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सऊदी तेल संयंत्रों पर हमला : ईरान ने अमेरिका के आरोपों का खंडन किया

ईरान और अमेरिका के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ रहा है. सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए हमले के बाद अमेरिका ने ईरान पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ईरान ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि अमेरिका ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की ताक में है. जानें क्या है पूरा मामला...

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Published : Sep 15, 2019, 6:03 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 5:49 PM IST

तेहरान: ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों का खंडन किया है कि सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए हमले में उसका हाथ है. साथ ही, ईरान ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिका उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए कोई बहाना ढूंढ रहा है.

इस बीच, इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की दूरी तक अमेरिकी ठिकानों और जहाजों को निशाना बना सकती है.

अमेरिका के आरोपों पर इस्लामी गणराज्य ईरान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी के हवाले से रविवार को एक बयान जारी किया गया.
मूसावी के बयान में कहा गया, 'ऐसे निराधार और बिना सोचे-समझे लगाए गए आरोप एवं टिप्पणियां निरर्थक और समझ से परे हैं.'

मूसावी ने कहा कि पूर्वी प्रांत के अब्कैक और खुरैस पर हुए हमलों को लेकर लगाए जा रहे आरोप, ईरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए हैं.

उन्होंने कहा, 'ऐसी टिप्पणियां... किसी देश की छवि खराब करने के लिए खुफिया संगठनों का कुचक्र रचने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए की गईं ज्यादा लगती हैं.'
मूसावी ने कहा, अमेरिकियों की नीति 'अधिकतम दबाव' बनाने की है और विफलताओं के कारण वे 'अधिक से अधिक झूठ' बोलने लगे हैं.

रविवार को प्रकाशित टिप्पणी में इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की रेंज में अमेरिकी ठिकानों एवं पोतों को निशाना बना सकती है.

तस्नीम संवाद समिति ने ब्रिगेडियर जनरल अमीरअली हाजीजदेह के हवाले से कहा, 'न हम, ना ही अमेरिकी युद्ध चाहते हैं.'

पढ़ें: इराक: अमेरिका ने आईएस के ठिकानों पर 36 हजार किलो का बम गिराए

कमांडर ने कहा, 'निश्चित तौर पर क्षेत्र में एक-दूसरे का सामना कर रहे कुछ बल ऐसा कुछ कर सकते हैं, जिससे युद्ध शुरू हो सकता है.'

उन्होंने कहा, 'हमने एक पूर्ण युद्ध के लिए हमेशा से खुद को तैयार रखा है...हर किसी को पता होना चाहिए कि 2,000 किलोमीटर की रेंज में मौजूद सभी अमेरिकी ठिकानों एवं उनके पोतों को हमारी मिसाइलें निशाना बना सकती हैं.'
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शनिवार को हुए हमलों के बाद ईरान की निंदा की. इन हमलों में सऊदी अरब के करीब आधे तेल ठिकानों को निशाना बनाया गया.

यमन के ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली लेकिन पोम्पिओ ने कहा, 'इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि ये हमले यमन से हुए.'

शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने ट्वीट किया, 'अमेरिका अपने साझेदारों एवं सहयोगियों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि ऊर्जा (तेल)बाजारों को आपूर्ति सही से हो और ईरान को उसकी आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.'

गौरतलब है कि ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तनाव बढ़ा हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए एक सौदे से अमेरिका को बाहर कर लिया था. इस सौदे के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के बदले उस पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का वादा किया गया था.

सौदे से बाहर होने के बाद से अमेरिका ने 'अधिकतम दबाव' बनाने के अपने अभियान के तहत ईरान पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए हैं और इस्लामी गणराज्य ने इसका जवाब देने के लिए परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताएं कम की हैं.

इन धुर विरोधियों (अमेरिका और ईरान) में जून में युद्ध होने की स्थिति पैदा हो गई थी जब ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन विमान को मार गिराया था और ट्रंप ने जवाबी हमले करने का आदेश दे दिया था. हालांकि अंतिम क्षण में उन्होंने इसे रोक लिया था.

तेहरान: ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों का खंडन किया है कि सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए हमले में उसका हाथ है. साथ ही, ईरान ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिका उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए कोई बहाना ढूंढ रहा है.

इस बीच, इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की दूरी तक अमेरिकी ठिकानों और जहाजों को निशाना बना सकती है.

अमेरिका के आरोपों पर इस्लामी गणराज्य ईरान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी के हवाले से रविवार को एक बयान जारी किया गया.
मूसावी के बयान में कहा गया, 'ऐसे निराधार और बिना सोचे-समझे लगाए गए आरोप एवं टिप्पणियां निरर्थक और समझ से परे हैं.'

मूसावी ने कहा कि पूर्वी प्रांत के अब्कैक और खुरैस पर हुए हमलों को लेकर लगाए जा रहे आरोप, ईरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए हैं.

उन्होंने कहा, 'ऐसी टिप्पणियां... किसी देश की छवि खराब करने के लिए खुफिया संगठनों का कुचक्र रचने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए की गईं ज्यादा लगती हैं.'
मूसावी ने कहा, अमेरिकियों की नीति 'अधिकतम दबाव' बनाने की है और विफलताओं के कारण वे 'अधिक से अधिक झूठ' बोलने लगे हैं.

रविवार को प्रकाशित टिप्पणी में इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की रेंज में अमेरिकी ठिकानों एवं पोतों को निशाना बना सकती है.

तस्नीम संवाद समिति ने ब्रिगेडियर जनरल अमीरअली हाजीजदेह के हवाले से कहा, 'न हम, ना ही अमेरिकी युद्ध चाहते हैं.'

पढ़ें: इराक: अमेरिका ने आईएस के ठिकानों पर 36 हजार किलो का बम गिराए

कमांडर ने कहा, 'निश्चित तौर पर क्षेत्र में एक-दूसरे का सामना कर रहे कुछ बल ऐसा कुछ कर सकते हैं, जिससे युद्ध शुरू हो सकता है.'

उन्होंने कहा, 'हमने एक पूर्ण युद्ध के लिए हमेशा से खुद को तैयार रखा है...हर किसी को पता होना चाहिए कि 2,000 किलोमीटर की रेंज में मौजूद सभी अमेरिकी ठिकानों एवं उनके पोतों को हमारी मिसाइलें निशाना बना सकती हैं.'
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शनिवार को हुए हमलों के बाद ईरान की निंदा की. इन हमलों में सऊदी अरब के करीब आधे तेल ठिकानों को निशाना बनाया गया.

यमन के ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली लेकिन पोम्पिओ ने कहा, 'इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि ये हमले यमन से हुए.'

शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने ट्वीट किया, 'अमेरिका अपने साझेदारों एवं सहयोगियों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि ऊर्जा (तेल)बाजारों को आपूर्ति सही से हो और ईरान को उसकी आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.'

गौरतलब है कि ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तनाव बढ़ा हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए एक सौदे से अमेरिका को बाहर कर लिया था. इस सौदे के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के बदले उस पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का वादा किया गया था.

सौदे से बाहर होने के बाद से अमेरिका ने 'अधिकतम दबाव' बनाने के अपने अभियान के तहत ईरान पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए हैं और इस्लामी गणराज्य ने इसका जवाब देने के लिए परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताएं कम की हैं.

इन धुर विरोधियों (अमेरिका और ईरान) में जून में युद्ध होने की स्थिति पैदा हो गई थी जब ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन विमान को मार गिराया था और ट्रंप ने जवाबी हमले करने का आदेश दे दिया था. हालांकि अंतिम क्षण में उन्होंने इसे रोक लिया था.

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IRAN-SAUDI-LD REAX
Iran refutes US accusations over Saudi attacks
         Tehran, Sep 15 (AFP) Iran on Sunday dismissed US accusations it was behind drone attacks on Saudi oil installations, suggesting the United States was seeking a pretext to retaliate against the Islamic republic.
         "Such fruitless and blind accusations and remarks are incomprehensible and meaningless," foreign ministry spokesman Abbas Mousavi was quoted as saying in a statement.
         US Secretary of State Mike Pompeo condemned Iran after Saturday's attacks, which knocked out half of Saudi Arabia's oil production.
         Yemen's Iran-aligned Shiite Huthi rebels claimed responsibility for the drone strikes, but Pompeo said "there is no evidence the attacks came from Yemen".
         "The United States will work with our partners and allies to ensure that energy markets remain well supplied and Iran is held accountable for its aggression," the top US diplomat tweeted.
         Mousavi said the US allegations over the pre-dawn strikes on Abqaiq and Khurais in Eastern Province were meant to justify actions against Iran.
         "Such remarks... are more like plotting by intelligence and secret organisations to damage the reputation of a country and create a framework for future actions," he said.
         Tehran and Washington have been at loggerheads since May last year when President Donald Trump pulled out of a 2015 deal that promised Iran relief from sanctions in return for curbs on its nuclear programme.
         Since the withdrawal, the United States has slapped crippling sanctions on Iran as part of a campaign of "maximum pressure" and the Islamic republic has responded by reducing its commitments to the nuclear accord.
         "The Americans have taken the policy of 'maximum pressure' which has apparently turned into 'maximum lying' due to their failures," said Mousavi.
         The arch-foes were on the cusp of confrontation in June when Iran downed a US drone and Trump ordered retaliatory strikes before cancelling them at the last minute.
         In remarks published Sunday, the commander of the Islamic Revolutionary Guard Corps' aerospace arm said Iran's missiles could hit US bases and ships within a range of 2,000 kilometres (about 1,240 miles).
         "Neither us nor the Americans want a war," Brigadier General Amirali Hajizadeh said, quoted by Tasnim news agency, which is considered close to the Guards.
         "Of course, some forces facing each other in the field could do something, by which a war could start," the commander said.
         "We have always prepared ourselves for a full-fledged war... everyone should know that all American bases and their vessels in a 2,000-kilometre range can be targeted by our missiles," he added. (AFP)
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Last Updated : Sep 30, 2019, 5:49 PM IST
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