नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध कायम रहने के बीच ऑस्ट्रेलिया ने सोमवार को कहा कि यह मुद्दा भारत और चीन को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाना है और इसमें किसी अन्य देश के लिए कोई भूमिका नहीं है.
इसके साथ ही ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने कहा कि उनकी सरकार दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के साथ-साथ अपने नागरिकों के व्यापक विरोध के बावजूद हांगकांग में सुरक्षा कानून लागू करने की चीन की योजना से चिंतित है.
एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग के दौरान पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'यह मुद्दा चीन और भारत को द्विपक्षीय रूप से हल करना है. यह ऑस्ट्रेलिया या किसी अन्य देश के लिए मुद्दा नहीं है.' उन्होंने कहा कि सीमाओं या क्षेत्रीय विवादों के मुद्दे ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें आम तौर पर द्विपक्षीय रूप से हल किया जाता है.
उच्चायुक्त ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं.
उन्होंने संकेत दिया कि बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान हिंद प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के तरीके सामने आ सकते हैं.
उच्चायुक्त ने यह भी कहा कि भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच चतुर्भुज गठबंधन हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित मुद्दों से निपटने में एक प्रभावी मंच रहा है.
उन्होंने कहा, 'समुद्री सुरक्षा से संबंधित सामान्य दृष्टिकोणों को समन्वित करने के लिए क्वाड एक बहुत ही उपयोगी फोरम है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन में काम करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां कोरोना वायरस महामारी को लेकर बीजिंग की वैश्विक आलोचना के मद्देनजर भारत का रुख करने पर विचार कर रही हैं, उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया.
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि भारत के पास अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में आश्वस्त होने का कारण है, और निश्चित रूप से, कोविड-19 से जो हुआ है उससे लक्ष्य पर असर पडेगा साथ ही भारत सरकार ने जो सुधार लागू किए हैं उससे लक्ष्यों को ऊर्जा मिलेगी.'
भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच गुरुवार को होने वाले ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में कई समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है. इनमें गहरे रक्षा सहयोग के लिए परस्पर साजोसामान समझौता भी शामिल है.
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फैरेल ने कहा कि वार्ता में सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग, साइबर सुरक्षा और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि वार्ता में द्विपक्षीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की जा सकती है.