ग्लासगो (स्कॉटलैंड) : पाकिस्तान सरकार सैन्य कब्जे वाले क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में 15 नवंबर को चुनाव कराने जा रही है. पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
पाकिस्तान के सूचना मंत्री शिबली फराज और कश्मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन गंडापुर ने हाल ही में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें पीटीआई के उम्मीदवारों की घोषणा की गई.
पीटीआई द्वारा मीडिया के समक्ष प्रस्तुत उम्मीदवारों के नामों पर स्थानीय निर्वाचन क्षेत्रों से अनुमोदन नहीं लिया गया है. इससे असंतुष्ट कई पीटीआई नेता अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. इससे पीटीआई को गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई आगामी चुनावों में हेरफेर कर रही है और चुनाव को ऐसे समय में कराया जा रहा है, जब सर्दियों में बर्फबारी के कारण मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए सड़कें बंद हो जाती हैं.
इमरान खान सरकार द्वारा चुनाव की घोषणा से गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बन जाएगा. गिलगित-बाल्टिस्तान के कुछ स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई का खुलकर विरोध किया है और इसे तमाशा बताया है.
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पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर चीन से भयभीत हो रहे हैं, क्योंकि अधिकांश परियोजनाएं तय समय से पीछे चल रही हैं. इसलिए, चीनी भी गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार चुने जाने के लिए उत्सुक है.
यही कारण है कि सभी स्वीकृत 20 उम्मीदवारों की एक सूची कथित रूप से इस्लामाबाद में चीनी राजदूत को उनकी सहमति प्राप्त करने के लिए सौंपी गई थी.
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान और चीन की इच्छा के अनुरूप परिणाम के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान चुनाव में धांधली करने का प्रयास किया जाएगा. इसलिए आईएसआई और चीन चुनाव की गहनता से निगरानी कर रहे हैं.