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श्रीलंका में स्थानीय लोगों से शादी के इच्छुक विदेशियों को रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेना अनिवार्य - श्रीलंका शादी कानून

श्रीलंका में स्थानीय लोगों से शादी करने के इच्छुक विदेशियों को अब रक्षा मंत्रालय की मंजूरी (defence ministry clearance for marriage) लेनी पड़ेगी. श्रीलंका में इससे संबंधित नया कानून एक जनवरी 2022 से अमल में आएगा.

श्रीलंका शादी कानून
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Published : Dec 28, 2021, 6:03 AM IST

कोलंबो: श्रीलंका ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते, स्थानीय लोगों से शादी करने के इच्छुक विदेशियों के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी (defence ministry clearance for marriage) लेना अनिवार्य कर दिया है. वहीं, विपक्ष और कई नागरिक समूहों ने इस कदम की आलोचना की है. यह नया कानून एक जनवरी 2022 से अमल में आएगा.

रजिस्ट्रार जनरल डब्ल्यू एम एम बी वीर सिकेरा ने 18 अक्टूबर की तारीख वाले एक परिपत्र में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय किया गया है. परिपत्र के अनुसार, संबंधित अधिकारियों ने विदेशियों और श्रीलंकाई लोगों के बीच विवाह से उत्पन्न हो सकने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की.

इसमें कहा गया है कि विदेशी व्यक्ति को सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही, अतिरिक्त जिला पंजीयक के माध्यम से ऐसे विवाहों को पंजीकृत करने का निर्णय किया गया है.

विपक्षी दल के सांसद हर्षा डी सिल्वा ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह किस तरह का भेदभाव है? नागरिक संगठनों से जुड़े कई लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इस कदम पर सवाल उठाए.

परिपत्र में कहा गया कि सुरक्षा संबंधी अनापत्ति पत्र यह प्रमाणित करेगा कि विदेशी व्यक्ति पिछले छह महीनों के दौरान किसी भी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका के साथ त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म डील भारत के लिए फायदेमंद: विशेषज्ञ

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह कदम काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को विदेशियों द्वारा शादी करके ठगे जाने से रोकने और ऐसी शादियों के जरिए बढ़ती मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम कसने में मदद मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

कोलंबो: श्रीलंका ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते, स्थानीय लोगों से शादी करने के इच्छुक विदेशियों के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी (defence ministry clearance for marriage) लेना अनिवार्य कर दिया है. वहीं, विपक्ष और कई नागरिक समूहों ने इस कदम की आलोचना की है. यह नया कानून एक जनवरी 2022 से अमल में आएगा.

रजिस्ट्रार जनरल डब्ल्यू एम एम बी वीर सिकेरा ने 18 अक्टूबर की तारीख वाले एक परिपत्र में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय किया गया है. परिपत्र के अनुसार, संबंधित अधिकारियों ने विदेशियों और श्रीलंकाई लोगों के बीच विवाह से उत्पन्न हो सकने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की.

इसमें कहा गया है कि विदेशी व्यक्ति को सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही, अतिरिक्त जिला पंजीयक के माध्यम से ऐसे विवाहों को पंजीकृत करने का निर्णय किया गया है.

विपक्षी दल के सांसद हर्षा डी सिल्वा ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह किस तरह का भेदभाव है? नागरिक संगठनों से जुड़े कई लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इस कदम पर सवाल उठाए.

परिपत्र में कहा गया कि सुरक्षा संबंधी अनापत्ति पत्र यह प्रमाणित करेगा कि विदेशी व्यक्ति पिछले छह महीनों के दौरान किसी भी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया.

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सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह कदम काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को विदेशियों द्वारा शादी करके ठगे जाने से रोकने और ऐसी शादियों के जरिए बढ़ती मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम कसने में मदद मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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