कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा कि सरकार के लिए अपने ही देश के खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं है. इसलिए वह 2015 के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के प्रस्ताव का उसके मौजूदा रूप में अनुपालन नहीं कर सकते.
यह प्रस्ताव देश में तीन दशक के दौरान चले गृहयुद्ध के समय हुए कथित युद्ध अपराधों को लेकर बनाया गया था. पूर्ववर्ती सिरिसेना सरकार इस प्रस्ताव की सहप्रायोजक थी.
राजनीतिक स्वायत्तता की तमिलों की मांग पर टिप्पणी करते हुए राजपक्षे ने गुरुवार को कहा कि बहुमत की सहमति के बिना सत्ता का हस्तांतरण नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा, 'किसी भी तरह के सत्ता साझेदारी के राजनीतिक समाधान को लागू करना संभव नहीं है.'
सिरिसेना सरकार द्वारा सह प्रस्तावित यूएनएचआरसी प्रस्ताव के बारे में टिप्पणी मांगे जाने पर श्रीलंका के नए राष्ट्रपति ने कहा कि इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा, 'सरकार के लिए अपने ही देश के खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं है.'
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यूएनएचआरसी प्रस्ताव 2013 से ही कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर श्रीलंका की आलोचना करता रहा है. वे लिट्टे और सरकारी सैनिकों दोनों द्वारा किए एक कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच की मांग करते हैं और इसके लिये अंतरराष्ट्रीय जांच बैठाने की मांग की जाती रही है.