ETV Bharat / international

अफगानिस्तान से पलायन करने को मजबूर सिख-हिंदू समुदाय के लोग

author img

By

Published : Sep 27, 2020, 11:05 PM IST

अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदायों के लोगों की संख्या घटकर मात्र 700 के आसपास बची है. आतंकी हमलों के डर से बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी देश छोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है, तो आईएस के हमलों के कारण उन्हें पूरी तरह पलायन करना पड़ सकता है.

hindus-leave-afghanistan
अफगानिस्तान में पलायन

काबुल : आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबंधित स्थानीय समूहों की ओर से बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान में बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी अब इस देश को छोड़ रहे हैं.

असुरक्षा के चलते वह अपनी जन्मभूमि को छोड़ने को विवश हैं. कभी 2,50,000 सदस्यों वाले इन समुदायों के लोगों की संख्या अब घटकर मात्र 700 के आसपास बची है. मुस्लिम बाहुल्य इस देश में सिखों और हिदुओं के साथ होने वाले गहरे पक्षपात के कारण इनके सदस्यों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.

इन समुदाय के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है, तो आईएस समूह के हमलों के कारण उन्हें पूरी तरह पलायन करना पड़ सकता है. डर के कारण अपना पूरा नाम नहीं बताने वाले एक व्यक्ति ने कहा, 'हम अब यहां और रुकने में समर्थ नहीं हैं.'

उन्होंने कहा कि मार्च में उनके समुदाय के मंदिर पर हुए हमले में उनके सात रिश्तेदार मारे गए थे. इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना उतना ही मुश्किल है, जैसे अपनी मां को छोड़कर जाना.

अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की संख्या बेहद कम हो गई है, जिसके कारण यह सभी एक छोटे से मंदिर में एकत्र होकर ही अपने-अपने धर्म के अनुसार उपासना करते हैं.

पीड़ित व्यक्ति ने आरोप लगाया कि इस रूढ़िवादी मुस्लिम देश में उनके समुदाय को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और लगभग हर 'सरकार अपने तरीके से उन्हें धमकाती रही है.'

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान से सिखों का पलायन, 180 परिवार दिल्ली पहुंचे

इन समुदाय के तमाम लोगों के घरों को जब्त किए जाने के चलते ऐसे लोग पूरी तरह से देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं. अफगान में 1992-96 के दौरान प्रतिद्वंदी समूहों के बीच चली लड़ाई के दौरान भी काबुल में हिंदुओं के मंदिर तबाह कर दिए गए. उस दौरान भी बहुत सारे हिंदू और सिख अफगानियों को देश छोड़कर जाना पड़ा था.

काबुल : आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबंधित स्थानीय समूहों की ओर से बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान में बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी अब इस देश को छोड़ रहे हैं.

असुरक्षा के चलते वह अपनी जन्मभूमि को छोड़ने को विवश हैं. कभी 2,50,000 सदस्यों वाले इन समुदायों के लोगों की संख्या अब घटकर मात्र 700 के आसपास बची है. मुस्लिम बाहुल्य इस देश में सिखों और हिदुओं के साथ होने वाले गहरे पक्षपात के कारण इनके सदस्यों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.

इन समुदाय के लोगों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से पर्याप्त सरंक्षण नहीं मिलता है, तो आईएस समूह के हमलों के कारण उन्हें पूरी तरह पलायन करना पड़ सकता है. डर के कारण अपना पूरा नाम नहीं बताने वाले एक व्यक्ति ने कहा, 'हम अब यहां और रुकने में समर्थ नहीं हैं.'

उन्होंने कहा कि मार्च में उनके समुदाय के मंदिर पर हुए हमले में उनके सात रिश्तेदार मारे गए थे. इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी. उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना उतना ही मुश्किल है, जैसे अपनी मां को छोड़कर जाना.

अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की संख्या बेहद कम हो गई है, जिसके कारण यह सभी एक छोटे से मंदिर में एकत्र होकर ही अपने-अपने धर्म के अनुसार उपासना करते हैं.

पीड़ित व्यक्ति ने आरोप लगाया कि इस रूढ़िवादी मुस्लिम देश में उनके समुदाय को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और लगभग हर 'सरकार अपने तरीके से उन्हें धमकाती रही है.'

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान से सिखों का पलायन, 180 परिवार दिल्ली पहुंचे

इन समुदाय के तमाम लोगों के घरों को जब्त किए जाने के चलते ऐसे लोग पूरी तरह से देश छोड़कर जाने को मजबूर हैं. अफगान में 1992-96 के दौरान प्रतिद्वंदी समूहों के बीच चली लड़ाई के दौरान भी काबुल में हिंदुओं के मंदिर तबाह कर दिए गए. उस दौरान भी बहुत सारे हिंदू और सिख अफगानियों को देश छोड़कर जाना पड़ा था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.