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पाक दौरे के बाद दिल्ली आना चाहते थे चीनी मंत्री, भारत का इनकार

मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद पाक दुनिया भर के देशों से इसका विलाप कर रहा है. दोनों देशों के बीच तनाव है. इसी बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान की यात्रा पर हैं. पाक दौरे के बाद वे दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन भारत ने उन्हें मना कर दिया है.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी
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Published : Sep 4, 2019, 7:52 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 11:02 AM IST

व्लादिवोस्तोक: चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस सप्ताहांत पर पाकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं. खबर के मुताबिक वांग यी इस दौरे के बाद नई दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन भारत ने विनम्रता के साथ उन्हें अपना दौरा पुनर्निधारित करने के लिए कहा है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी.

भारत सरकार द्वारा अगस्त में जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के मुद्दे पर पाकिस्तान के विलाप के बीच वांग सात सितंबर को इस्लामाबाद के दौरे पर जाने वाले हैं.

सूत्रों के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री इस्लामाबाद के बाद नई दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन भारत ने इसे भारत-पाकिस्तान रिश्तों में दखल देने की कोशिश के तौर पर देखा और उन्हें अपना कार्यक्रम पुनर्निधारित करने के लिए कहा है.

सूत्रों ने कहा कि हालांकि इसका साल के अंत में होने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

भारत का रुख स्पष्ट है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते में वह किसी भी प्रकार के दखल की अनुमति नहीं देगा और इसलिए ऐसे प्रयासों को रोक रहा है. भारत ने जोर देकर कहा है कि कोई भी विदेशी नेता किसी देश के साथ उसके संबंधों में दखल देने की कोशिश किए बिना भारत आ सकता है.

सूत्रों ने कहा कि भारत ने हालांकि कुछ अन्य देशों के नेताओं से भी कहा है कि अगर वे अपने पाकिस्तान दौरे के दौरान ही नई दिल्ली आना चाहते हैं तो न आएं.

पढ़ें-चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे के कार्यक्रम में बदलाव की संभावना

पाकिस्तान बेसब्र होकर जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता रहा है और उसने कुछ देशों से मध्यस्थता करने के लिए कहा है. उसके प्रयास हालांकि असफल रहे हैं क्योंकि सभी देशों ने माना है कि यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है.

पिछले महीने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पाकिस्तान का 'ऑल-वेदर फ्रेंड' माना जाने वाला चीन पहले ही इस मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की कोशिश कर चुका है.

जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बार इस मुद्दे पर अनौपचारिक वार्ता की, लेकिन उसने हालांकि, इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगस्त में चीन गए थे और वांग के साथ वार्ता में उन्होंने कहा था कि जम्मू एवं कश्मीर और उसमें से लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के संबंध में लिए गए निर्णय से भारत-चीन के बीच चल रही सीमा-वार्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

पढ़ें-भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान का दौरा करेंगे सऊदी अरब के विदेश मंत्री

जयशंकर ने कहा था, 'यह मुद्दा (अक्साई चीन) तब सामने आया जब वे पूछ रहे थे कि अनुच्छेद 370 का क्या प्रभाव पड़ेगा और यह भारत-चीन सीमा वार्ता को कैसे प्रभावित कर सकता है. मैंने उन्हें बताया कि इससे चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पाकिस्तान से जोड़ने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी) में कोई बदलाव नहीं आया है. मैंने उन्हें हमारा रुख स्पष्ट करते हुए बताया कि हमारी अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे नक्शे के अनुसार ही है.'

जयशंकर की यात्रा चीन के राष्ट्रपति की भारत यात्रा का आधार तैयार करने के संदर्भ में हुई थी.

(इनपुट- आईएएनएस)

व्लादिवोस्तोक: चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस सप्ताहांत पर पाकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं. खबर के मुताबिक वांग यी इस दौरे के बाद नई दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन भारत ने विनम्रता के साथ उन्हें अपना दौरा पुनर्निधारित करने के लिए कहा है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी.

भारत सरकार द्वारा अगस्त में जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के मुद्दे पर पाकिस्तान के विलाप के बीच वांग सात सितंबर को इस्लामाबाद के दौरे पर जाने वाले हैं.

सूत्रों के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री इस्लामाबाद के बाद नई दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन भारत ने इसे भारत-पाकिस्तान रिश्तों में दखल देने की कोशिश के तौर पर देखा और उन्हें अपना कार्यक्रम पुनर्निधारित करने के लिए कहा है.

सूत्रों ने कहा कि हालांकि इसका साल के अंत में होने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

भारत का रुख स्पष्ट है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते में वह किसी भी प्रकार के दखल की अनुमति नहीं देगा और इसलिए ऐसे प्रयासों को रोक रहा है. भारत ने जोर देकर कहा है कि कोई भी विदेशी नेता किसी देश के साथ उसके संबंधों में दखल देने की कोशिश किए बिना भारत आ सकता है.

सूत्रों ने कहा कि भारत ने हालांकि कुछ अन्य देशों के नेताओं से भी कहा है कि अगर वे अपने पाकिस्तान दौरे के दौरान ही नई दिल्ली आना चाहते हैं तो न आएं.

पढ़ें-चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे के कार्यक्रम में बदलाव की संभावना

पाकिस्तान बेसब्र होकर जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता रहा है और उसने कुछ देशों से मध्यस्थता करने के लिए कहा है. उसके प्रयास हालांकि असफल रहे हैं क्योंकि सभी देशों ने माना है कि यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है.

पिछले महीने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पाकिस्तान का 'ऑल-वेदर फ्रेंड' माना जाने वाला चीन पहले ही इस मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की कोशिश कर चुका है.

जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बार इस मुद्दे पर अनौपचारिक वार्ता की, लेकिन उसने हालांकि, इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगस्त में चीन गए थे और वांग के साथ वार्ता में उन्होंने कहा था कि जम्मू एवं कश्मीर और उसमें से लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के संबंध में लिए गए निर्णय से भारत-चीन के बीच चल रही सीमा-वार्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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जयशंकर ने कहा था, 'यह मुद्दा (अक्साई चीन) तब सामने आया जब वे पूछ रहे थे कि अनुच्छेद 370 का क्या प्रभाव पड़ेगा और यह भारत-चीन सीमा वार्ता को कैसे प्रभावित कर सकता है. मैंने उन्हें बताया कि इससे चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पाकिस्तान से जोड़ने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी) में कोई बदलाव नहीं आया है. मैंने उन्हें हमारा रुख स्पष्ट करते हुए बताया कि हमारी अंतर्राष्ट्रीय सीमा हमारे नक्शे के अनुसार ही है.'

जयशंकर की यात्रा चीन के राष्ट्रपति की भारत यात्रा का आधार तैयार करने के संदर्भ में हुई थी.

(इनपुट- आईएएनएस)

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Last Updated : Sep 29, 2019, 11:02 AM IST
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