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ताइवान कार्यालय को लेकर विवाद, चीन ने लिथुआनिया के अपने राजदूत को वापस बुलाया - dispute over Taiwan office

चीन ने लिथुआनिया के लिए अपने राजदूत को वापस बुला लिया और बीजिंग के लिए बाल्टिक देश के शीर्ष प्रतिनिधि को निष्कासित कर दिया. जानें क्या है वजह...

envoy called back
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Published : Aug 11, 2021, 1:22 PM IST

बीजिंग : लिथुआनिया ने स्वायत्तशासी ताइवान को देश में अपने नाम से कार्यालय खोलने की इजाजत दी है. इस फैसले को लेकर चीन ने मंगलवार को लिथुआनिया के लिए अपने राजदूत को वापस बुला लिया और बीजिंग के लिए बाल्टिक देश के शीर्ष प्रतिनिधि को निष्कासित कर दिया.

चीन राजनयिक मान्यता के अधिकार के बिना ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है. हालांकि द्वीप के व्यापार कार्यालयों के माध्यम से अमेरिका और जापान सहित सभी अहम देशों के साथ औपचारिक संबंध हैं, जो वस्तुत: दूतावास की तरह काम करते हैं. चीन के दबाव के कारण ताइवान का सिर्फ 15 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध रह गया है.

बहरहाल ताइवान ने मंगलवार को वेनिस फिल्म महोत्सव में अपनी प्रविष्टियों को 'चीनी ताइपे' के नाम से संबोधित किए जाने पर विरोध जताया. ताइवान का कहना है कि यह चीन के दबाव में किया गया. चीन का विरोध नहीं करने के लिए ताइवान को लेकर अक्सर इस संबोधन का प्रयोग किया जाता है. ताइवान और लिथुआनिया पिछले महीने राजधानी विल्नियस में कार्यालय खोलने पर सहमत हुए थे. यह कार्यालय इसी साल खुलने वाला है और इसका नाम चीनी ताइपे की जगह ताइवान होगा.

चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान में लिथुआनिया से तुरंत अपनी गलती को सुधारने को कहा और इस क्षति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा. साथ ही दोबारा गलत राह नहीं अख्तियार करने की हिदायत दी.

बयान में कहा गया है कि अगर लिथुआनिया ने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे 'गंभीर परिणाम' भुगतने होंगे, हालांकि इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. बयान में कहा गया है, 'हम ताइवान के अधिकारियों को चेतावनी देना चाहते हैं कि ताइवान स्वतंत्रता की बात करना छोड़ दे और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कोई भी अलगाववादी गतिविधि को नाकाम कर दिया जाएगा.'

लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन की कार्रवाई पर अफसोस जताया है और जोर दिया है कि 'एक चीन' के सिद्धांत का सम्मान करते हुए वह ताइवान के साथ परस्पर लाभप्रद संबंध बनाने के लिए तैयार है जैसा कि अन्य देशों ने किया है.

पढ़ें :- महामारी के बीच भी चीन-ताइवान के बीच राजनीतिक तनाव, जानिए कारण

ताइवान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोआन ओउ ने 'राष्ट्रीय गरिमा और स्वतंत्रता की अवधारणा की रक्षा करने की लिथुआनिया की दृढ़ इच्छा' को सलाम किया. ओयू ने कहा, 'दोनों पक्ष लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकार जैसे सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान को मजबूत करना जारी रखेंगे.'

वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने चीन के 'दबाव' की निंदा की और कहा कि सभी देशों को यह निर्धारित करने की आजादी होनी चाहिए कि बीजिंग के हस्तक्षेप के बिना ताइवान के साथ संबंधों को कैसे बनाए रखना है. प्राइस ने संवाददाताओं से कहा, 'हम अपने नाटो सहयोगी लिथुआनिया के साथ एकजुटता से खड़े हैं और हम चीन की हालिया जवाबी कार्रवाई की निंदा करते हैं, जिसमें विल्नियस में बीजिंग के राजदूत को वापस बुलाना और लिथुआनिया को बीजिंग में अपने राजदूत को वापस बुलाने की मांग करना शामिल है.

(एपी)

बीजिंग : लिथुआनिया ने स्वायत्तशासी ताइवान को देश में अपने नाम से कार्यालय खोलने की इजाजत दी है. इस फैसले को लेकर चीन ने मंगलवार को लिथुआनिया के लिए अपने राजदूत को वापस बुला लिया और बीजिंग के लिए बाल्टिक देश के शीर्ष प्रतिनिधि को निष्कासित कर दिया.

चीन राजनयिक मान्यता के अधिकार के बिना ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है. हालांकि द्वीप के व्यापार कार्यालयों के माध्यम से अमेरिका और जापान सहित सभी अहम देशों के साथ औपचारिक संबंध हैं, जो वस्तुत: दूतावास की तरह काम करते हैं. चीन के दबाव के कारण ताइवान का सिर्फ 15 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध रह गया है.

बहरहाल ताइवान ने मंगलवार को वेनिस फिल्म महोत्सव में अपनी प्रविष्टियों को 'चीनी ताइपे' के नाम से संबोधित किए जाने पर विरोध जताया. ताइवान का कहना है कि यह चीन के दबाव में किया गया. चीन का विरोध नहीं करने के लिए ताइवान को लेकर अक्सर इस संबोधन का प्रयोग किया जाता है. ताइवान और लिथुआनिया पिछले महीने राजधानी विल्नियस में कार्यालय खोलने पर सहमत हुए थे. यह कार्यालय इसी साल खुलने वाला है और इसका नाम चीनी ताइपे की जगह ताइवान होगा.

चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान में लिथुआनिया से तुरंत अपनी गलती को सुधारने को कहा और इस क्षति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा. साथ ही दोबारा गलत राह नहीं अख्तियार करने की हिदायत दी.

बयान में कहा गया है कि अगर लिथुआनिया ने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे 'गंभीर परिणाम' भुगतने होंगे, हालांकि इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. बयान में कहा गया है, 'हम ताइवान के अधिकारियों को चेतावनी देना चाहते हैं कि ताइवान स्वतंत्रता की बात करना छोड़ दे और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कोई भी अलगाववादी गतिविधि को नाकाम कर दिया जाएगा.'

लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन की कार्रवाई पर अफसोस जताया है और जोर दिया है कि 'एक चीन' के सिद्धांत का सम्मान करते हुए वह ताइवान के साथ परस्पर लाभप्रद संबंध बनाने के लिए तैयार है जैसा कि अन्य देशों ने किया है.

पढ़ें :- महामारी के बीच भी चीन-ताइवान के बीच राजनीतिक तनाव, जानिए कारण

ताइवान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोआन ओउ ने 'राष्ट्रीय गरिमा और स्वतंत्रता की अवधारणा की रक्षा करने की लिथुआनिया की दृढ़ इच्छा' को सलाम किया. ओयू ने कहा, 'दोनों पक्ष लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकार जैसे सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान को मजबूत करना जारी रखेंगे.'

वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने चीन के 'दबाव' की निंदा की और कहा कि सभी देशों को यह निर्धारित करने की आजादी होनी चाहिए कि बीजिंग के हस्तक्षेप के बिना ताइवान के साथ संबंधों को कैसे बनाए रखना है. प्राइस ने संवाददाताओं से कहा, 'हम अपने नाटो सहयोगी लिथुआनिया के साथ एकजुटता से खड़े हैं और हम चीन की हालिया जवाबी कार्रवाई की निंदा करते हैं, जिसमें विल्नियस में बीजिंग के राजदूत को वापस बुलाना और लिथुआनिया को बीजिंग में अपने राजदूत को वापस बुलाने की मांग करना शामिल है.

(एपी)

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