तेहरान: ईरान ने अमेरिका के इन आरोपों का खंडन किया है कि सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए हमले में उसका हाथ है. साथ ही, ईरान ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिका उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए कोई बहाना ढूंढ रहा है.
इस बीच, इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की दूरी तक अमेरिकी ठिकानों और जहाजों को निशाना बना सकती है.
अमेरिका के आरोपों पर इस्लामी गणराज्य ईरान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी के हवाले से रविवार को एक बयान जारी किया गया.
मूसावी के बयान में कहा गया, 'ऐसे निराधार और बिना सोचे-समझे लगाए गए आरोप एवं टिप्पणियां निरर्थक और समझ से परे हैं.'
मूसावी ने कहा कि पूर्वी प्रांत के अब्कैक और खुरैस पर हुए हमलों को लेकर लगाए जा रहे आरोप, ईरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए हैं.
उन्होंने कहा, 'ऐसी टिप्पणियां... किसी देश की छवि खराब करने के लिए खुफिया संगठनों का कुचक्र रचने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए की गईं ज्यादा लगती हैं.'
मूसावी ने कहा, अमेरिकियों की नीति 'अधिकतम दबाव' बनाने की है और विफलताओं के कारण वे 'अधिक से अधिक झूठ' बोलने लगे हैं.
रविवार को प्रकाशित टिप्पणी में इस्लामिक रेवोल्युशनरी गार्ड कोर की हवाई शाखा के कमांडर ने कहा कि ईरान की मिसाइलें 2,000 किलोमीटर की रेंज में अमेरिकी ठिकानों एवं पोतों को निशाना बना सकती है.
तस्नीम संवाद समिति ने ब्रिगेडियर जनरल अमीरअली हाजीजदेह के हवाले से कहा, 'न हम, ना ही अमेरिकी युद्ध चाहते हैं.'
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कमांडर ने कहा, 'निश्चित तौर पर क्षेत्र में एक-दूसरे का सामना कर रहे कुछ बल ऐसा कुछ कर सकते हैं, जिससे युद्ध शुरू हो सकता है.'
उन्होंने कहा, 'हमने एक पूर्ण युद्ध के लिए हमेशा से खुद को तैयार रखा है...हर किसी को पता होना चाहिए कि 2,000 किलोमीटर की रेंज में मौजूद सभी अमेरिकी ठिकानों एवं उनके पोतों को हमारी मिसाइलें निशाना बना सकती हैं.'
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शनिवार को हुए हमलों के बाद ईरान की निंदा की. इन हमलों में सऊदी अरब के करीब आधे तेल ठिकानों को निशाना बनाया गया.
यमन के ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली लेकिन पोम्पिओ ने कहा, 'इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि ये हमले यमन से हुए.'
शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने ट्वीट किया, 'अमेरिका अपने साझेदारों एवं सहयोगियों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि ऊर्जा (तेल)बाजारों को आपूर्ति सही से हो और ईरान को उसकी आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.'
गौरतलब है कि ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तनाव बढ़ा हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए एक सौदे से अमेरिका को बाहर कर लिया था. इस सौदे के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के बदले उस पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का वादा किया गया था.
सौदे से बाहर होने के बाद से अमेरिका ने 'अधिकतम दबाव' बनाने के अपने अभियान के तहत ईरान पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए हैं और इस्लामी गणराज्य ने इसका जवाब देने के लिए परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताएं कम की हैं.
इन धुर विरोधियों (अमेरिका और ईरान) में जून में युद्ध होने की स्थिति पैदा हो गई थी जब ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन विमान को मार गिराया था और ट्रंप ने जवाबी हमले करने का आदेश दे दिया था. हालांकि अंतिम क्षण में उन्होंने इसे रोक लिया था.