैलिस्टिक कार्यक्रम और क्षेत्रीय मिलीशिया को उसके समर्थन के बारे में पूछे जाने पर रईसी ने कहा कि इन मुद्दों पर 'समझौता नहीं' हो सकता है.

सऊदी अरब और इजराइल जैसे दुश्मनों से संतुलन बनाए रखने के लिए ईरान, यमन के हुती और लेबनान के हिज्बुल्ला जैसे क्षेत्रीय मिलिशया पर भरोसा करता है. तेहरान के पास 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले के लड़ाकू विमान हैं, जिस कारण वह क्षेत्रीय अरब पड़ोसियों के खिलाफ मिसाइलों में निवेश कर रहा है. उसके पड़ोसी अरब देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियार खरीदे हैं.

व्हाइट हाउस ने नहीं दी काेई प्रतिक्रिया

बता दें कि रईसी के सोमवार के बयान पर व्हाइट हाउस ने अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के विश्वासपात्र रईसी पर अमेरिका ने नरसंहार में संलिप्तता को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है. शुक्रवार को उनकी जीत इस्लामिक गणतंत्र के इतिहास में सबसे कम मतदान के बीच हुई है. लाखों ईरानी नागरिक मतदान के लिए बाहर नहीं निकले जो रईसी की जीत में सहायक रहे. रईसी ने ऐसे समय में जीत हासिल की है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए 2015 में हुए समझौता वार्ता को बचाने के वास्ते वियना में कई देशों की सरकार प्रयासरत है. रईसी की जीत ने इस समझौते के लिए चिंता की लकीरें खींच दी हैं.

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