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नेपाल : संसद भंग करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में लगातार सुनवाई शुरू

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Published : Jun 23, 2021, 7:20 PM IST

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में संसद भंग करने के विरोध में दायर रिट याचिकाओं पर लगातार सुनवाई शुरू हो गई है. इस मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की.

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काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय में बुधवार को उन कई रिट याचिकाओं पर लगातार सुनवाई शुरू हुई जिन्हें 22 मई को राष्ट्रपति विद्या भंडारी द्वारा कार्यवाहक प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अनुशंसा पर संसद भंग करने के विरोध में दायर किया गया है.

उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की. इन रिट याचिकाओं को 146 सांसदों ने संयुक्त रूप से दायर किया है जो नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री पद के दावे का समर्थन करते हैं. उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक रिट याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को जिरह के लिए 15 घंटे का समय आवंटित किया गया है.

प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री ओली 275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत खोने के बाद फिलहाल अल्पमत की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

पढ़ें :- नेपाल : ओली को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कैबिनेट फेरबदल किया रद्द

एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने ओली द्वारा नियुक्त 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी और संसद भंग होने के बाद दो बार हुए कैबिनेट विस्तार को अमान्य कर दिया था.

संसद को भंग करने के विरोध में 30 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं और याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि संसद को बहाल कर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए.

काठमांडू : नेपाल के उच्चतम न्यायालय में बुधवार को उन कई रिट याचिकाओं पर लगातार सुनवाई शुरू हुई जिन्हें 22 मई को राष्ट्रपति विद्या भंडारी द्वारा कार्यवाहक प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अनुशंसा पर संसद भंग करने के विरोध में दायर किया गया है.

उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की. इन रिट याचिकाओं को 146 सांसदों ने संयुक्त रूप से दायर किया है जो नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री पद के दावे का समर्थन करते हैं. उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक रिट याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को जिरह के लिए 15 घंटे का समय आवंटित किया गया है.

प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री ओली 275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत खोने के बाद फिलहाल अल्पमत की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

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एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने ओली द्वारा नियुक्त 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी और संसद भंग होने के बाद दो बार हुए कैबिनेट विस्तार को अमान्य कर दिया था.

संसद को भंग करने के विरोध में 30 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं और याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि संसद को बहाल कर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए.

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