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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में योगदान देने वाले चित्तरंजन दत्त का निधन

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Published : Aug 25, 2020, 7:12 PM IST

चित्तरंजन दत्त का मंगलवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी. पढ़ें पूरी खबर...

bangladesh mukti sangram
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम

ढाका : बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले चित्तरंजन दत्त का मंगलवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया. ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक दत्त बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सेक्टर कमांडर थे. उनका निधन अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में हुआ.

अखबार के अनुसार, 'बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में सेक्टर कमांडर रहने वाले सीआर दत्त का निधन बांग्लादेश समयानुसार मंगलवार सुबह नौ बजकर 30 मिनट पर हो गया.

उनका जन्म एक जनवरी, 1927 को असम की तत्कालीन राजधानी शिलांग में हुआ था. हालांकि दत्त का पैतृक घर सिलहट में था, जो कि अभी बांग्लादेश में हबीबगंज जिले के चुनारूघाट उपजिले में है.

दत्त 1947 में पाकिस्तान सेना में शामिल हुए थे. वह भारतीय सैन्य अकदामी के अंतिम एकीकृत बैच से थे. उन्हें सेकेंड लेफ्टिनेंट का पद मिला था. 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान दत्त सेक्टर चार के कमांडर बने, जिसके तहत मौजूदा सिलहट का पूरा क्षेत्र और आसपास का इलाका आता है.

पढ़ें :- त्रिपुरा-बांग्लादेश जलमार्ग पर सितंबर में होगा परीक्षण परिचालन : बिप्लब देब

खबर में बताया गया, 'आजादी के बाद उन्होंने रंगपुर में सशस्त्र बल के कमांडर के रूप में सेवा दी. 1973 में वह बांग्लादेश राइफल्स (अब बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के पहले महानिदेशक बने. सेवानिवृत्त होने के बाद दत्त बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. वह बांग्लादेश हिंदू, बुद्ध, ईसाई एकता परिषद के अध्यक्ष थे.

ढाका : बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले चित्तरंजन दत्त का मंगलवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया. ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक दत्त बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सेक्टर कमांडर थे. उनका निधन अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में हुआ.

अखबार के अनुसार, 'बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में सेक्टर कमांडर रहने वाले सीआर दत्त का निधन बांग्लादेश समयानुसार मंगलवार सुबह नौ बजकर 30 मिनट पर हो गया.

उनका जन्म एक जनवरी, 1927 को असम की तत्कालीन राजधानी शिलांग में हुआ था. हालांकि दत्त का पैतृक घर सिलहट में था, जो कि अभी बांग्लादेश में हबीबगंज जिले के चुनारूघाट उपजिले में है.

दत्त 1947 में पाकिस्तान सेना में शामिल हुए थे. वह भारतीय सैन्य अकदामी के अंतिम एकीकृत बैच से थे. उन्हें सेकेंड लेफ्टिनेंट का पद मिला था. 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान दत्त सेक्टर चार के कमांडर बने, जिसके तहत मौजूदा सिलहट का पूरा क्षेत्र और आसपास का इलाका आता है.

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खबर में बताया गया, 'आजादी के बाद उन्होंने रंगपुर में सशस्त्र बल के कमांडर के रूप में सेवा दी. 1973 में वह बांग्लादेश राइफल्स (अब बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के पहले महानिदेशक बने. सेवानिवृत्त होने के बाद दत्त बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों की वकालत करने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. वह बांग्लादेश हिंदू, बुद्ध, ईसाई एकता परिषद के अध्यक्ष थे.

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