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फेसबुक ने म्यांमार सेना से जुड़े सभी खातों एवं विज्ञापनों को प्रतिबंधित किया

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Published : Feb 25, 2021, 12:36 PM IST

मानवाधिकार समूहों ने आरोप लगाया था कि उसने म्यांमार के मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए.

accounts banned related to myanmar army
म्यांमार सेना से जुड़े सभी खातों एवं विज्ञापनों को प्रतिबंधित

यांगून: सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह एक फरवरी को म्यांमार की सत्ता पर सेना के कब्जे के मद्देनजर सेना से जुड़े सभी खातों और उसके कब्जे वाली कंपनियों के विज्ञापनों पर रोक लगा रही है. फेसबुक ने एक बयान में कहा कि वह म्यांमार में तख्तापलट के बाद के हालात को 'आपातकाल' समझती है और यह प्रतिबंध 'घातक हिंसा' समेत तख्तापलट के बाद हुई घटनाओं के मद्देनजर लगाया गया है.

कंपनी तख्तापलट के बाद से सेना के नियंत्रण वाले मयावाड्डी टीवी और सरकारी टेलीविजन प्रसारक एमआरटीवी समेत सेना से जुड़े कई खातों को पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है. फेसबुक के मालिकाना हक वाले इंस्टाग्राम ने भी यह प्रतिबंध लगाया है.

पढ़ें: टूलकिट मामला: अदालत ने शांतनु मुलुक को 9 मार्च तक गिरफ्तारी से राहत दी

फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों को 2017 में काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था. उस समय मानवाधिकार समूहों ने आरोप लगाया था कि उसने म्यांमार के मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए. जुंटा ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंच को बाधित करने की कोशिश की है, लेकिन उसके प्रयास निष्प्रभावी रहे.

यांगून: सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह एक फरवरी को म्यांमार की सत्ता पर सेना के कब्जे के मद्देनजर सेना से जुड़े सभी खातों और उसके कब्जे वाली कंपनियों के विज्ञापनों पर रोक लगा रही है. फेसबुक ने एक बयान में कहा कि वह म्यांमार में तख्तापलट के बाद के हालात को 'आपातकाल' समझती है और यह प्रतिबंध 'घातक हिंसा' समेत तख्तापलट के बाद हुई घटनाओं के मद्देनजर लगाया गया है.

कंपनी तख्तापलट के बाद से सेना के नियंत्रण वाले मयावाड्डी टीवी और सरकारी टेलीविजन प्रसारक एमआरटीवी समेत सेना से जुड़े कई खातों को पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है. फेसबुक के मालिकाना हक वाले इंस्टाग्राम ने भी यह प्रतिबंध लगाया है.

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फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों को 2017 में काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था. उस समय मानवाधिकार समूहों ने आरोप लगाया था कि उसने म्यांमार के मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए. जुंटा ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंच को बाधित करने की कोशिश की है, लेकिन उसके प्रयास निष्प्रभावी रहे.

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