बीजिंग : चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार जारी है. इस बीच शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र (XUAR) में चीनी अधिकारियों ने सैकड़ों मुस्लिम इमामों को हिरासत में लिया है. चीन में एक उइगर भाषाविद के अनुसार चीनी अधिकारियों ने XUAR इलाके नें सैकड़ों मुस्लिम इमामों को हिरासत में लिया है.
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार इमामों की हिरासत से एक ऐसा माहौल बना है, जिससे उइगर समुदाय के लोगों में यह डर पैदा हो गया है कि मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा.
इंटरनेशनल सिटीज ऑफ रिफ्यूज नेटवर्क (ICORN) से जुड़े नॉर्वे के एक कार्यकर्ता अब्दुवेली अयूप ने बताया कि झिंजियांग क्षेत्र के उइगरों के साक्षात्कार से पता चला है कि चीन ने कम से कम 613 इमामों को गैर कानूनों ढंग से कैद कर लिया है. 2017 के शुरुआत से 1.8 मिलियन उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक इस क्षेत्र में बने आंतरिक शिविरों के विशाल नेटवर्क में रखे गए हैं.
उन्होंने कहा कि हमने यह रिसर्च मई 2018 के आस-पास शुरू की और उसी साल नवंबर में साक्षात्कार समाप्त होने के बाद, मैंने पाया कि सबसे अधिक लक्षित जनसंख्या मुस्लमानों की है.
वॉशिंगटन द्वारा आयोजित उइगर मानवाधिकार परियोजना (UHRP) इमाम कहां हैं? के शीर्षक वाले एक वेबिनार में बोलते हुए अयूप ने चीन में बड़ी तादाद में उइगर लोगों को धार्मिक बंदी बनाए जाने साक्ष्य पेश किए.
उल्लेखनीय हैं कि उइगर-भाषा के प्रचार के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के लिए लड़ने के लिए अयूप 2013-2014 में जेल रहे. इस दौरान उन्हें महीनों तक नजरबंद रखा गया और उन पर यातनाएं की गईं.
उन्होंने बताया कि कम से कम 16 पूर्व शिविर बंदियों का भी साक्षात्कार लिया था, जिन्होंने उन्हें बताया कि यहां इमामों की गिरफ्तारी हुई है.
रेडियो फ्री एशिया के अनुसार नीदरलैंड में रहने वाले पूर्व बंदियों में से एक ने उसे बताया कि शिनजियांग की राजधानी उरुमकी में लोगों को पंजीकरण करना होगा और किसी के मरने का इंतजार करना होगा.
एक अन्य पूर्व बंदी ने कहा लोगों को मौत का डर सता रहा, क्योंकि वहां मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया जाता है और इमामों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उनका अंतिम संस्कार तक नहीं हो पाता.
इस बीच, लंदन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) में नृवंशविज्ञान (ethnomusicology) के एक प्रोफेसर राशेल हैरिस ने कहा कि उइगर समाज के लक्षित किए जाने वाले इमाम एकमात्र धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उइगर समाज में महिला धार्मिक नेता भी बेहद महत्वपूर्ण हैं.
वे मस्जिदों में नहीं जाती, जाहिर है घर के भीतर उनकी भूमिका होती है, लेकिन वे सभी उसी तरह की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो पुरुष इमाम निभाते हैं.
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उन्होंने कहा कि महिला धर्मगुरु महिलाओं के साथ काम कर रही हैं. वे बच्चों को कुरान पढ़ना सिखाती हैं और समाज में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है. वे विवादों की मध्यस्थता, सलाह देना, आचरण के कार्यों में अपनी भूमिका निभाती हैं.
हैरिस ने उइगर अधिकारों के समूहों और अन्य लोगों से आग्रह किया कि वे इस क्षेत्र में महिला धार्मिक नेताओं को सामूहिक जांच और अन्य अधिकारों के दुरुपयोग में शामिल करने के लिए निगरानी कर रहे हैं.
चीन के केबल्स के नाम से जाने जाने वाले क्लासीफाइड दस्तावेजों को पिछले साल इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने एक्सेस किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे चीन सरकार दुनियाभर में उइगर मुसलमानों को नियंत्रित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करती है.
हालांकि, चीन नियमित रूप से इस तरह के कार्यों से इनकार करता रहा है और कहता है कि शिविर में व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है.
लोगों का कहना है कि इन कैंपों में उनके धर्म का पालन करने या धार्मिक भाषा बोलन प्रतिबंधित है. इसके अलावा उन्हें यातनांए दी जाती हैं और उनको भोजन और दवा से वंचित रखा जाता है.