दुबई : ईरान के विदेश मंत्री की एक रिकॉर्डिंग सार्वजनिक तौर पर लीक हो गई है, जिसमें उन्होंने कूटनीति की वस्तु स्थिति और इस्लामी गणराज्य में सत्ता की सीमा को लेकर बेबाकी से अपनी बात कही है. यह रिकॉर्डिंग देश के धर्मतंत्र के प्रति एक दुर्लभ अवलोकन उपलब्ध कराती है.
मोहम्मद जवाद जरीफ की लीक हुई इन टिप्पणियों से ईरान के भीतर तूफान खड़ा हो गया है जहां गला काट राजनीतिक वातावरण के बीच अधिकारी अपना एक-एक शब्द सोच-समझकर बोलते हैं.
देश की राजनीति में शक्तिशाली अद्धसैनिक बल रेवोल्यूशनरी गार्ड का भी दखल है, जिसका सर्वेसर्वा देश का सर्वोच्च नेता है.
जरीफ 18 जून को ईरान के राष्ट्रपति चुनाव के संभावित प्रत्याशी भी बताए जा रहे हैं.
ईरान के बाहर भी जरीफ की टिप्पणियां वियना में जारी बातचीत को प्रभावित कर सकती हैं, जिसके जरिए विश्व शक्तियों के साथ हुए ईरान के 2015 के परमाणु समझौते के अनुपालन के लिए अमेरिका और तेहरान दोनों को सहमत करने के तरीके तलाशे जा रहे हैं.
रिकॉर्डिंग के सार्वजनिक होने के बाद ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने टेप की प्रमाणिकता पर विवाद खड़ा नहीं किया. उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि यह रिकॉर्डिंग प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के साथ सात घंटे तक चले साक्षात्कार का बहुत छोटा सा हिस्सा है.
खतीबजादेह ने रिकॉर्डिंग जारी करने को 'अवैध' करार दिया और कहा कि इसे चुनिंदा तरीके से संपादित किया गया है. उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सार्वजनिक हुआ कैसे.
लीक हुए साक्षात्कार के कुछ अंश ईरान इंटरनेशनल समाचार चैनल पर दिखा गए, जिसमें जरीफ ने कहा कि रूस परमाणु सौदा रोकना चाहता है. उन्होंने कहा, 'अगर ईरान राष्ट्रपति ट्रंप की प्राथमिकता नहीं बनता तो चीन और रूस उनकी प्राथमिकता होते.'
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जरीफ ने कहा, 'पश्चिम के साथ शत्रुता के कारण, हमें रूस और चीन की हमेशा से जरूरत रही है, उन्हें किसी के साथ प्रतियोगिता करने की जरूरत नहीं है और वे हमारे माध्यम से अधिकतम लाभ भी उठा सकते हैं.'
चीन और रूस दोनों ही परमाणु सौद में लौटने के मुखर समर्थक रहे हैं.
इस रिकॉर्डिंग में जरीफ ने रेवोल्यूशनरी गार्ड के जनरल रहे कासिम सुलेमानी के रूस के साथ अलग से रहे संबंधों की भी आलोचना की है. बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में 2020 में सुलेमानी की मौत हो गई थी. उस वक्त हुए इस हमले के बाद ईरान और अमेरिकी में युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी.
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ट्विटर पर लीक हुई रिकॉर्डिंग को 'तीव्र हमला' बताया जिसका 'ईरान और पश्चिम एशिया पर व्यापक असर पड़ेगा.'