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चीन ने 1990 के बाद पहली बार खोला निकारागुआ में दूतावास

विदेश मंत्री डेनिस मोनकाडा ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक प्रकार की 'वैचारिक आत्मीयता' है. मोनकाडा ने कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके सिनोफार्म की दस लाख खुराक देने के लिए चीन का आभार भी व्यक्त किया.

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Published : Jan 1, 2022, 10:36 AM IST

मनागुआ : चीन ने वर्ष 1990 के बाद से पहली बार निकारागुआ में दूतावास खोला है. चीन ने यह कदम निकारागुआ के राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा की सरकार के ताइवान से संबंध समाप्त करने के बाद उठाया है.

विदेश मंत्री डेनिस मोनकाडा ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक प्रकार की 'वैचारिक आत्मीयता' है. मोनकाडा ने कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके सिनोफार्म की दस लाख खुराक देने के लिए चीन का आभार भी व्यक्त किया.

दरअसल, ओर्टेगा की सरकार ने चीन के साथ 1985 में संबंध स्थापित किए थे, लेकिन 1990 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हार जाने के बाद देश के नए राष्ट्रपति विलेटा कामारो की सरकार ने ताइवान को मान्यता दे दी.

निकारागुआ की सरकार ने ताइवान के साथ नौ दिसंबर को संबंध समाप्त कर लिए थे और पिछले सप्ताह उसने ताइवान के दूतावास कार्यालय बंद कर दिए तथा कहा कि वे चीन के हैं. हालांकि, चीन का नया दूतावास किसी और स्थान पर है तथा फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वह ताइवान की इमारत का क्या करेगा.

पढ़ेंः परिसीमन आयोग की सिफारिशों का विरोध कर रहे पीएजीडी नेता नजरबंद


ताइवान के राजनयिकों ने एक सप्ताह पहले प्रस्थान करने से पहले यह संपत्ति मनागुआ के रोमन कैथोलिक आर्चडीओसीज को दान करने का प्रयास किया था, लेकिन ओर्टेगा की सरकार ने कहा कि इस तरह का कोई भी दान अवैध होगा.

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने 'ओर्टेगा शासन की गंभीर अवैध कार्रवाइयों' की निंदा करते हुए कहा कि निकारागुआ सरकार ने ताइवान के राजनयिकों को देश से बाहर जाने के लिए केवल दो सप्ताह का वक्त देकर मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है.

(एपी)

मनागुआ : चीन ने वर्ष 1990 के बाद से पहली बार निकारागुआ में दूतावास खोला है. चीन ने यह कदम निकारागुआ के राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा की सरकार के ताइवान से संबंध समाप्त करने के बाद उठाया है.

विदेश मंत्री डेनिस मोनकाडा ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक प्रकार की 'वैचारिक आत्मीयता' है. मोनकाडा ने कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके सिनोफार्म की दस लाख खुराक देने के लिए चीन का आभार भी व्यक्त किया.

दरअसल, ओर्टेगा की सरकार ने चीन के साथ 1985 में संबंध स्थापित किए थे, लेकिन 1990 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हार जाने के बाद देश के नए राष्ट्रपति विलेटा कामारो की सरकार ने ताइवान को मान्यता दे दी.

निकारागुआ की सरकार ने ताइवान के साथ नौ दिसंबर को संबंध समाप्त कर लिए थे और पिछले सप्ताह उसने ताइवान के दूतावास कार्यालय बंद कर दिए तथा कहा कि वे चीन के हैं. हालांकि, चीन का नया दूतावास किसी और स्थान पर है तथा फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वह ताइवान की इमारत का क्या करेगा.

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ताइवान के राजनयिकों ने एक सप्ताह पहले प्रस्थान करने से पहले यह संपत्ति मनागुआ के रोमन कैथोलिक आर्चडीओसीज को दान करने का प्रयास किया था, लेकिन ओर्टेगा की सरकार ने कहा कि इस तरह का कोई भी दान अवैध होगा.

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने 'ओर्टेगा शासन की गंभीर अवैध कार्रवाइयों' की निंदा करते हुए कहा कि निकारागुआ सरकार ने ताइवान के राजनयिकों को देश से बाहर जाने के लिए केवल दो सप्ताह का वक्त देकर मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है.

(एपी)

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