नई दिल्ली : ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 17 नवंबर को वर्चुअल तरीके से आयोजित किया जाना है. इसका महत्व पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट उत्पन्न गतिरोध की पृष्ठभूमि में बढ़ गया है. दरअसल, लगभग पांच महीनों से जारी गतिरोध के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आमना-सामना होने के आसार बने हैं.
पीएम मोदी और जिनपिंग ब्रिक्स में 17 नवंबर को होने वाले ब्रिक्स देशों के वार्षिक शिखर सम्मेलन में डिजिटल माध्यम से एक-दूसरे का सामना कर सकते हैं. इस आयोजन की व्यवस्था से जुड़े एक राजनयिक ने कहा कि इस डिजिटल सम्मेलन में मोदी और शिनपिंग दोनों शामिल होंगे.
ब्रिक्स की अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है और इस साल रूस इसका अध्यक्ष है. उसने घोषणा की है कि इस बार 17 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह वार्षिक सम्मेलन होगा.
ब्रिक्स तेजी से उभरती पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं-- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन है. इन पांचों देशों में विश्व की 42 फीसदी जनसंख्या रहती है और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में इनकी हिस्सेदारी 23 फीसदी है.
रूस की सरकार ने एक बयान में कहा, 'ब्रिक्स देशों के नेताओं की बैठक में इस बार का विषय है 'वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा में साझेदारी और अभिनव विकास में ब्रिक्स देशों की साझेदारी'.'
पिछले सालों में भारत के प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शिनपिंग ने ब्रिक्स देशों के सभी सम्मेलनों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है.
पिछले साल यह सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्राजिलिया में संपन्न हुआ था. इस सम्मेलन के इतर मोदी और शिनपिंग ने द्विपक्षीय बैठक की थी.
मालूम हो कि मई महीने में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक वारदातों के बाद गतिरोध की शुरुआत हुई थी जिसकी वजह से द्विपक्षीय रिश्तों में तनातनी चल रही है.
दोनों पक्षों की ओर से विवाद को खत्म करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर लगातार बातचीत हो रही है ताकि तनाव को कम किया जा सके.
रूसी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'इस वर्ष पांचों देशों ने तीनों प्रमुख स्तंभों शांति और सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय तथा सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदारी व लोगों के बीच संपर्क को लेकर नजदीकी रणनीतिक साझेदारी को जारी रखा है.'
रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के सलाहकार एंटन कोबीकोव ने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी के फैलाव के बावजूद रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों की गतिविधियां जारी रहीं.
उन्होंने कहा, 'जनवरी के बाद लगभग वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से 60 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. ब्रिक्स देशों की भलाई के लिए और आपसी रिश्तों को मजबूती देने के लिए यह ब्रिक्स सम्मेलन मुकूट में मणि की तरह साबित होगा.'