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बांगलादेश के पूर्व विधायक को मिली मौत की सजा, जानिए क्यों - बांगलादेश मुक्ति संग्राम आरोपी

बंगलादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बांगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक अब्दुल मोमिन को मुक्ति संग्राम के दौरान लोगों की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है.

मुक्ति संग्राम का आरोपी अब्दुल मोमिन
मुक्ति संग्राम का आरोपी अब्दुल मोमिन
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Published : Nov 24, 2021, 9:33 PM IST

ढाका : बंगलादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) -1 ने बुधवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (Bangladesh Nationalist Party) के पूर्व विधायक अब्दुल मोमिन तालुकदार खोका को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के लिए मौत की सजा सुनाई है.

आईसीटी-1 के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद शाहीनूर इस्लाम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश की घोषणा की है. 22 अप्रैल 1971 को तालुकदार ने पाकिस्तानी कब्जे वाले सेना के जवानों और अन्य सहयोगियों के एक सहायक बल के रूप में, बोगुरा के आदमदिघी में कलशा बाजार राठबाड़ी और तेरपोरा के गांवों में हिंदू समुदाय और स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला किया था. उन पर एक स्वतंत्रता सेनानी सहित 10 लोगों की हत्या करने का आरोप है.

ये पढ़ें: मेगदालेना एंडरसन होंगी स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री

24-27 अक्टूबर 1971 तक तालुकदार ने पाकिस्तानी कब्जे वाले सेना के जवानों और सहयोगियों के साथ काशीमाला गांव में डकैती डाली और पांच लोगों की हत्या कर दी. 25 अक्टूबर 1971 को तालुकदार ने आदमदिघी के तलशान गांव के चार लोगों की हत्या कर दी थी. उनके खिलाफ मार्च 2011 में कायतपारा गांव के स्वतंत्रता सेनानी सुबिद अली द्वारा अपराध का मामला दर्ज कराया गया था. बाद में मामला आईसीटी को भेज दिया गया.

(आईएएनएस)

ढाका : बंगलादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) -1 ने बुधवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (Bangladesh Nationalist Party) के पूर्व विधायक अब्दुल मोमिन तालुकदार खोका को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के लिए मौत की सजा सुनाई है.

आईसीटी-1 के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद शाहीनूर इस्लाम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश की घोषणा की है. 22 अप्रैल 1971 को तालुकदार ने पाकिस्तानी कब्जे वाले सेना के जवानों और अन्य सहयोगियों के एक सहायक बल के रूप में, बोगुरा के आदमदिघी में कलशा बाजार राठबाड़ी और तेरपोरा के गांवों में हिंदू समुदाय और स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला किया था. उन पर एक स्वतंत्रता सेनानी सहित 10 लोगों की हत्या करने का आरोप है.

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24-27 अक्टूबर 1971 तक तालुकदार ने पाकिस्तानी कब्जे वाले सेना के जवानों और सहयोगियों के साथ काशीमाला गांव में डकैती डाली और पांच लोगों की हत्या कर दी. 25 अक्टूबर 1971 को तालुकदार ने आदमदिघी के तलशान गांव के चार लोगों की हत्या कर दी थी. उनके खिलाफ मार्च 2011 में कायतपारा गांव के स्वतंत्रता सेनानी सुबिद अली द्वारा अपराध का मामला दर्ज कराया गया था. बाद में मामला आईसीटी को भेज दिया गया.

(आईएएनएस)

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